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सबके लिए नहीं है ओज़ेम्पिक, भारत में सिर्फ ये लोग ही ले सकते हैं

ओज़ेम्पिक डायबिटीज़ की दवा है, लेकिन ये ओबेसिटी यानी मोटापा घटाने में भी बहुत मददगार है.

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ओज़ेम्पिक 12 दिसंबर को भारत में लॉन्च हुई है (फोटो: Getty)

डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए अच्छी ख़बर है. ओज़ेम्पिक भारत में लॉन्च हो चुकी है. 12 दिसंबर से भारत में इसकी बिक्री शुरू हो गई. 

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ओज़ेम्पिक को बनाया है डेनमार्क की दवा बनाने वाली कंपनी नोवो नॉर्डिस्क ने. ओज़ेम्पिक एक इंजेक्शन है. जो दवा इस इंजेक्शन में डाली जाती है, उसका नाम है सेमाग्लूटाइड. ये डायबिटीज़ और ओबेसिटी की दवा है. ओबेसिटी यानी मोटापा. ओज़ेम्पिक मोटापा घटाने में काफ़ी असरदार भी साबित हुई है.

दुनियाभर में सेलेब्रिटीज़ ने ओज़ेम्पिक की मदद से वज़न घटाया है. जैसे टेस्ला और X के मालिक ईलॉन मस्क. ओपरा विनफ्रे. टेनिस स्टार सेरेना विलियम्स. एक्ट्रेस एमी शुमर वग़ैरा-वग़ैरा. 

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ओज़ेम्पिक एक टारगेट ग्रुप के लिए बनी है (फोटो: Getty)

ओज़ेम्पिक की सफलता और पॉपुलैरिटी को देखते हुए भारत में भी कई लोग ओज़ेम्पिक ट्राई करना चाहते हैं. लेकिन याद रखें, ये दवा है. आइसक्रीम का कोई नया फ्लेवर नहीं, जिसे सब ट्राई कर सकते हैं.

ये ख़ासतौर पर एक टारगेट ग्रुप के लिए बनी है. यानी इसका इस्तेमाल कुछ ही लोग कर सकते हैं. ओज़ेम्पिक जल्दी वेट लॉस का शॉर्टकट नहीं है.

आज डॉक्टर से जानेंगे, कौन लोग ओज़ेम्पिक ले सकते हैं. ओज़ेम्पिक कैसे काम करती है. ओज़ेम्पिक लेने का सही तरीका क्या है और ओज़ेम्पिक के क्या साइड इफेक्ट्स क्या हैं.  

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कौन लोग ओज़ेम्पिक ले सकते हैं?

ये हमें बताया डॉक्टर संतोष कुमार अग्रवाल ने. 

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डॉ. संतोष कुमार अग्रवाल, डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन, यथार्थ हॉस्पिटल, फ़रीदाबाद

जिन लोगों की टाइप 2 डायबिटीज़ कंट्रोल से बाहर है. यानी दवाइयां, एक्सरसाइज़ और डाइट के बाद भी शुगर कंट्रोल में नहीं आ रही. ऐसे लोगों को एडिशनल थेरेपी के तौर पर ओज़ेम्पिक दी जा सकती है. 

साथ ही अगर किसी पेशेंट को ऑस्टियोब्लास्ट कार्डियोवास्कुलर बीमारी है. साथ में टाइप 2 डायबिटीज़ भी है, तो ऐसे लोगों को भी ओज़ेम्पिक दी जा सकती है. 

वज़न घटाने के लिए भी ओज़ेम्पिक दी जा सकती है. लेकिन सिर्फ उन्हीं लोगों को, जो ओवरवेट हैं और बॉर्डरलाइन डायबिटिक हैं. ऐसे लोगों में डोज़ धीरे-धीरे बढ़ाई जा सकती है.

ओज़ेम्पिक कैसे काम करती है?

ओज़ेम्पिक GLP-1 रिसेप्टर एनालॉग की तरह काम करती है. ओज़ेम्पिक दो तरह काम करती है. ये इंसुलिन और ग्लूकागन दोनों पर काम करती है. ओज़ेम्पिक शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ा देती है. इससे शरीर में इंसुलिन अपना काम अच्छी तरह कर पाता है. साथ ही, ओज़ेम्पिक ग्लूकागन का रिसाव कम करती है. शरीर में जितना ग्लूकोज़ है, उस हिसाब से डोज़ एडजस्ट की जाती है. 

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ओज़ेम्पिक की डोज़ धीरे-धीरे बढ़ाई जाती है 

ओज़ेम्पिक लेने का सही तरीका क्या है?

ओज़ेम्पिक की डोज़ बहुत धीरे-धीरे बढ़ाई जाती है. शुरुआती डोज़ है 0.25 mg. ये हफ्ते में एक बार दी जाती है. इसको धीरे-धीरे बढ़ाया जाता है

चौथे, पांचवे हफ्ते में डोज़ को 0.25 बढ़ाकर 0.5 पर लाया जाता है. बारहवें हफ़्ते में देखा जाता है कि मरीज़ को कितना फ़ायदा हो रहा है. उस हिसाब से डोज़ को सेट किया जाता है

ओज़ेम्पिक के साइड इफ़ेक्ट

ओज़ेम्पिक के बहुत ही हल्के साइड इफ़ेक्ट होते हैं. इसके सीरियस साइड इफ़ेक्ट अभी तक सामने नहीं आए हैं. ज़्यादातर पेट से जुड़े साइड इफ़ेक्ट देखे गए हैं. जैसे मतली महसूस होना, उल्टियां, डायरिया, पेट में दर्द. कुछ लोगों को कब्ज़ भी हो जाता है. 

कुछ लोगों को ओज़ेम्पिक नहीं दी जा सकती. जैसे जिन लोगों में थायरॉइड कैंसर की हिस्ट्री है. पैंक्रियाटाइटिस की हिस्ट्री है. गॉल ब्लैडर के मरीज़ों को भी ओज़ेम्पिक देना अवॉयड किया जाता है

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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