'अगर आप दिल्ली में रहते हैं और आपको कोई ऐसी बीमारी है जो लंबे समय से चल रही है, तो कोशिश करें कि दिसंबर तक के लिए दिल्ली छोड़ दें. वरना आपकी दिक्कत गंभीर हो सकती है'. ये कहना है PSRI Institute of Pulmonary, Critical Care & Sleep Medicine के चेयरमैन डॉक्टर जी.सी. खिलनानी का.
प्रदूषण से महिलाओं में मिसकैरिज, प्रीमैच्योर डिलीवरी का ख़तरा! डॉक्टर ने बताया कैसे बचें
इस वक्त पूरे उत्तर भारत की हवा बहुत खराब है. एयर पॉल्यूशन लगातार बढ़ रहा है. प्रदूषण का असर उनपर भी पड़ रहा है, जो अभी इस दुनिया में नहीं हैं. हम बात कर रहे हैं उन बच्चों की, जो अभी अपनी माओं के गर्भ में हैं.


पर वो ऐसा कह क्यों रहे हैं? इसके पीछे वजह है पॉल्यूशन. इस वक्त पूरे उत्तर भारत की हवा बहुत खराब है. एयर पॉल्यूशन लगातार बढ़ रहा है. आपको ये पता है प्रदूषण का असर उनपर भी पड़ रहा है, जो अभी इस दुनिया में नहीं हैं. हम बात कर रहे हैं उन बच्चों की, जो अभी अपनी माओं के गर्भ में हैं.

प्रदूषण का प्रेगनेंट महिलाओं और उनके भ्रूण पर क्या असर पड़ता है? ये हमने पूछा एलीट मॉम्ज़-राइज़िंग मेडिकेयर हॉस्पिटल, पुणे के फाउंडर एंड डायरेक्टर और, सीनियर कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर विनोद भारती से.

डॉक्टर विनोद बताते हैं कि प्रदूषण गर्भवती महिला और उसके होने वाले बच्चे, दोनों के लिए बहुत ख़तरनाक है. प्रदूषण का असर कितना गंभीर होगा, ये कई चीज़ों पर निर्भर करता है. जैसे गर्भवती महिला कितने वक्त से प्रदूषण में रह रही है. प्रदूषण का लेवल क्या है. और, प्रदूषण में कौन-कौन से हानिकारक तत्व ज़्यादा मौजूद हैं.
प्रदूषण फैलाने वाले छोटे-छोटे कण, खासकर PM 2.5 और PM10, प्लेसेंटा को पार कर सकते हैं. प्लेसेंटा प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में बनने वाला एक अस्थाई अंग है. प्लेसेंटा गर्भाशय यानी यूटेरस की दीवार से जुड़ा होता है. और, गर्भनाल के ज़रिए बच्चे को ऑक्सीजन और दूसरे ज़रूरी पोषक तत्व पहुंचाता है.
जब प्रदूषण के छोटे-छोटे कण प्लेसेंटा में पहुंच जाते हैं. तब उसके काम करने की क्षमता पर असर पड़ता है. इससे भ्रूण का विकास सही से नहीं हो पाता. नतीजा? प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लीकेशन होने का रिस्क बढ़ जाता है. जैसे प्रीक्लेम्पसिया हो सकता है. प्रीक्लेम्पसिया प्रेग्नेंसी से जुड़ा एक डिसऑर्डर है. इसमें गर्भवती महिला को हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत हो जाती है. जिससे भ्रूण को खून की पर्याप्त सप्लाई नहीं मिलती. यानी बच्चे को ज़रूरत भर ऑक्सीज़न और पोषक तत्व नहीं मिल पाते.
प्रीक्लेम्पसिया होने पर प्लेसेंटा अचानकर गर्भाशय से अलग भी हो सकता है. जिससे बच्चे की गर्भ में ही मौत हो सकती है. यानी प्रदूषण से मिसकैरिज का ख़तरा है. प्रदूषण की वजह से बच्चे का जन्म भी समय से पहले हो सकता है. यानी बच्चा प्रीमच्योर पैदा हो सकता है.

इसके चलते बच्चे के फेफड़ों का विकास पूरी तरह नहीं हो पाता. जन्म के समय बच्चे का वज़न भी कम हो सकता है. आमतौर पर, नवजात बच्चे का वज़न ढाई से साढ़े 4 किलोग्राम तक होना चाहिए. लेकिन, प्रदूषण और प्रीमच्योर डिलीवरी की वजह से बच्चे का वज़न डेढ़ से 2 किलोग्राम ही रह जाता है. जो बच्चे के लिए रिस्की है. कम वज़न वाले बच्चों का विकास धीमा होता है. उनके सर्वाइवल का चांस भी कम होता है.
ज़्यादा प्रदूषण में रहने से गर्भवती महिला का मिसकैरिज यानी गर्भपात हो सकता है. खासकर उन महिलाओं का, जो अपनी पहली तिमाही यानी फर्स्ट ट्राईमेस्टर में बहुत ज़्यादा प्रदूषण के बीच रही हैं. यही नहीं, प्रदूषण से महिलाओं में इनफर्टिलिटी का रिस्क भी बढ़ता है.
इसलिए, प्रेग्नेंट महिलाएं को अपना ख़ास ध्यान रखना चाहिए. घर से बाहर निकलने से पहले AQI चेक करें. अगर AQI ज़्यादा है तो घर से बाहर न निकलें. साथ ही, घर में एयर प्योरिफायर लगवाएं. किचन में धुएं से बचने के लिए चिमनी का इस्तेमाल करें. और, अगर कोई भी दिक्कत महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें. बाहर निकलने से पहले मास्क ज़रूर पहनें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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