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अंडों की क्वालिटी लगातार ख़राब हो रही, इसकी वजहें पता चल गईं

कई लोगों की शिकायत है कि जो अंडे वो आजकल खरीदकर ला रहे हैं, वो बहुत हल्के हैं. उनके छिलके आसानी से टूट रहे हैं. यहां तक कि अंडे की जर्दी का रंग भी कुछ बदला-बदला-सा है.

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अंडों को खरीदते समय सावधानी बरतें (फोटो: Freepik)

उबले अंडे खाए, पर खाकर मज़ा नहीं आया तो ऑमलेट बना लिया. लेकिन उसका भी स्वाद फीका! इसमें गलती आपकी कुकिंग स्किल्स की नहीं है. दिक्कत तो अंडे में है. अगर आजकल आपको लग रहा है कि अंडों में वो पहले जैसा स्वाद नहीं रहा, तो आप एकदम सही हैं.

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कई लोगों की शिकायत है कि जो अंडे वो आजकल खरीदकर ला रहे हैं, वो बहुत हल्के हैं. उनके छिलके आसानी से टूट रहे हैं. यहां तक कि अंडे की जर्दी का रंग भी कुछ बदला-बदला-सा है.    

पूरे देश में अंडों की क्वालिटी गिरी है. और ये हाल तब है, जब भारत अंडों के प्रोडक्शन में दुनिया में दूसरे नंबर पर है.

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यूनाइटेड नेशंस के Food & Agriculture Organization Corporate Statistical Database के मुताबिक, साल 2023 और 24 में, देश में अंडों का प्रोडक्शन 14,277 करोड़ रहा. 2014-15 में यही प्रोडक्शन 7,848 करोड़ था. यानी बीते 9 सालों में देश में अंडों का प्रोडक्शन लगभग दोगुना हुआ है. लेकिन अंडों की क्वालिटी ख़राब हो गई है.

अंडों की क्वालिटी गिरने की वजहें हमने जानीं, डाइट्स एंड मोर की फाउंडर डाइटिशियन श्रेया कत्याल से.

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श्रेया कत्याल, डाइटिशियन, डाइट्स एंड मोर, नई दिल्ली

पहली वजह: गर्मी 

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डाइटिशियन श्रेया बताती हैं कि अंडों की क्वालिटी बिगड़ने की पहली वजह गर्मी है. ग्लोबल वार्मिंग का असर सिर्फ इंसानों पर ही नहीं पड़ रहा. मुर्गियों पर भी पड़ रहा है. उनका शरीर ज़्यादा गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाता. जहां मुर्गियां पाली जाती हैं. यानी पोल्ट्री फार्म्स. खासकर छोटे फार्म्स में ठीक वेंटिलेशन नहीं होता. यानी हवा के आने-जाने का सही इंतज़ाम नहीं है. उस जगह को ठंडा रखने का सिस्टम भी ठीक नहीं है. ऐसे माहौल में मुर्गियां कम खाना खाती हैं. इसका असर उनके अंडे बनाने की क्षमता पर भी पड़ता है. ऐसी मुर्गियों के अंडों का साइज़ छोटा, स्वाद फीका और छिलका पतला हो जाता है.

दूसरी वजह: अंडे ठीक से स्टोर न करना 

अंडों को 40 डिग्री फॉरेनहाइट या इससे कम टेम्परेचर पर ही स्टोर करना चाहिए. अगर अंडों को ठीक से स्टोर नहीं किया जाएगा, तो उनकी ताज़गी पर असर पड़ेगा. अंडे में बैक्टीरिया भी बढ़ जाएंगे. इससे उसका स्वाद बदल जाएगा. वो जल्दी ख़राब होंगे.

तीसरी वजह: मुर्गियों को एंटीबायोटिक्स और हॉर्मोनल इंजेक्शन देना 

अंडों का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए कई पोल्ट्री फार्म्स मुर्गियों को बहुत सारे एंटीबायोटिक्स और हॉर्मोनल इंजेक्शन देते हैं. इससे अंडे का स्वाद और पोषण, दोनों घट जाते हैं.

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अंडों की क्वालिटी मुर्गी के खान-पान और रहन-सहन पर निर्भर करती है (फोटो: Freepik)

चौथी वजह: मुर्गियों का खाना 

किसी भी अंडे की क्वालिटी इस बात पर डिपेंड करती है कि मुर्गी क्या खा रही है. अगर मुर्गियों को प्रोटीन, विटामिंस और मिनरल्स से भरपूर खाना नहीं दिया जा रहा. जैसे सोयाबीन, मक्का, हरी सब्ज़ियां, दाने और फीड सप्लीमेंट्स, तो इसका सीधा असर अंडे पर पड़ता है. कई पोल्ट्री फॉर्म्स मुर्गियों को सस्ता और कम पोषण वाला खाना देते हैं. इससे अंडों का स्वाद फीका हो जाता है. उनका पोषण घट जाता है. कई बार जर्दी का रंग भी हल्का पड़ जाता है.

इसी तरह, अगर किसी छोटी-सी जगह पर बहुत सारी मुर्गियां पाली जा रही हैं, तो इससे उन्हें धूप, हवा और नेचुरल मूवमेंट नहीं मिलता. नतीजा? मुर्गियों को तनाव होता है. वो ठीक से खाना नहीं खातीं. कई बार बीमार भी पड़ जाती हैं. इसका असर अंडों की क्वालिटी पर पड़ता है. ऐसी मुर्गियों के अंडे पतले छिलके वाले होते हैं. इनका टेस्ट भी कुछ खास नहीं होता.

पांचवी वजह: आप नकली अंडा खा रहे  

मार्केट में सिंथेटिक मैटेरियल से बने नकली अंडे भी मिलने लगे हैं. ये अंडे दिखते तो असली हैं, पर होते नहीं. ज़ाहिर है, इनमें कोई पोषण भी नहीं होता. ये सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह हैं. नकली अंडा खाने पर हाज़मे से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं. जैसे पेट दर्द, दस्त और उल्टी वगैरह. इसलिए असली और अच्छा अंडा ही चुनें. 

ऐसे पहचानें असली अंडा

पहला तरीका, अंडे को सूंघकर देखिए. अगर अंडे से अजीब या सड़ी हुई गंध आए, तो समझ जाइए वो ख़राब है.

दूसरा तरीका, फ्लोट टेस्ट. इसके लिए एक बर्तन में ठंडा पानी भरिए. अब उसमें अंडा डालिए. अगर अंडा तले पर लेट जाए, तो वो असली है. अगर अंडा ऊपर तैरने लगे तो वो पुराना या ख़राब है.

तीसरा तरीका, अंडे की जर्दी और सफेदी चेक करना. अगर अंडा तोड़ने पर जर्दी गोल और ठोस निकलती है और सफेदी थोड़ी गाढ़ी है, तो अंडा अच्छा है. अगर जर्दी फीकी है या फैल जाए, तो अंडा पुराना है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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