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दांतों का रंग बदल रहा? कुछ भी खाने-पीने पर झनझनाहट होती है? एसिड इरोजन हो सकता है

रगड़कर ब्रश करने के साथ ही एसिड इरोजन शुरू हो जाता है. फिर जब हम एसिडिक चीज़ें खाते हैं, तो समस्या और बढ़ जाती है.

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एसिड इरोजन की समस्या तेज़ी से बढ़ रही है

क्या आजकल जब भी आप कुछ खाते-पीते हैं तो दांतों में करंट-सा लगता है? खासतौर पर कुछ ठंडा या गर्म खाने पर. क्या आपके दांतों का रंग बदलने लगा है? क्या आपके दांत चिटक रहे हैं? अगर इन सवालों का जवाब है ‘हां’, तो ज़रा अपने खाने-पीने पर गौर कीजिए. अगर आप खूब मीठा, रसीला खाते हैं. कोल्ड ड्रिंक, सोडा पीते हैं. तो जान लीजिए कि इनसे दांतों में एसिड इरोजन हो रहा है.  

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एसिड इरोजन क्या है, ये रोज़ की किन आदतों से होता है, एसिड इरोजन होने पर दांतों का क्या हाल होता है और, इससे कैसे बचा जाए, ये सब बताया, गवर्नमेंट पटना डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ऑर्थोडेंटिक्स के हेड और प्रोफेसर, सीनियर ऑर्थोडॉन्टिस डॉक्टर अनुराग राय ने. 

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डॉक्टर अनुराग राय, सीनियर ऑर्थोडॉन्टिस्ट, प्रोफेसर एंड हेड, ऑर्थोडेंटिक्स, गवर्नमेंट पटना डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल

क्या होता है एसिड इरोजन?

अगर आपके खाने-पीने में एसिड की मात्रा ज़्यादा है या आप खट्टी चीज़ें ज़्यादा पीते हैं. इससे दांतों की ऊपरी सतह को नुकसान पहुंचाता है. दांतों की बाहरी सतह इनेमल धीरे-धीरे गलने लगती है. इससे दांतों में झनझनाहट महसूस होती है. जिसकी वजह से खाना-पीना मुश्किल हो जाता है.

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किन वजहों से होता है एसिड इरोजन?

एसिड इरोजन सुबह ही शुरू हो जाता है. जब आप रगड़कर ब्रश करते हैं तो दांतों की ऊपरी सतह इनेमल घिसने लगती है. अगर आप खाने में ज़्यादा एसिडिक चीज़ें लेते हैं, तो समस्या बढ़ जाती है. जिन मरीज़ों को GERD यानी गैस्ट्रोएसोफैगल रिफ्लक्स डिज़ीज़ है या जिन्हें बार-बार उल्टी आती है. उनके दांतों पर एसिड का असर ज़्यादा होता है. 

हमारे पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड होता है, जिसे गैस्ट्रिक एसिड भी कहते हैं. ये खाना पचाने के लिए बहुत ज़रूरी है. लेकिन अगर ये मुंह तक आ जाए, तो दांतों का इनेमल गलने लगता है. 

हमारे दांत के तीन हिस्से होते हैं. सबसे बाहरी हिस्सा इनेमल है. दूसरी परत डेंटीन है. तीसरा, बीच का खोखला हिस्सा है, जिसमें नसें और खून की नलियां होती हैं. इनेमल में नसें नहीं होतीं. अगर इनेमल गलने लगे या घिस जाए, तो डेंटीन एक्सपोज़ हो जाता है. जब एसिड इसके संपर्क में आता है तो डेंटीन को नुकसान पहुंचता है. जिसकी वजह से शुरू में सेंसेटिविटी होती है. उसके बाद तेज़ दर्द शुरू हो जाता है.

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कोल्ड ड्रिंक जैसी चीज़ें दांतों को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं

कोल्ड ड्रिंक, सोडा से एसिड इरोजन होता है?

कोल्ड ड्रिंक और सोडा जैसी चीज़ें दांतों के लिए बहुत खतरनाक हैं. ये न सिर्फ दांतों, बल्कि पूरे शरीर को काफी नुकसान पहुंचाती हैं. हमें इन चीज़ों के सेवन से बचना चाहिए. कुछ साल पहले, एक वीडियो काफी पॉपुलर हुआ था. इसमें एक दांत को कोल्ड ड्रिंक में डाला गया था. देखा गया कि वो दांत धीरे-धीरे पूरी तरह से गायब हो गया. अगर कोल्ड ड्रिंक पीते भी हैं तो तुरंत पानी से कुल्ला करें ताकि दांतों का pH नॉर्मल हो सके. इससे दांतों का क्षरण यानी उसका घिसना बंद होता है.

एसिड इरोजन से क्या समस्याएं होती हैं?

एसिड इरोजन से डेंटीन एक्सपोज़ होने पर दांतों में झनझनाहट शुरू हो जाती है. अगर पल्प (दांत के बीच का हिस्सा) एक्सपोज़ हो जाए, तो तेज़ दर्द होने लगता है. इसके बाद दांत की जड़, जो हड्डी के अंदर होती है, उसमें सूजन आने लगती है. इसमें बहुत असहनीय दर्द होता है. एसिड इरोजन बस शुरुआत है. अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो दांत भी खोना पड़ सकता है.

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 मुंह का pH हमेशा 6.2 से 7.3 के बीच रहना चाहिए

मुंह के pH लेवल से क्या असर पड़ता है?

कम pH यानी मुंह में एसिडिक (अम्लीय) तत्व का मौजूद होना. अगर pH 6-6.5 से ज़्यादा हो, तो वो बेस (क्षार) या एल्कलाइन कहलाता है. मुंह का pH हमेशा 6.2 से 7.3 के बीच रहना चाहिए. इसके लिए कुछ भी खाने के बाद पानी ज़रूर पिएं. मुंह के pH को नॉर्मल रखने का सबसे अच्छा तरीका पानी पीना ही है. पानी एसिड और एल्कलाइन के बीच बैलेंस बनाए रखने में मदद करता है. जब मुंह का pH 6.2 से 7.3 के बीच रहता है, तो दांतों की कोई भी तकलीफ होना असंभव है. 

क्या एसिड इरोजन ठीक हो सकता है?

एसिड इरोजन को रिवर्स किया जा सकता है. इसके लिए शुरुआत में एंटीसेंसेटिविटी टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें. इसे दांतों पर लगाकर 2 मिनट तक छोड़ने से सेंसेटिविटी में राहत मिलती है. हालांकि अगर दिक्कत बढ़ गई है, तो डॉक्टर के पास जाकर दांतों की फिलिंग करवा सकते हैं. अगर तकलीफ ज़्यादा बढ़ गई है तो रूट कनाल ट्रीटमेंट करवा सकते हैं. उस पर कैपिंग यानी क्राउन लगवा सकते हैं. इससे दांतों की झनझनाहट बिल्कुल खत्म हो जाएगी.

एसिड इरोजन से फिलिंग, क्राउन पर असर पड़ता है?

एसिड इरोजन का किसी भी आर्टिफिशियल सरफेस पर कोई असर नहीं होता. फिलिंग और क्राउन आर्टिफिशियल होते हैं, इसलिए एसिड इन्हें नुकसान नहीं पहुंचा सकता. बल्कि ये दांतों को सेंसेटिविटी को बचाने के लिए लगाए जाते हैं.

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टीथ व्हाइटनिंग से एसिड इरोज़न नहीं होता

टीथ व्हाइटनिंग से एसिड इरोजन होता है?

दांत साफ करवाने के एक सप्ताह बाद तक हल्की-फुल्की सेंसेटिविटी होती है. ऐसे में डिसेंसेटाइजिंग माउथवॉश या टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें. टीथ व्हाइटनिंग में ब्लीचिंग एजेंट्स इनेमल के प्रिज़्म (छोटे-छोटे छेदों) और डेंटीनल ट्यूब्यूल्स (पतली नलियां) को खोलते हैं. ब्लीचिंग से दांतों की दूसरी लेयर डेंटीन एक्सपोज़ हो जाती है, जिससे सेंसेटिविटी बढ़ सकती है. टीथ क्लीनिंग से बहुत ज़्यादा सेंसेटिविटी नहीं होती, लेकिन ब्लीचिंग से हो सकती है. हालांकि अच्छे डिसेंसेटाइजिंग टूथपेस्ट का इस्तेमाल करके इस समस्या से बचा जा सकता है.

कैसे करें एसिड इरोजन से बचाव?

मुंह के pH को बैलेंस में रखें, उसे एसिडिक न होने दें. एसिडिक pH से मुंह में मौजूद जीवाणु ज़्यादा एक्टिव हो जाते हैं. फिर वो खाने को तोड़कर एसिड बनाने लगते हैं. लेकिन, अगर मुंह के pH को नॉर्मल रखें तो इससे बचा जा सकता है. इसके लिए कुछ भी खाने के बाद पानी से कुल्ला करें. लार के pH को नॉर्मल रखने का सबसे अच्छा माध्यम पानी ही है. माउथवॉश के इस्तेमाल से भी काफी हद तक फायदा हो सकता है.

साथ ही, बहुत रगड़कर ब्रश न करें. एसिडिक चीज़ें न खाएं. पानी पीना सबसे अच्छा है.

एसिड इरोजन का इलाज क्या है?

एसिड इरोजन में दांत धीरे-धीरे घिसकर छोटा होने लगता है. दांतों के किनारे नुकीले होने लगते हैं. दांतों के अंदर मौजूद पीले रंग की डेंटीन परत बाहर दिखने लगती है. आमतौर पर हमारे दांत सफेद दिखने चाहिए. लेकिन, अगर सफेद रंग की परत इनेमल घिस जाती है तो डेंटीन दिखने लगती है. अगर दांतों में दिक्कत बढ़ गई है, तो आपको डेंटिस्ट के पास ज़रूर जाना चाहिए. डेंटिस्ट की मदद से आप क्राउनिंग या फिलिंग करा सकते हैं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.) 

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