‘थैंक यू.’ जब-जब आप चलने के लिए कदम बढ़ाते हैं. आपका शरीर आपसे यही बोलता है. चलना सबसे आसान एक्सरसाइज़ है. आपको याद है, बचपन में जब मम्मी-पापा कहते थे, सुबह उठकर टहला करो. तो हम कितना मुंह बनाते थे. चिड़ते थे कि नींद ख़राब कर दी. सुबह उठकर टहलना कितना बड़ा बोझ लगता था. है न?
वज़न घटेगा, बीपी कम...एक मिनट, दस मिनट और एक घंटा चलने के ये फायदे जानते हैं?
रोज़ टहलने से मूड सुधारता है. आप ताज़गी महसूस करते हैं. कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है और वज़न भी घटता है.
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लेकिन टहलना वाकई बहुत फ़ायदेमंद होता है. जितना आप सोच नहीं सकते, उससे कहीं ज़्यादा. फिर चाहें आप एक मिनट टहलें या एक घंटे.
डॉक्टर से जानिए कि जब कोई इंसान एक मिनट लगातार चलता है, तो उसके शरीर में क्या पॉज़िटिव बदलाव आते हैं. अगर 10 मिनट लगातार चलते हैं तो शरीर में क्या होता है. जब कोई एक घंटे तक चलता है, तब शरीर के अंदर क्या बदलाव आते हैं.
एक मिनट चलने से शरीर में क्या होता है?
ये हमें बताया डॉक्टर शोवना वैष्णवी ने.

रिसर्च में पाया गया है कि जब आप एक मिनट तक चलते हैं, खासकर खाने के बाद. तब खून में मौजूद शुगर बेहतर तरीके से इस्तेमाल होती है. ब्लड शुगर लेवल कम होता है और शुगर शरीर में जमा नहीं होती. मांसपेशियां इस शुगर को इस्तेमाल करती हैं और उसे एनर्जी में बदलती हैं. इससे शुगर फैट के रूप में शरीर में जमा नहीं होती. खासकर पेट के आसपास जो चर्बी जमा होती है, उसमें काफी फर्क आता है. यानी खाना खाने के बाद सिर्फ एक मिनट चलने से शरीर को फायदा मिल सकता है.
10 मिनट चलने से शरीर में क्या होता है?
ऐसा पाया गया है कि 10 मिनट टहलने से हाई ब्लड प्रेशर कम हो सकता है. इसका मतलब ये नहीं कि आप बीपी की दवाइयां खाना बंद कर दें. लेकिन ऐसे छोटे कदमों से दवाओं पर निर्भरता कम हो सकती है. ये समझना ज़रूरी है कि हाई बीपी सिर्फ लाइफस्टाइल डिसऑर्डर नहीं है. मगर लाइफस्टाइल का इसमें बहुत बड़ा रोल होता है. रोज़ 10 मिनट टहलने से मूड बेहतर होता है. शरीर की अंदरूनी सूजन घटती है. स्ट्रोक और कैंसर जैसी बीमारियों का रिस्क भी कम होता है.

एक घंटा चलने से शरीर में क्या होता है?
रोज़ एक घंटा टहलने के बहुत सारे फायदे हैं. इससे मूड सुधारता है. आप ताज़गी महसूस करते हैं. शरीर को भी फायदा पहुंचता है. कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है. वज़न कंट्रोल में रहता है और मोटापा घटता है. मांसपेशियां मज़बूत बनती हैं. रोज़ टहलने से हाई बीपी भी कंट्रोल में आता है. हाइपरटेंशन की दवाएं ज़रूरी हैं, लेकिन वॉक से भी सुधार ज़रूर होता है.
ऐसा देखा गया है कि रोज़ एक घंटा टहलने से याद्दाश्त सुधरती है. एक स्टडी हुई, जिसमें रोज़ एक घंटा टहलने और न टहलने वालों का MRI किया गया. पाया गया कि टहलने वालों का वाइट मैटर (न्यूरल कनेक्शन) काफी बेहतर हो गया. यानी शरीर के अंदरूनी कनेक्शन और दिमाग की सेहत बेहतर होती है.
जिन महिलाओं का मेनोपॉज़ हो चुका है, टहलने से उनका बोन लॉस कम होता है. कुल मिलाकर, रोज़ चलना दिल की बीमारियों और स्ट्रोक से बचाता है. बैड कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ने देता. खून की नलियों में क्रोनिक इंफ्लेमेशन (लंबे वक्त तक रहने वाली सूजन) नहीं होने देता. मूड स्विंग्स को कम करता है. इससे नींद अच्छी आती है और स्ट्रेस भी कम होता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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