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'ढंग का सेंटर और पेपर-पेन दे दो, पंखा-माउस चल जाए,' SSC परीक्षा रद्द होने पर क्या बोले अभ्यर्थी?

SSC Exam Cancelled: कुछ अभ्यर्थियों ने आरोप लगाए कि एग्जाम हॉल में इनविजिलेटर फोन पर भी बात करते हुए पाए गए, जबकि सेंटर में फोन अलाउड ही नहीं है. इसके अलावा नई परीक्षा एजेंसी पर भी सवाल उठ रहे हैं.

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परीक्षा रद्द होने से अभ्यर्थियों ने SSC पर सवाल उठाए. (X)

SSC यानी 'स्टाफ सिलेक्शन कमीशन'. इसके एग्जाम को लेकर अभ्यर्थियों का गुस्सा सोशल मीडिया पर फूट पड़ा है. 24 जुलाई से शुरू हुई SSC सेलेक्शन पोस्ट फेज 13 की परीक्षा के पहले ही दिन देशभर के कई केंद्रों पर तकनीकी खराबियों और बदइंतजामी ने हजारों अभ्यर्थियों की मेहनत पर पानी फेर दिया. जिन परीक्षाओं पर सालों की तैयारी टिकी थी, वहां सर्वर क्रैश, पेपर रद्द और खराब व्यवस्था के आरोप लगे.

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एक्स और इंस्टाग्राम पर #SSCVendorFailure, #SSCExamFailure और #SSCMismanagement जैसे हैशटैग लगातार ट्रेंड कर रहे हैं. अभ्यर्थियों का आरोप है कि नए वेंडर ने परीक्षा का पूरा सिस्टम बिगाड़ दिया है. कई केंद्रों पर पहली शिफ्ट शुरू होने के बाद सिस्टम बैठने का दावा किया जा रहा है. कहीं परीक्षा बीच में ही रद्द होने का भी आरोप है. कुछ को तो 500 से 1000 किलोमीटर की दूरी पर सेंटर्स मिले और वहां जाकर पता चला कि परीक्षा कैंसिल हो चुकी है.

गाजियाबाद, हुबली, लखनऊ, भोपाल समेत कई शहरों से शिकायतें आईं. पवन गंगा एजुकेशनल सेंटर 2 में 24 से 26 जुलाई तक की परीक्षाएं रद्द कर दी गईं. हुबली में 24 जुलाई की सुबह की शिफ्ट भी तकनीकी गड़बड़ी के कारण रद्द करनी पड़ी. अब इन अभ्यर्थियों की परीक्षाएं 28 जुलाई से दोबारा कराई जाएंगी.

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परीक्षाएं रद्द होने और सिस्टम फेल होने की खबर फैलते ही सोशल मीडिया पर अभ्यर्थियों ने अपनी आपबीती बताना शुरू कर दिया. किसी ने लिखा,

"प्रिय SSC, हमारे सपने आपकी तकनीकी नाकामियों का टेस्ट करने की जगह नहीं हैं. हम जवाबदेही चाहते हैं, चुप्पी नहीं."

SSC Exam Cancelled
सोशल मीडिया पर अभ्यर्थियों ने जताई नाराजगी. (X)

लीजेंड सिंह नामक यूजर ने लिखा,

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"क्या इस देश में विद्यार्थियों की मेहनत की कोई कीमत नहीं है? एक तो 500 किलोमीटर दूर सेंटर दिया. फिर उसको कैंसिल कर दिया. ये कोई मजाक चल रहा है क्या?"

SSC Exam Cancelled
सोशल मीडिया पर अभ्यर्थियों ने जताई नाराजगी. (X)

कई अभ्यर्थियों ने परीक्षा केंद्रों की हालत पर भी सवाल उठाए. कुछ ने लिखा कि हॉल में पंखे नहीं थे, कुर्सियां टूटी थीं, कमरों में दम घुट रहा था और इमेज-बेस्ड प्रश्न लोड ही नहीं हो रहे थे.

बार-बार एक ही तरह की समस्याएं सामने आईं.

  • सिस्टम और सर्वर बार-बार क्रैश होना
  • माउस और कंप्यूटर सही से काम ना करना
  • इनविजिलेटर्स का लापरवाह रवैया
  • सुरक्षा जांच का अभाव
  • अंतिम समय पर परीक्षा कैंसिल करना

इसको लेकर दी लल्लनटॉप ने SSC के कुछ अभ्यर्थियों और तैयारी कराने वाले एजुकेटर्स से बात की. अभ्यर्थियों का कहना है कि इतनी बड़ी संस्था का इकलौता काम है- समय पर परीक्षा कराना और रिजल्ट देना, लेकिन वो भी नहीं हो पा रहा है.

योगेश नामक अभ्यर्थी ने बताया,

"ये जो कमियां है, गलतियां है, यह हो रही हैं या जानबूझकर कर रहे हैं... एक सवाल था. इंग्लिश का पेपर तो इंग्लिश में ही होता है. अब वो सवाल जो इंग्लिश में था वो हिंदी मीडियम में भी सेम होना चाहिए... फिर भी वहां पर गलतियां हुई हैं. आप ढंग से कॉपी-पेस्ट भी नहीं कर पा रहे. इतनी बेसिक चीज भी नहीं कर पा रहे हैं. आप लेवल 4, लेवल 5, लेवल 6... ऐसे लोग जो आगे चलकर ऑफिसर बनेंगे. आप उनका चयन कर रहे हैं. ऐसा कैसे कर सकते हैं आप लोग?"

उन्होंने आगे बताया,

"मेरे 344 मार्क्स हैं और मेरा लास्ट अटेम्प्ट CGL 2024 था. 344 मार्क्स होने के बावजूद भी मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ. वहीं बहुत सारे मामले हैं, जिनमें 299-300 मार्क्स स्कोर करने वाले लोग भी सिलेक्शन में चले गए. अब आपने कोई गलती की उसके लिए मेरे भविष्य के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ हुआ. मैं दो या तीन चार साल से जितने भी साल से लगा हुआ हूं. इसकी भरपाई कौन करेगा या मैं दिन भर अपने आप को कोसता रहूं या सिस्टम को कोसता रहूं? एडिक्विटी जो कि पहले से ब्लैक लिस्टेड कंपनी है. इनको पता था, एक रेड फ्लैग सभी ने उठाया था. हमने भी बात रखी थी. सेकंड टाइम हम मिले, मैं अभिनय सर वगैरह हम गए थे. हमने इस बात को भी रखा कि एडिक्विटी का बैकग्राउंड अच्छा नहीं है. ये ऑलरेडी ब्लैक लिस्टेड है. पहले भी पेपर लीक और घोटालों के मामले इसके साथ जुड़े हैं. लेकिन फिर भी उन्होंने कोई बात नहीं समझी."

अभ्यर्थियों ने SSC के नए एग्जाम वेंडर को लेकर भी समस्याएं बताईं, उनका कहना है कि एग्जाम सेंटर पर पेन पेपर, कंप्यूटर, माउस जैसी बेसिक चीजों में दिक्कतों का सामना करना प़ड़ रहा है.

एक अन्य अभ्यर्थी सपना ने दी लल्लनटॉप को बताया,

"इतने सालों से TCS (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) करवा रहा है ये एग्जाम. हमने TCS में कभी स्क्रूटिनिटी और वो वाले इश्यूज तो नहीं देखे जब से हम देख रहे हैं... मैंने 2024 वाला SSC का CGL दिया था. वो मेरा लास्ट अटेम्प्ट था. उसके बाद हमने कोर्ट-केस वगैरह किया. मतलब पेपर का लेवल ऐसा कर रहे हो आप कि TCS में सिर्फ दो शिफ्ट के 150-150 क्वेश्चंस के पेपर बनाने हैं. उसमें भी आप गलती कर रहे हो तो SSC के चेयरमैन ने बोला कि इस बार हम कोशिश करेंगे कि हम पेपर का लेवल अच्छे से मेंटेन करें और पेपर को दो-तीन बार चेक करें. तो हम किसी और को देना चाहेंगे."

सपना ने एडिक्विटी के चुनाव पर कहा,

"सारे टीचर्स ने इसके खिलाफ बोला कि एडिक्विटी ऑलरेडी एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी है. उसको नहीं देना चाहिए. लेकिन फिर भी एडिक्विटी को दे दिया गया. अब हाल यह है कि पहला फेज का पेपर, SSC फेज 13 चल रहा है अभी तो उसमें भी यह हो गया है कि बच्चे इतने-इतने दूर गए. उसमें इनविजिलेटर्स आराम से मोबाइल चला रहे हैं. सिस्टम में खराबी आ रही है और इतने बेकार सेंटर्स दिए गए हैं. कहीं पर नेटवर्क इश्यूज हैं. कहीं पर कीपैड ही नहीं चल रहा, माउस वर्क नहीं कर रहा. उसके बाद क्योंकि दो-तीन सेंटर्स में ऐसा हो गया तो बोल दिया गया कि यह जो पेपर है इसको रद्द कर दिया गया है. क्योंकि कई बच्चों ने भी इसकी रिकॉर्डिंग कर ली कि इनविजिलेटर फोन लेकर घूम रहा है. कई ने तो यह भी बोला है कि इनविजिलेटर बोल रहा है चिंता मत करो. हमारा ही सिस्टम है. हम आपके बच्चे को वो भी करा देंगे. हम उसकी हेल्प कर रहे हैं. यह बहुत सारे बच्चों ने सुना है."

कुछ अन्य अभ्यर्थियों ने भी आरोप लगाए कि एग्जाम हॉल में इनविजिलेटर फोन पर भी बात करते हुए पाए गए, जबकि सेंटर में फोन अलाउड ही नहीं है.

इस बारे में एक अभ्यर्थी रमन ने कहा,

"लड़कियां बालियां पहन रही है, बैंगल्स पहन रही है. यहां तक कि जो इनविजिलेटर्स एग्जाम हॉल में मौजूद हैं, उनके पास में मोबाइल फोन है. जबकि मोबाइल फोन की इजाजत नहीं होती है. चलती परीक्षा में उनके पास कॉल आ रहे हैं. वो फोन पर बात करते हुए बोल रहे हैं, अच्छा अभी एग्जाम में हूं बाद में बात करता हूं. यह हालत हो गई है एग्जाम की और उससे लेवल 6 और लेवल 7 की पोस्ट मिलती है. मतलब एक बंदा 70 से 90 हजार रुपये की सैलरी पर गवर्नमेंट जॉब पाता है... IAS के बाद ये ग्रेड बी के एग्जाम्स हैं जो अभी हो रहे हैं. मतलब ग्रेड बी लेवल के एग्जाम हैं. IAS के तुरंत बाद ये पोस्ट आती हैं. आप इतने सीरियस पोस्ट पर कैसे सेलेक्शन करेंगे अगर इस तरीके से आप एग्जाम लेंगे."

वहीं कुछ अभ्यर्थियों ने दूर एग्जाम सेंटर देने की बात कही. अभ्यर्थियों ने बताया कि कुछ लोगों को देहरादून तो कुछ को अंडमान निकोबार तक सेंटर दिए गए हैं.

शेखर ने बातचीत में परीक्षा सेंटर की समस्या पर कहा,

"मेरे बहुत अच्छे मार्क्स आ रहे हैं. मेरी बहुत अच्छी तैयारी है. मैं एग्जाम स्टार्ट करता हूं. 10 मिनट बाद मेरा माउस काम करना बंद कर देता है. उसकी वजह से मैं अगर एग्जाम में पास नहीं हो पाऊंगा, तो मेरी जिंदगी का ट्रायल है ना. ये तो मेरे जिंदगी का सवाल है. प्रेफरेंस दिया था दिल्ली, मेरठ और लखनऊ. मेरा सेंटर दे दिया देहरादून. मेरे साथ तो ऐसा कुछ नहीं हुआ. वहां एक बच्चे के माउस ने अचानक काम करना बंद कर दिया... माउस ही काम नहीं कर रहा. मैं क्या एग्जाम दे पाऊंगा?... पवन गंगा एक सेंटर है दिल्ली में. वहां के सारे शिफ्ट के पेपर कैंसिल कर दिए. क्यों? क्योंकि टेक्निकल इश्यू है. हम एग्जाम नहीं ले पा रहे. तो इतनी बड़ी संस्था SSC एग्जाम नहीं करवा सकती."

इस मामले को लेकर टीचर्स भी स्टूडेंट्स के साथ नजर आ रहे हैं, लल्लनटॉप ने SSC कोचिंग पढ़ाने वाले टीचर्स अभिनय शर्मा, नीतू सिंह और अरुण कुमार से बात की है.

अभिनय शर्मा ने बताया,

"बच्चा एग्जाम देने जाता है तो सेंटर पर एक नोटिस चिपका होता है कि आज आपका एग्जाम कैंसिल हो गया है. बहाना एक ही है जिसका नाम है टेक्निकल ग्लिच. यानी यह प्रॉब्लम कोई अब से नहीं चल रही. अब तो बस यह है कि आग निकल रही है. इतनी इकट्ठी हो गई है प्रॉब्लम. इतना टॉर्चर इन लोगों ने कर दिया है. वो कहते हैं ना कि अब हमें हर एक बात याद आती है डिवोर्स के वक्त कि तुमने तब एक थप्पड़ मारा था?... संगठित हो गया है दिमाग में. आप एक ऐसी एजेंसी को क्यों लाए? अब आप ही बताइए मुझे अपना घर बनाना है. तीन ठेकेदारों ने टेंडर डाला. मुझे एक के बारे में पता है कि ये पैसे लेकर चला जाता है. अच्छा काम भी नहीं करता. भले ये कह रहा है कि कम (बजट) में बना देगा, लेकिन बना ही नहीं पाएगा. तो कम में बनाने वाले को मैं क्यों रखूं? आप पुराना ट्रैक रिकॉर्ड तो देखते हैं ना. SSC ने क्या देखा? सिर्फ ये देखा कि TCS 370 में पेपर करा रही थी, एडिक्विटी 220 में करा रही है, तो इसे ले लेते है."

नीतू सिंह ने भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा,

"TCS में जो खामियां थीं, हमें वो इंप्रूव करनी थी... कोशिश ये करिए कि वेटिंग लिस्ट लाइए ताकि जब बच्चों का MTS हो जाता है फिर CHSL हो जाता है तो MTS वेकेंट रह जाता है क्योंकि लेवल ऑफ क्वेश्चन तो सेम है. जो CGL दे रहा है, वो CHSL दे रहा है, वो MTS दे रहा है, वो GD भी दे रहा है. तो आप कम से कम GD में और MTS में तो वेटिंग लिस्ट बहुत आराम से ला सकते हैं. CHSL में भी लाई जा सकती है. बेरोजगारी इतना बड़ा मुद्दा है देश में और बार-बार उसी एग्जाम को कंडक्ट कर-करके 50-60 फीसदी सीट खाली रह जा रही हैं. इन चीजों पर SSC को काम करना चाहिए. लेकिन SSC ने क्या किया है? सारे मुद्दे ताक पर रख दिए. अब हम बेसिक चीजों के लिए लड़ाई लड़ें कि ढंग का एक सेंटर हो. पंखा ठीक से चले. माउस काम करे, पेन काम करे, पेपर मिल जाए. इन सब चीजों की लड़ाई हम नहीं लड़ रहे हैं."

SSC की गड़बड़ियों पर अरुण कुमार ने बताया,

“पहली डिमांड तो यह है कि जब बच्चा फॉर्म डालता है तो उसे कम से कम एक महीने पहले रोल नंबर दे देना चाहिए कि उस जगह पर आपका एग्जाम का सेंटर रहने वाला है. दूसरा, एग्जाम जो होना चाहिए वो 20, 30 या 50 किलोमीटर के दायरे के अंदर ही हो. आप भेज रहे हैं 500-600 किलोमीटर दूर. दिल्ली का बच्चा बिहार जा रहा है, बिहार का बच्चा इधर आ रहा है. तो इससे बेहतर ये है कि बच्चे के होमटाउन में या होम डिस्ट्रिक्ट में ही उसका एग्जाम कंडक्ट कराने के लिए आपको लैब की व्यवस्था करनी चाहिए. तीसरी बात ये है कि जो इंफ्रास्ट्रक्चर हो, जैसे- लैब के अंदर पेपर कंडक्ट हो रहा है. उसके सिस्टम्स अपडेटेड हों. उसका सारा इंफ्रास्ट्रक्चर नया हो. 10-15 साल पुराने सिस्टम में एग्जाम कंडक्ट नहीं करा सकते. चौथा, बच्चे को भरोसा दिया जाना चाहिए कि ये प्रोसेस एकदम फेयर है. जब लैब के अंदर मोबाइल चला जाता है और मोबाइल की वीडियो क्लिप्स वायरल होती हैं तो बच्चे समझते हैं कि कहीं ना कहीं अब भ्रष्टाचार का रोल है.”

उन्होंने पांचवी मांग रखते हुए कहा,

"आपको सिलेबस बड़ा क्रिस्टल क्लियर कर देना चाहिए कि ये सिलेबस है, जिसमें से हम आपका एग्जाम कंडक्ट कराएंगे. जैसे TCS ने दिया था. इन्होंने इस बार TCS के पैटर्न का फॉलोअप ही नहीं किया. सबसे बड़ी बात कि पूरे सिस्टम के अंदर ट्रांसपेरेंसी होनी चाहिए. पारदर्शिता होनी चाहिए. अगर यह कुछ मांगे सरकार मान लेती है SSC मान ले या इन पर गौर करे तो बच्चे को कोई मतलब नहीं है ट्वीट करने का, कोई मतलब नहीं है धरना प्रदर्शन करने का. वो आएगा अपना पेपर देगा और शांति से चला जाएगा और रिजल्ट भी समय पर प्रकाशित हो जाए. कैलेंडर के हिसाब से आप उसका रिजल्ट जारी कर दें और साफ-सुथरी प्रक्रिया के जरिए चयन करें."

अब अभ्यर्थियों की मांग है कि SSC खुद अपना सॉफ्टवेयर और सिस्टम तैयार करे. निजी कंपनियों को जिम्मेदारी देने का नतीजा यही होता है कि रिजल्ट आने से पहले ही परीक्षा विवादों में घिर जाती है. अभ्यर्थियों का कहना है कि ये सिर्फ एक पेपर नहीं बल्कि कई सालों की तैयारी है. ये लापरवाही उनके सपनों के साथ खिलवाड़ है. फिलहाल, इस पूरे मामले में फिलहाल SSC की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है.

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