साल 1995 में आई शाहरुख़ खान की फिल्म 'राम जाने' को 28 साल हो चुके हैं. इसे माइकल कर्टिज़ की फिल्म 'एंजल्स विद डर्टी फेसेज़' का रीमेक भी कहा जाता है. ये उस दौर की फिल्म है जब शाहरुख़ का करियर परवान चढ़ रहा था. शाहरुख इंडस्ट्री को ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ जैसी सुपरहिट फिल्म दे चुके थे. मगर इसके बाद इसी साल आई 'राम जाने' फ्लॉप हो गई. 'राम जाने' के राइटर विनय शुक्ला ने फिल्म के फ्लॉप हो जाने की वजह बताई है. उन्होंने बताया कि इस फिल्म के साथ क्या गलत हो गया.
कैसे 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' ने 'राम जाने' का नुकसान कर दिया था
'राम जाने' के राइटर विनय शुक्ला ने बताया कि शाहरुख फिल्म में बम्बई वाली भाषा बहुत ज़्यादा इस्तेमाल करने लगे थे. इस वजह से उनका कैरेक्टर खुलकर बाहर नहीं आ सका.

साल 2021 में विनय शुक्ला 'लव ऑफ सिनेमा' के पॉडकास्ट पर बतौर गेस्ट आए थे. यहां उन्होंने अपने राइटिंग करियर और फिल्मों पर बात की. इसी पॉडकास्ट में उन्होंने 'राम जाने' का भी ज़िक्र किया. नेशनल अवॉर्ड विनर रह चुके विनय शुक्ला से जब पूछा गया कि ‘राम जाने’ क्यों नहीं चली तो उन्होंने बताया कि शाहरुख़ उस समय पॉपुलैरिटी की सीढ़ी पर तेज़ी से चढ़ रहे थे. वो फिल्म में इतना घुस गए कि अपनी तरफ से डायलॉग दोहराने लगे.
विनय शुक्ला ने ये भी बताया कि शाहरुख ने कुछ डायलॉग्स का इस्तेमाल ज़रूरत से ज़्यादा किया. जैसे 'खल्लास', 'हलवा है क्या!' जैसे टपोरी वाक्यों का इस्तेमाल फिल्म में इतना ज़्यादा हुआ कि इन वाक्यों ने अपना पंच ही खो दिया. उन्होंने बताया,
एक्टर्स बहुत चतुर होते हैं. इंस्पेक्टर चेवटे का किरदार निभाने वाले पुनीत इस्सर बोले कि शाहरुख़ स्क्रीन पर अकेले बम्बईया भाषा बोलते हुए अच्छे नहीं लगेंगे, इसलिए वो भी उसी स्टाइल में बात करने लगे. मैंने जब सेट पर आकर ये देखा तो मुझे काफी दुःख हुआ. तभी स्क्रीन पर शाहरुख का कैरेक्टर खुल कर नहीं आ सका.
विनय ने 'राम जाने' के डायरेक्टर राजीव मेहरा और एडिटर की मिली-भगत को भी दोष दिया. उन्होंने बताया कि शाहरुख़ की पॉपुलैरिटी का फायदा उठाने के लिए डायरेक्टर राजीव मेहरा उनके सीन्स को काटना नहीं चाहते थे. इसी कारण फिल्म ज़रूरत से ज़्यादा लम्बी भी हो गई. शाहरुख ने विजय की राइटिंग को शेक्सपियर की तरह बताया था. मगर विनय के अनुसार फिल्म बनाने में डायरेक्टर का अप्रोच बहुत कैज़ुअल था. वो उसे इमैजिनेटिव टच देने में चूक गए. इन्हीं सब वजहों से फिल्म के सीन्स ने और कैरक्टर्स ने अपना एसेंस भी खो दिया.
पॉडकास्ट के होस्ट हिमांशु से हुई बातचीत में विनय ने शाहरुख़ के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा,
एक अभिनेता में अहंकार काफी बुरा लग सकता है पर शाहरुख़ थोड़ा हटके हैं. वो अगर आपको इम्प्रेस करने की कोशिश कर रहे हैं तो आप बुरा नहीं मानेंगे. वहीं अगर वो अपने अहंकार को छिपाने की कोशिश करेंगे तो वो फेक दिखेंगे. वो अपने अहंकार से निपटना जानते हैं. यही उनकी अदाकारी को एक इनोसेंट चार्म देता है.
विनय ने शाहरुख़ के साथ दोबारा काम ना करने का कारण भी बताया. उन्होंने शाहरुख़ के लिए एक गांव के लड़के का करैक्टर लिखा था. वहीं शाहरुख़ ठहरे शहरी किरदार निभाने वाले कलाकार. शाहरुख़ को ये किरदार पसंद नहीं आया और विनय समझ गए कि वो आगे शाहरुख़ के साथ काम नहीं कर पाएंगे. हालांकि विनय का मानना है कि अगर उन्हें दोबारा शाहरुख़ के साथ काम करने का मौका मिले तो वो चाहेंगे कि वो शाहरुख़ के लिए एक फ्रेश किरदार लिखें. एक ऐसा किरदार जो आतंरिक असमंजस में है. उस असमंजस से बाहर निकल कर वो अपनी कमियों पर काबू पाना चाहता है.
ख़ैर 'राम जाने' की बात करें तो ये 24 नवंबर, 1995 को रिलीज़ हुई थी. ये फिल्म एक लड़के के गैंगस्टर बनने की कहानी थी. शाहरुख़ के साथ फिल्म में जूही चावला, विवेक मुशरान, पुनीत इस्सर, पंकज कपूर, देवेन वर्मा जैसे कलाकारों ने भी काम किया था.
ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहीं खुशी वत्स ने लिखी है.
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