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शाहरुख की 'रा.वन' का एनिमेशन बनाने वाली चारू की फैमिली को 62 लाख का मुआवज़ा क्यों मिल रहा?

Charu Khandal का 2012 में एक भयंकर एक्सीडेंट हुआ था. जिसके पांच साल बाद यानी 2017 में उनकी मौत हो गई थी. चारू Shahrukh Khan की Red Chillies Entertainment से जुड़ी हुई थीं.

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रा.वन जिस वक्त आई थी उस वक्त लोगों ने इसे बिल्कुल पसंद नहीं किया था. मगर इसके एनिमेशन के लिए चारू की खूब तारीफ हुई थी. उन्हें कई अवॉर्ड्स भी मिले थे.

Shahrukh Khan की साल 2012 में आई फिल्म Ra.One के एनिमेशन की हमेशा तारीफ हुई. इस एनिमेशन को बनाने वाली Charu Khandal की 2017 में मृत्यु हो गई थी. अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने चारू के परिवार को 62 लाख रुपये का मुआवज़ा देने वाले फैसले को बरकरार रखा है. दरअसल, Motor Accidents Claim Tribunal (MACT) के दिए गए मुआवज़े को बीमा कंपनी ने कोर्ट में चुनौती दी थी. मगर अब अदालत ने इस पर सुनवाई की है.

चारू, शाहरुख खान की रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट के लिए काम करती थीं. मार्च 2012 में उनके, उनकी बहन ऋतु और उनके दोस्त विक्रांत गोयल के साथ एक दर्दनाक हादसा हुआ. वो ऑटो से जा रहे थे. मुंबई के ओशिवारा में तेज़ रफ्तार से आती हुई काली होंडा सिटी ने उनके ऑटो को तेज़ी से टक्कर मार दिया. इस घटना के बाद चारू को गंभीर चोटें आईं. वो और उनके दोस्त कोमा में चले गए. चारू की बहन को ज़्यादा चोट नहीं आईं. रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण चारू के शरीर का निचला हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया.

इस घटना के कुछ दिनों बाद शाहरुख खान के प्रोडक्शन हाउस ने कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर उन्हें वापिस काम पर रखा. शाहरुख, चारू और उनके परिवार से मिलने उनके घर भी गए. मगर साल 2017 में लगभग पांच साल बाद चारू का निधन हो गया. उन्हें इंफेक्शन हो गया था. जो धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल गया था.

साल 2020 में MACT ने चारू के परिवार को दायर दावे के आधार पर मुआवज़ा देने का आदेश दिया था. जबकि बीमा कंपनी ने ट्रिब्यूनल के आदेश को कोर्ट में चुनौती दी थी. बीमा कंपनी का कहना था कि चारू की मौत का उनके कार एक्सीडेंट से कोई लेना देना नहीं है. कंपनी ने कुछ मेडिकल बिलों के ना होने जैसे टेक्निकल कमियों के तर्क भी दिए थे.

मगर अब बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस गिरिश कुलकर्णी और अद्वैत सेठना ने बीमा कंपनी की अपील को खारिज कर दिया है. बेंच ने कहा है कि परिस्थितियों को देखते हुए ये मुआवज़ा उचित था. उन्हें अपनी सुनवाई में कहा,

''पूरा मुआवज़ा मिलना उचित है. मगर उचित मुआवज़ा मिलना आदर्श होना चाहिए. हर मामले का फैसला उसके तथ्य के हिसाब से किया जाना चाहिए. इस मामले को दुखद तथ्यों को देखते हुए, न्याय के उद्देश्य को पूरा करने के लिए कम से कम जो किया जा सकता है, वो है मृतक के परिवार को उचित मुआवज़ा देना.''

कोर्ट ने बीमा कंपनी की उनके  दायित्वों से बचने और बहुत ज़्यादा टेक्निकल तर्क का उपयोग करने की आलोचना की. कोर्ट ने कहा कि इस तरह की रणनीति का इस्तेमाल करके परिवार को मुआवज़ा मिलने से रोका नहीं जा सकता.

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