'नीरजा' देखने जाओ, पर शबाना के लिए
Film Review: हफ्तों बाद बॉलीवुड को अच्छी फिल्म मिली है. चिंदी लोग भी डाउनलोड करने का इंतजार न करें.
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फोटो - thelallantop
कई हफ्तों बाद आज लगा कि अच्छी पिक्चर देखी. पिक्चर का नाम नीरजा. कहानी वो है जो आपको मालूम है. 80 के दशक में मॉडलिंग करने वाले एक इंडियन लड़की. जो अपने कमीने पति से तलाक ले लेती है क्योंकि वो उसे मॉडलिंग छोड़ने के लिए कहता है. फिर नीरजा बन जाती है एयर होस्टेस. और अपने क्रू की मदद से सैकड़ों लोगों को बचा लेती है जो हाईजैक हो चुके जहाज में फंसे हुए हैं. पिक्चर में कुल दो ही जगहें हैं जहां शूटिंग हुई है. एक नीरजा का घर, और एक हवाई जहाज. एक्को गाना ऐसा नहीं जो बीच में आता हो. कोई जोक नहीं. पूरी फिल्म सीरियस. पर किसी भी जगह फिल्म बोरिंग नहीं लगी. एक भी सीन फालतू नहीं लगा. अच्छी बात ये है कि फिल्म के टाइटल को निभाया गया है. मतलब सही मायनों में फिल्म 'नीरजा' पर बनी है. 23 साल की लड़की. जिसे बचपन से मां ने 'एडजस्ट' करना सिखाया. पर वो कर नहीं पाई. उसने खाना बनाना नहीं सीखा. क्योंकि नहीं सीखना चाहती थी. मॉडलिंग करना चाहती थी. ये जानना जरूरी नहीं कि फिल्म में उसके एक्स-पति या बॉयफ्रेंड का रोल किसने किया. ऐसा नहीं कि नीरजा डरती नहीं, रोती नहीं, टूटती नहीं. उसमें फौजियों सी 'मर्दानगी' नहीं. और अगर होती तो शायद इतनी जानें न बचतीं. उसमें गुस्से में बौराए आतंकवादियों को दिमाग और धीरज से हैंडल करती है. बात देश की या तिरंगे की नहीं, इंसानों की थी, जो हर मुल्क से आए थे. जब उसका सर बंदूक की नोक पर होता है, वो बचपन से लेकर अपने तलाक तक की सारी अच्छी-बुरी बातें याद करती है. प्रेमी का खत पढ़ती है. चॉकलेट पाई खाती है. और बच्चों की जान बचाते हुए मर जाती है. फिल्म के पहले सीन से ही जनता की आंखें स्क्रीन से चिपक जाती हैं. फिर या तो इंटरवल में हटती हैं, या फिल्म के खत्म होने के बाद. बहुत सारे लोग फिल्म के अंत में रोते हुए मिलते हैं. और बहुत से लोग लास्ट वाली कास्टिंग खत्म होने तक बैठे रहते हैं. इसे सोनम कपूर की सबसे तोड़ू परफॉरमेंस माना जा सकता है. थैंक्स टू राम माधवानी. लेकिन भैयाजी फिल्म में किसी ने एक्टिंग की है तो वो है शबाना आजमी. बिलकुल मम्मी-मम्मी जैसी मम्मी लगती हैं वो. सिर्फ इनके लिए भी फिल्म देखने जाया जा सकता है. गाने अच्छे हैं. चार ही हैं. लेकिन बढ़िया हैं. लिरिक्स शानदार हैं. थैंक्स टू प्रसून जोशी. तो हमारा कहना ये है कि फिल्म देख आओ. चिंदी लोग भी डाउनलोड करने का इंतजार न करें. और अगर पिछले कुछ हफ्तों से अनम-सनम टाइप की पिक्चरों में सर फोड़ रहे थे तो जरूर जाएं. अच्छा लगेगा.
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