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NSD के छात्र स्कूल प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठ गए

छात्रों का कहना है कि NSD में कई किस्म की दिक्कतें हैं, जिसकी वजह से NSD सही तरीके से फंक्शन नहीं कर पा रहा.

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पहली तरफ NSD स्टूडेंट यूनियन की ओर जारी किए गए बयान का स्क्रीनशॉट. दूसरी तरफ नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा.

National School of Drama (NSD) के छात्र स्कूल प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठ गए हैं. उनका ये प्रदर्शन 3 अक्टूबर से चल रहा है. इनमें से एक छात्र 6 अक्टूबर की सुबह से भूख हड़ताल पर बैठे हुआ है. छात्रों की कुछ मांगें हैं, जिनके लिए वो 11 मई और 22 सितंबर को NSD के चेयरमैन को ख़त लिख चुके हैं. मगर न अब तक चेयरमैन के दफ्तर से किसी तरह का कोई जवाब आया है, न ही वो छात्रों से मिलने के लिए तैयार हुए हैं. इसकी वजह से स्कूल सही तरीके से फंक्शन नहीं कर पा रहा.    

NSD के छात्रों की क्या मांगें हैं, वो हम क्रमवार तरीके से आपको नीचे बता रहे हैं-

1) पर्मानेंट आर्टिस्टिक डायरेक्टर की नियुक्ति

जब से पिछले डायरेक्टर रिटायर हुए हैं, तब से NSD सोसाइटी ने कोई भी पर्मानेंट डायरेक्टर नियुक्त नहीं किया है. बीते चार सालों में कई लोग अंतरिम तौर पर नियुक्त किए गए हैं. जिससे थिएटर आर्टिस्ट और संस्थान पर बुरा प्रभाव पड़ा है. NSD के छात्र एक ऐसे पर्मानेंट डायरेक्टर की नियुक्ति की मांग कर रहे हैं, जो थिएटर प्रैक्टिशनर हो. और थिएटर के भविष्य को लेकर उनका कोई विज़न हो.

2) पर्मानेंट फैकल्टी की नियुक्ति

छात्रों के मुताबिक स्कूल में कुल 6 पक्के फैकल्टी मेंबर हैं. ये सभी लोग पुरुष हैं. बाकी के बचे हुए पद खाली पड़े हैं. इसकी वजह से छात्रों को कलात्मक गाइडेंस नहीं मिल पा रही है. जो भी क्लास हो रही है, उसकी गुणवत्ता प्रभावित हो रही है.

3) डायरेक्टर और फैकल्टी की नियुक्ति में पारदर्शिता

a) छात्रों को डायरेक्टर और डीन के ऑफिस से जानकारी दी गई है कि 2018 के बाद से दो बार फैकल्टी और डायरेक्टर के लिए इंटरव्यू हो चुके हैं. मगर उस आधार पर किसी को नियुक्त नहीं किया गया. इससे नियुक्ति की प्रक्रिया में छात्रों का भरोसा खत्म हो गया है. इस लिए वो फैकल्टी और डायरेक्टर के अपॉइन्टमेंट प्रोसेस में पारदर्शिता की मांग करते हैं.

b) छात्रों का ये भी कहना है कि बीते दिनों जो भी फैकल्टी नियुक्त की गई, उनकी क्वॉलिटी पर गंभीर सवाल उठे. इसलिए छात्रों की मांग है कि फैकल्टी की नियुक्ति में बाकायदा फीडबैक मेकैनिज़्म की शुरुआत की जाए.  

4) अकैडमिक शेड्यूल की प्रॉपर प्लानिंग और डीन का बदलाव

छात्रों की मांग है कि उन्हें अकैडमिक इयर में क्या पढ़ाया जाना है और उसे कौन से टीचर पढ़ाएंगे, इसकी जानकारी 6 महीने पहले दी जाए. डीन जिन भी टीचर्स को पढ़ाने के लिए बुलाते हैं, वो ऐन वक्त पर भेजे गए बुलावे की वजह से नहीं आ पाते. तमाम जुगाड़ों के बाद जो भी टीचर आने को तैयार होते हैं, उसकी जानकारी छात्रों तक पहुंचने में कई दिन लग जाते हैं. इससे अकैडमिक इयर के कई दिन बर्बाद हो जाते हैं.

इसलिए छात्रों की मांग है कि नए डीन नियुक्त किए जाएं, जो स्कूल को बेहतर तरीके से चला पाएं.

5) रजिस्ट्रार का बदलाव

रजिस्ट्रार की अक्षमता की वजह से स्कूल की रोज़ाना की फंक्शनिंग में दिक्कत आती है.

a) छात्रों को नाटक के प्रोडक्शन के लिए दिया जाने वाला बजट दिन ब दिन कम किया जा रहा है. और जो भी पैसे उन्हें दिए जाते हैं, वो बिल्कुल आखिरी समय में दिए जाते हैं. इससे छात्र अपने प्रोडक्शन के लिए सेट मटीरियल या कॉस्ट्यूम सही वक्त पर नहीं खरीद पाते. इससे उनके नाटक की क्वॉलिटी खराब होती है.

b) जो भी गेस्ट फैकल्टी बच्चों को पढ़ाने के लिए बुलाया जाता है, उन्हें ढंग की रुकने की जगह नहीं दी जाती. न ही उन्हें समय पर उनके पैसे दिए जाते हैं. इसलि वो अगली बार आने से इन्कार कर देते हैं. ये करके स्कूल छात्रों की शिक्षा की क्वॉलिटी के साथ समझौता कर रहा है.

छात्रों की और भी कई मांगें हैं, जिनमें से ये सबसे बड़ी और ज़रूरी मांगे हैं. इंस्टिट्यूशनल हेड की अनुपस्थिति, इनमें से अधिकतर समस्याओं की जड़ है. छात्रों का कहना है उनकी ये मांगें पूरी की जाएं. NSD के चेयरपर्सन आकर उनसे मिलें और उनकी समस्याएं हल करने में मदद करें. अगर ऐसा नहीं होता, वो लोग स्कूल के रिसेप्शन एरिया में अपना धरना-प्रदर्शन जारी रखेंगे. 

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