हंता वायरस से एक शख्स की मौत. चीन में कोरोना के बाद हंता वायरस से हड़कंप.कुछ देर में ही हंता वायरस पर सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हो गई. टि्वटर पर यह सबसे ऊपर ट्रेंड कर रहा था.
कोरोना के बाद चीन में हंता वायरस का प्रकोप. एक व्यक्ति की मौत एवं 24 लोग संदिग्ध. चीन कौन-कौन सा वायरस लांच करेगा भाई.

हंता वायरस टि्वटर पर सबसे ऊपर ट्रेंड कर रहा था.
बता दें कि हंता वायरस से चीन में एक व्यक्ति के मरने की खबर सही है. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने खबर दी है. इसमें लिखा है कि युन्नान प्रांत में 23 मार्च को एक व्यक्ति की मौत हो गई. मारा गया व्यक्ति काम पर जा रहा था इसी दौरान बस में उसकी मौत हो गई. बस में 32 लोग और सवार थे. उनकी जांच की जा रही है.
क्या है हंता वायरस
कोरोना वायरस की ही तरह हंता वायरस भी वायरस की एक फैमिली का नाम है. ये मुख्य रूप से रॉडेन्ट्स से फैलता है. रॉडेन्ट्स जैसे कि चूहे. ये वायरस मुख्यत: चूहों के मल, पेशाब या लार से फैलता है.लेकिन कैसे?
मान लीजिए कि आपके घर में चूहे हैं. घर में उसने कहीं मल या पेशाब कर दिया है. तो घर की सफाई के वक्त मल से आपका नज़दीकी संपर्क होगा. और वायरस आपकी सांस के साथ आपके शरीर में चला जाएगा.
हो ये भी सकता है कि आप चूहों की गंदगी को छू लें. और बिना हाथ धोए खाने बैठ जाएं. इस केस में भी वायरस आपके शरीर में चला जाएगा. चूहे के काटने से भी ये वायरस आपके शरीर में फैल सकता है. यानी अगर आपके घर के अंदर या आसपास चूहों का बसेरा है, तो हंता वायरस का खतरा हो सकता है.

ये कोरोना वायरस से कम इन्फेक्शियस है क्योंकि इसमें इंसान से इंसान में ट्रांसमिशन जैसा कुछ नहीं होता. मतलब इसका खतरा सिर्फ चूहों से ही हैं. एक बहुत ही रेयर केस में एंडीज़ वायरस (हंता वायरस फैमिली मेंबर) में इंसान से इंसान में ट्रांसमिशन देखा गया है. लेकिन इसकी फैटेलिटी रेट 38% है. यानी इस बीमारी के संपर्क में आने पर 100 में से 38 लोग मर जाते हैं. यह कोरोना वायरस से काफी ज़्यादा है. कोरोना वायरस इन्फेक्शन हुआ तो बचने के चांस ज़्यादा हैं. हंता वायरस हुआ तो कम.
लेकिन ये हंता वायरस करता क्या है?
ये भी कोरोना वायरस की तरह सांस नली से अंदर जाता है और सांस लेने में बाधा बन जाता है. कोरोना वायरस वाली बीमारी का नाम SARS यानी Severe Acute Respiratory Syndrome है. हंता वायरस वाली बीमारी का नाम है HPS. यानी Hantavirus pulmonary syndrome. मतलब वही है - फेफड़ों से जुड़ी बीमारी.लक्षण भी लगभग सेम हैं - बुखार, उल्टी, जी मचलना, मांसपेशियों में दर्द, सांस लेने में तकलीफ आदि. बीमारी के लक्षण एक से आठ सप्ताह के दौरान दिखाई देते हैं.

हंता वायरस इंसानों से इंसानों में नहीं फैलता है. यह चूहे से ही फैलता है.
इस वायरस का कोई खास जियोग्राफिकल ओरिजिन नहीं है. इस फैमिली के अलग-अलग वायरस अलग-अलग देशों में पाए गए हैं. अमेरिका, कैनेडा, चीन, रूस, थाइलैंड आदि. अलग-अलग सालों में इसके कई केस भारत में भी देखे गए हैं. 2008 में पहली बार भारत में इसका पता चला. जब तमिलनाडु की चूहे और सांप पकड़ने वाली इरूला जाति के कुछ लोगों को इसका इन्फेक्शन हुआ. 2016 में हंता वायरस इन्फेक्शन से एक बच्चे की मौत भी हुई थी.
इलाज
हंता वायरस के लिए कोई स्पेसिफिक टीका या दवा नहीं है. इसमें मरीज को लगातार ऑक्सीजन सप्लाई दी जाती है. साथ ही लगातार शरीर में ग्लूकोज, इलेक्ट्रोलायट जाते रहना चाहिए. इसके लिए भी जरूरी है कि जल्द से जल्द बीमारी का पता लगाया जाए. लेकिन यह इंसान से इंसान में नहीं जाती है इसलिए डरने की जरूरत नहीं. बस अपने आसपास चूहों का ध्यान रखिए.
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