
संतोष मिश्रा और उनका पूरा परिवार.
# कहानी क्या है अगर आपने 2019 में इसके पहले सीज़न को देखा है तो आपको पता ही होगा कि ये संतोष मिश्रा के परिवार की कहानी है. एक मिडिल क्लास फैमिली के चार लोगों की. 1. पिता, जो ईमानदार और बड़े ठंडे दिमाग का है. बिजली विभाग में क्लर्क है. बच्चों से हंसी-मज़ाक करता है और अपनी पड़ोसन यानी 'बिट्टू की मम्मी' पर हमेशा तंज कसता रहता है. उसे चिकन और सिल पर पिसी हुई धनिए की चटनी खाना खूब पसंद है. 2. घर की हेड यानी शांती मिश्रा. ये थोड़े गर्म मिज़ाज वाली हैं. जब भी मुंह खोलती हैं, चिल्लाती हैं. मगर सब की दुलारी हैं. ज़रा सा नाराज़ हो जाएं या बीमार पड़ जाएं, तो मर्दों से भरा घर उनकी सेवा में लग जाता है. 3. तीसरे मेंबर हैं घर के बड़े सुपूत अन्नू. जो पहले सीज़न में एसएससी की तैयारी कर रहे थे. मगर उन्हें नौकरी नहीं मिली. 4. सबसे छोटे हैं अमन. ये खास इसलिए हैं क्योंकि गणित जैसे सब्जेक्ट में रट्टा मारकर भी परीक्षा में कमाल के नंबर ले आए हैं.
इन सभी के अलावा जो सबसे खास सदस्य है, वो है 'गुल्लक'. मिट्टी का 'गुल्लक' जिसके मुंह से आप मिश्रा परिवार की कहानी सुनते हैं.

संतोष मिश्रा के बड़े बेटे अन्नू मिश्रा.
# ज़्यादा कुछ नहीं बदला पांच एपिसोड की इस सीरीज़ में डेली डोज़ की कहानियां हैं. जो आपने अपने आस-पास महसूस की होंगी. पहले सीज़न और दूसरे सीज़न में ज़्यादा कुछ नहीं बदला. बस घर के दरवाज़ों का रंग चेंज हुआ है और बरामदे में लगा मनी प्लांट थोड़ा घना हो गया है. बाकी सब वही है. पिता, जो रात बिस्तर पर सोने से पहले अपनी आर्थिक स्थिती के बारे में सोचता है. ईमानदारी के जीवन से तंग आ चुका है. रिश्वत लेने की ठानता है मगर फिर पकड़े जाने के डर से अपने दिमागी फितूर को निकाल देता है. मां, जिसे शुगर हो गया है और पूरा घर उसकी देख रेख में जुटा है. बेरोज़गार अन्नू जो किसी तरह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता है. अमन, जिसका इस साल बोर्ड एग्ज़ाम है और पूरे घरवाले उसे पढ़ाई से जुड़े ताने मारते रहते हैं.
कुल जमा बात ये है कि इसमें फुटकर खुशियों का अंबार है. जैसे डिनर के बाद मिडिल क्लास फैमिली की आईसक्रीम ट्रीट, बेटे के एक्ज़ाम में पास हो जाने पर पेस्ट्री-कोल्ड ड्रिंक वाली पार्टी और मोहल्ले की आंटियों संग मम्मी की किट्टी पार्टी की तैयारी. जिसमें चाय के साथ दही बड़ा परोसा जाता है.

मिश्रा परिवार का ''गुल्लक'', जिसका नरेशन शिवांकित सिंह परिहार ने किया है.
# क्या खास है? अक्सर जब हम किसी मिडल क्लास फैमिली पर बनी वेब सीरीज़ की बात करते हैं, तो या तो उसमें पैसों की कमी दिखाई जाती है, या कोई लव स्टोरी. 'गुल्लक' में ऐसा कुछ नहीं है. मिश्रा जी की भाषा में कहें तो सीरीज़ में कहानी, एक्टिंग और राइटिंग का परफेक्ट मसाला पड़ा है. ह्यूमर है, मगर सिर्फ इतना जिससे आपके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ जाए. इमोशन कूट-कूट कर पड़ा है. पलाश वासवानी का डायरेक्शन कमाल का है. जिन्होंने छोटी-छोटी चीज़ों को परफेक्टली स्क्रीन पर दिखाया है. पलाश इससे पहले एमएक्स प्लेयर की वेब सीरीज़ 'चीज़केक' का भी डायरेक्शन कर चुके हैं. जो एक कपल और उनके डॉग की कहानी है.

गीतांजली कुलकर्णी यानी शांति मिश्रा.
दुर्गेश सिंह की राइटिंग भी अच्छी है. कुछ लाइनें तो ऐसी हैं जिन्हें उस कैरेक्टर से पहले आप खुद ही बोल देते हैं. जैसे अन्नू का तकियाकलाम 'आपको नहीं पता?' राइटिंग में सटायर भी भरपूर है. मसलन 'बिजली का बिल ज़्यादा आने पर दिल्ली शिफ्ट होने वाली बात'. 'लड़कियों से ज़्यादा लड़कों को पढ़ाई की ज़रूरत है' वाली बात. कुछ सीन्स कमाल के लिखे हैं, जैसे किट्टी में खाने का 'मैन्यू' क्या होगा वाले डिस्कशन में घर के चारों सदस्य अलग-अलग तरह से इस शब्द को दोहराते हैं.
# फैमिली शो कहानी और राइटिंग के बाद अब बात करते हैं एक्टिंग की. संतोष यानी जमील खान ने अपना सौ प्रतिशत दिया है. जमील को हम इससे पहले 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' और 'रामलीला' जैसी फिल्मों में सीरियस रोल करते देख चुके हैं. यहां उनकी कॉमिक टाइमिंग भी कमाल की है. एक सीन में तो उन्होंने टिपिकल फूफा वाला किरदार निभाया है. वो फूफा, जो भतीजी के घर से आए शादी के कार्ड पर 'सपरिवार' ना लिखा देखकर मुंह फुलाए बैठा है. शांति मिश्रा यानी गीतांजलि कुलकर्णी भी मां और पत्नी के परफेक्ट रोल में दिखी हैं. 'ऑपरेशन एमबीबीएस' की खड़ूस डीन और 'ताजमहल 1989' की फ्रस्ट्रेटेड वाइफ से बिल्कुल हटकर किरदार उन्होंने यहां निभाया है.
अन्नू यानी वैभव राज गुप्ता ने कई सीरीज़ में छोटे-छोटे किरदार किए हैं. इस हिसाब से यहां उन्होंने अपना बेस्ट दिया है. एक सीन में उनका किरदार इमोशनल हो कर रोने लगता है. जिसे देखकर आप भी इमोशनल हो जाते हैं. हर्ष मायर की तो बात ही क्या! वो बचपन से एक्टिंग के उस्ताद हैं. 2010 में आई 'आई एम कलाम' मूवी में छोटू का किरदार किसे याद नहीं होगा. गुल्लक में भी उनकी एक्टिंग और एक्सप्रेशन्स आउटस्टैंडिंग हैं. दोनों भाईयों की केमेस्ट्री कमाल है. जो लड़ते भी हैं मगर एक-दूसरे का सपोर्ट सिस्टम भी हैं.

सुनीता राजवर एक बार फिर चमकी हैं.
'बिट्टू की मम्मी' यानी सुनीता राजवर को भी इसमें ठीक-ठाक जगह मिली है. इन्हें आपने रिसेंटली 'मसाबा-मसाबा' सीरीज़ में देखा होगा. 'बाला' में ये आयुष्मान खुराना की मम्मी भी बन चुकी हैं. ऐसा ही किरदार 'गुल्लक' में है. इंडियन सोसायटी की टिपिकल पड़ोसन हैं ये बिट्टू की मम्मी. उनके फेस के एक्सप्रेशन देखकर ही आपको हंसी आने लगती है.
तो अगर घिसी-पिटी और रोने-धोने वाली कहानियों को देखकर जी भर चुका है, एक्शन से कतराते हैं, लवी-डबी वाली सीरीज़ देखकर नींद आने लगती है तो बदलाव के लिए 'गुल्लक' का ये दूसरा सीज़न देख सकते हैं.