The Lallantop

वो 4 किस्से जब बाथटब रहा था बड़ी खबर का बड़ा हिस्सा

मृत्यु, बॉडी शेमिंग, राजनीति, और साइंस तक से जुड़ा है बाथटब.

Advertisement
post-main-image
फोटो - thelallantop
भारत में बाथटब पिछले दो दिनों से बहुत कुख्यात हो गया है. कारण है कि इसी के चलते अस्सी के दशक की सबसे बड़ी अभिनेत्री – श्रीदेवी - की मृत्यु कम उम्र में हो गई.
इसी सिलसिले तस्लीमा नसरीन ने ट्वीट किया है कि - स्वस्थ व्यस्क बाथटब में ‘एक्सीडेंटली’ नहीं ‘डूब’ जाते. साथ ही में 2008 का एक लेख भी मार्ली स्ट्रोंग का इसी शीर्षक वाला लेख भी शेयर किया है. दरअसल ऑटोप्सी रिपोर्ट में कहा गया था कि श्रीदेवी की मृत्यु बाथटब में ‘एक्सीडेंटली डूबने’ से हुई. तो इसी ‘एक्सीडेंटली डूबने’ पर तस्लीमा नसरीन ने तंज़ कसा है. sri-devi-cover-1_250218-083925 तस्लीमा के अलावा भी कई लोगों का ये सवाल है कि क्या बाथटब में डूब के कोई व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो सकता है?
हमने इतिहास छाना तो पता चला कि एक दो नहीं कितनी ही मृत्यु बाथटब में हुई हैं. सारे नहीं भी तो, जिन लोगों ने बाथटब में अंतिम सांसें लीं उनमें से कई लोग किसी भी नशे के प्रभाव में नहीं थे और साथ ही इतने वृद्ध भी नहीं थे कि मदद न प्राप्त कर सकें.
कारण से ज़्यादा मैं यहां पर प्रायिकता की बात करूंगा. क्या आपको पता है कि डूबने, कूदने या एक्सीडेंट से नहीं सबसे ज़्यादा मौतें बेड यानि बिस्तर पर होती हैं. क्यूंकि एक तो आदमी बहुत ज़्यादा समय बिस्तर में रहता है, दूसरा जब वो बीमार होता है तब बिस्तर पर रहता है और तीसरा इंसान का शरीर सबसे ज़्यादा नाज़ुक सुबह तीन चार बजे होता है, जब वो सबसे गहरी नींद में सो रहा होता है. कहने का मतलब ये कि इंसान की मृत्यु हर उस जगह पर हो सकती है और हुई है जहां पर उसकी पहुंच है. और किसी भी उस वजह से हो सकती है, जिससे संभव है. कहीं एक लेख पढ़ा था कि आपकी बाथरूम में मरने की संभावना किसी शार्क द्वारा मार दिए जाने से अधिक है. और ये ग़लत भी नहीं लगता. अब मुझ जैसा आदमी; जो यूपी, एमपी में रहता है; शार्क के हमले से नहीं मर सकता.
हम ये दावा नहीं कर रहे हैं कि श्रीदेवी की मृत्यु बाथटब में डूबने से ही हुई है, बस हम ये कह रहे हैं कि ऐसा असंभव नहीं है.

# जिम मोरिसन

Jim Morrison मेरे प्रिय गीतों में शुमार ‘पीपल आर स्ट्रेंज, व्हेन यू आर स्ट्रेंजर’ गाना जिस बैंड ने गाया था (दी डोर्स), उसके लीड सिंगर - जिम मोरिसन – वो भी ऐसे ही मरे थे. यानी अपने देश (अमेरिका) से दूर फ़्रांस के अपने अपार्टमेंट में बाथटब के भीतर. कहा जाता है कि फ़्रांस में ऑटोप्सी करना ज़रुरी नहीं होता इसलिए नहीं की गई, और उनके मरने की वजह हार्ट अटैक बताई गई. जिम मोरिसन, कुख्यात क्लब – क्लब 27 के भी सदस्य थे. क्लब 27 के बारे में केतन ने विस्तार से एक कॉपी की है - सिंगर्स के सबसे बदनसीब क्लब का ये मेम्बर भगवान को गे कहता था

# एल्विस प्रेस्ली

Elvis एल्विस प्रेस्ली के बारे में कहा जाता है कि वो बाथटब में नहीं भी तो बाथरूम में तो मरे ही थे. होने को उनकी मृत्यु को लेकर अभी भी कई फैन-थ्योरिज़ हैं. क्यूंकि उनके फैन थे ही इतने सारे. उनके गीत मार्गरीटा के म्युज़िक पर मु. रफ़ी ने - कौन है जो सपनों में आया – गाया था. लेकिन एल्विस प्रेस्ली को केवल इस गीत के लिए ही नहीं जाना जाता, वे अपने दौर में सबसे बड़े सिंगर थे, सेलिब्रेटी थे, सुपर स्टार थे और एक फ़िनोमिना हो गए थे. इतना कि उनकी मौत पर उस वक्त के अमेरिकन राष्ट्रपति जिम कार्टर तक ने एक बयान जारी करके कहा कि – एल्विस प्रेस्ली ने अमेरिकन पॉप-कल्चर का रुख हमेशा-हमेशा के लिए बदल दिया था. उम्र के आखिरी दौर में प्रेस्ली काफी मोटे हो गए थे, काफी बीमारियों ने उन्हें घेर लिया था. उनकी मृत्यु के बाद ऑटोप्सी अभी हुई नहीं थी लेकिन मेम्फिस के डॉक्टर जैरी फ्रांसिस्को ने पहले ही घोषणा कर दी कि मौत का कारण कार्डिएक अटैक था.
ये कन्फ्यूजन श्रीदेवी की मृत्यु के कन्फ्यूजन से काफी मिलता जुलता था.
दो महीने बाद आई दो लेब रिपोर्ट्स में यह बताया गया कि पॉली-फार्मेसी (ढेर सारी दवाइयों और उनकी ओवर डोज़) मौत का मुख्य कारण था. एक रिपोर्ट में कहा गया कि मृत्यु के वक्त एल्विस के शरीर में चौदह ड्रग्स पाए गए जिसमें से दस ड्रग्स काफी मात्रा में थे.

# विलियम हॉवार्ड टैफ़्ट

Taft विलियम हॉवार्ड टैफ़्ट की ये कहानी बाथटब की कहानी तो है पर मृत्यु की नहीं है. कहा जाता है कि विलियम हॉवार्ड टैफ़्ट अपने मोटापे के चलते एक बार बाथटब में फंस गए थे. होने को एक अख़बार के मुताबिक उनका बाथटब बहुत बड़ा था जिसके डाइमेंशन किसी तालाब सरीखे थे और जिसमें सामान्य कद काठी के चार लोग आराम से आ सकते थे.
कुछ के अनुसार कई पुरुषों ने मिलकर उन्हें बाथटब से निकालने का प्रयास किया. कुछ का तो यहां तक कहना है कि उन्हें बाहर निकालने के लिए बटर जैसी किसी चिकनी चीज़ का इस्तेमाल किया गया था.
लेकिन ऑफिशियल रिपोर्ट में कहीं कोई ऐसी बात नहीं. और बात नहीं है तो इस बात का कहीं खंडन भी नहीं है. टैफ़्ट की बाथटब में फंसने की कहानी उनके राष्ट्रपति रहने के दौरान बनाए गए चुटकुलों में से एक कही जाती है. विलियम हॉवार्ड टैफ़्ट अमेरिका के आज तक के सबसे मोटे राष्ट्रपति हैं. वे अपने मोटापे के चलते बहुत कुख्यात थे. होने को बाद में उन्होंने 70 पाउंड्स वजन कम किया मगर फिर भी तब तक वो हर जगह ‘बॉडी शेमिंग’ के शिकार हो चुके थे.

# आर्किमिडीज

Archimedes सिरैक्यूज़ के राजा ने अपने स्वर्णकर को मुकुट बनाने के लिए कुछ सोना दिया. कुछ दिनों के बाद, सुनार राजा को समक्ष मुकुट लाया. मुकुट तौला गया. मुकुट का वजन राजा द्वारा दिए गए सोने के बराबर था. लेकिन राजा को मिलावट का संदेह था. राजा सत्य को जानना चाहता था. उसने अपने अदालत के वैज्ञानिक आर्किमिडीज से पता लगाने के लिए कहा. आर्किमिडीज ने सोने की समस्या को लेकर दिन-रात एक कर दिया. एक बार वह नहाते वक्त भी इसी सोच में डूबा था. उसने बाथटब पर ध्यान नहीं दिया. बाथटब पानी से लबालब भर गया था. वो अपनी सोच में था और उस बाथटब में घुस गया. बाथटब में घुसते ही कुछ पानी बाहर छलक गया. ये देखकर वो नग्नावस्था में भी अपने बाथरूम से भागकर राजा के पास चला गया. रास्ते भर चिल्ला रहा था – यूरेका! यूरेका! ग्रीक में यूरेका का अर्थ होता है – मुझे मिल गया है.
बहरहाल सवाल ये है कि आर्किमिडीज को मिला क्या? आर्किमिडिज़ को दरअसल ‘उत्प्लावन बल’ का सिद्धांत मिल गया था. – अलग-अलग पदार्थों के एक समान वजन का घनत्व अलग-अलग होता है. और जिसका जितना ज़्यादा घनत्व होगा वो उतना पानी विस्थापित करेगा.
घनत्व को ऐसे समझें कि रुई का घनत्व लोहे से कम होता है इसलिए ही तो रुई एक किलो में ढेर सारी आ जाती है जबकि लोहा कम. अब इसी सिद्धांत के आधार पर बड़े बड़े जहाज बनाए जाने लगे.
तो कहना गलत न होगा कि – ‘यदि उत्प्लावन बल न होता तो लकड़ी पानी में नहीं तैरती और अगर उत्प्लावन-बल खोजा न जाता तो लोहा पानी में न तैरता.’
ऊपर के कथन का मतलब ये है कि उत्प्लावन बल तो खोजे जाने से पहले भी था ही इसलिए ही लकड़ी तैरती थी, लेकिन खोज लिए जाने के बाद लोहे के भी ऐसे-ऐसे आकार बनाए गए कि वो डूबें नहीं. तो इसलिए ही मित्रों - ‘एक्सीडेंट’ ही नहीं बाथटब में ऐसा ‘एक्पेरिमेंट’ भी हुआ है जो आज भी हम सब को ‘डूबने’ से बचाता है.

# फखरुद्दीन

Bath Tub - Featured 10 दिसंबर 1975. देश में आपातकाल लगे हुए 6 महीने होने को आए थे. इंडियन एक्सप्रेस में एक कार्टून छपा. इसमें देश के राष्ट्रपति फखरुद्दीन को बाथटब में लेते हुए दिखाया गया था. इस कार्टून में वो यह कहते देखे जा सकते थे, “अगर उनके पास और कोई ऑर्डिनेंस है तो उनको बोलो कि थोड़ा इंतजार करें.” आपातकाल के खिलाफ यह अबू अब्राहम का मजबूत हस्ताक्षर था. आपातकाल के 21 महीनों के दौरान कुल मिलकर 47 ऐसे कानून थे जिन्हें 9वीं अनुसूची में डाला गया था. माने ये कानून सुप्रीम इस तरह किसी भी राष्ट्राध्यक्ष की शर्मनाक कमजोरी अखबार के लुगदी पन्नों से इतिहास की किताबों में दर्ज हो गई. दरअसल इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी की सरकार फटाफट ऑर्डिनेंस पास कर रही थी. इंडियन एक्सप्रेस का कार्टून इसी बात पर तीखा तंज़ था. पूरी कहानी विस्तार से विनय ने की है: वो राष्ट्रपति, जिसके बाथरूम का कार्टून बदनामी की वजह बना विडम्बना ये कि बाथटब के कार्टून के लिए चर्चा में रहे फखरुद्दीन की मृत्यु भी बाथरूम में ही हुई.

ये भी पढ़ें:

क्या श्रीदेवी की हत्या हुई है?

Advertisement

क्यों बेहोश हुई थीं श्रीदेवी!

साउथ इंडियन ऐक्ट्रेसेज़ का वो दौर जब शाम ढलते ही औरतें बन जाती थीं नागिन

Advertisement

हार्ट फेल और हार्ट अटैक में क्या अंतर है और कैसे इन दोनों से बचा जाए, जान लो


Video देखें:

श्रीदेवी के किस्से - हवा हवाई गाने में अब भी है एक बहुत बड़ी गलती

Advertisement
Advertisement