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2019 की वो 20 ऑनलाइन सीरीज़ और फिल्में जो आपको ज़रूर देखनी चाहिए

इस साल ऑनलाइन रिलीज़ हुआ बेस्ट कंटेंट ये रहा.

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16 पोस्टर्स. 16 वेब सीरीज़.
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स, स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स. इन्हें कई नामों से जाना जाता है. बस समझ लीजिए ये वो हैं जो हर बंदे के मोबाइल, लैपटॉप या स्मार्ट टीवी में पाए जाते हैं. और इसमें उपलब्ध रहता है ढेर सारा ऑडियो विज़ुअल कंटेंट. मूवी, सीरियल, डॉक्यूमेंट्री, न्यूज़, गाने, इंटरव्यू या लाइव शोज़ और स्पोर्ट्स. वो सब जो आप पहले अपने टीवी या अपने नज़दीकी सिनेमाघरों में ही देख पाते थे, अब आप उसे ऑनलाइन भी देख सकते हैं. ऑनलाइन बोले तो, एक स्क्रीन और साथ में इंटरनेट कनेक्शन. जैसे टीवी में कई चैनल होते हैं, वैसे ही ओटीटी या स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स भी दर्जनों हैं. जैसे हॉटस्टार, जो क्रिकेट और गेम ऑफ़ थ्रोंस के लिए फेमस है. जैसे नेटफ्लिक्स, जो बढ़िया विदेशी कंटेंट और सेक्रेड गेम्स के लिए फेमस है. जैसे अमेज़न प्राइम, जो बहुत सस्ते या कभी-कभी फ्री में मिल जाने के चलते और मिर्ज़ापुर के लिए फेमस है. इनके बारे में हमने विस्तार से भी लिखा था. और वैसे भी ये ओटीटी वाला कॉन्सेप्ट अब नया तो रहा नहीं इसलिए बेसिक जानकारी तो आपको पहले से ही होगी. तो आज हम बात करेंगे इन प्लेटफ़ॉर्म्स पर कुछ चुनिंदा कंटेंट की. देखिए पहले तो प्लेटफ़ॉर्मस ही दसियों हो गए हैं, फिर हर प्लेटफ़ॉर्म पर सैकड़ों मूवीज़ और शोज़ हैं. तो दुविधा रहती है, क्या देखें क्या स्किप करें. इसलिए हमने कंपाइल की है 16 ऐसी वेब सीरीज़ और 4 ऐसी मूवीज़ की लिस्ट जो 2019 में इन ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर रिलीज़ हुई हैं, और हज़ारों की भीड़ में कुछ सबसे बेहतर में से एक हैं. कम से कम हमारी नज़रों में. लिस्ट न तो बेहतरी के बढ़ते क्रम में है, न घटते. और न ही एल्फाबेटिकल. ये विचारों की तरह ही रेंडम है. Banner

16 सर्वश्रेष्ठ वेब सीरीज़

»1.  मेड इन हैवन

अमेज़न प्राइम | सीज़न 1 | रिलीज़ - 8 मार्च, 2019 | एपिसोड - 9 | डायरेक्टर- नित्या मेहरा, ज़ोया अख्तर, प्रशांत नायर, अलंकृता श्रीवास्तव करण मेहरा (अर्जुन माथुर) और तारा खन्ना (सोभिता धूलिपाला). एक वेडिंग प्लानिंग कंपनी चलाते हैं. दोनों की निजी दिक्कतें तो हैं ही, साथ ही उनके स्टाफ और उनके क्लाइंट 'की' दिक्कतें या उनसे 'भी' दिक्कतें हैं. यूं इसका हर एपिसोड नए-नए क्लाइंट्स के चलते एक स्टेंड अलोन एपिसोड की तरह तो है लेकिन करण, तारा और उनकी वेडिंग प्लानिंग कंपनी के चलते ये एपिसोड्स आपस में कनेक्टेड भी हैं.  'मेड इन हैवन' के दूसरे सीज़न की भी शूटिंग चालू है.
क्यूं देखें-
# अमीर लोगों के चोंचले, उनकी दिक्कतें जो नून तेल इकट्ठा करने से कहीं अलहदा हैं. # शादियों के पीछे का सच. # समाज के दोहरेपन का आइना- दहेज, यौन शोषण, अंधविश्वास, ऑनर किलिंग, वर्जिनिटी, एनआरआई दूल्हा वगैरह. # लेयर्ड कैरेक्टर्स. # अख़बारों में सुर्खियां बनीं कुछ खबरों का ‘फिक्शनल’ प्रस्तुतिकरण. Read: मेड इन हैवन: रईसों की शादियों के कौन से घिनौने सच दिखा रही है ये सीरीज़? *** ***

»2.  इनसाइड एज

अमेज़न प्राइम | सीज़न 2 | रिलीज़ - 6 दिसंबर, 2019 | एपिसोड - 10 | डायरेक्टर- आकाश भाटिया, करण अंशुमन, गुरमीत सिंह 'इनसाइड एज का' सीज़न वन 2017 में ही आ गया था. यूं ये भारत की कुछ पहली वेब सीरीज़ में से एक थी. हालांकि ये तब ज़्यादा नहीं चली, लेकिन अबकी, दूसरा सीज़न आने पर इसका बहुत बज़ था. आईपीएल की तरह ही एक काल्पनिक प्रीमियर लीग और उसकी एक टीम ‘मुंबई मेवरिक्स’ के इर्द गिर्द घूमती है इसकी कहानी. इसमें मैदान और खेल के दौरान क्या हो रहा है, बेशक ये भी दिखाया गया है. लेकिन फोकस स्टेज नहीं नेपथ्य में चलने वाले ‘खेल’ पर है. मतलब- फिक्सिंग, बेटिंग, बॉलीवुड और राजनीति के साथ क्रिकेट के रिश्ते, क्रिकेट का कॉर्पोरेट वर्ज़न, वगैरह.
क्यूं देखें-
# बिलकुल अलग सब्जेक्ट. # प्लेग्राउंड और खेल वाले पार्ट का ‘परफेक्शन’ की हद तक रियल प्रस्तुतिकरण. # ढेर सारी सच्ची घटनाओं का नाट्य रूपांतरण, हालांकि थोड़ा बढ़ा चढ़ा के. जैसे- मूवी ‘पद्मावत’ पर उठा विवाद. ब्राज़ील का ‘लॉकटीगेट स्कैंडल’. इलेक्शन के चलते आईपीएल का साउथ अफ्रीका में होना. राजस्थान रॉयल्स और चेन्नई सुपर किंग्स पर लगा बैन वगैरह. # कई किरदारों और ढेरों प्लॉट्स, सब प्लॉट्स के बावज़ूद लीनियर और सिंपल स्टोरीटेलिंग. Read: इनसाइड एज 2 रिव्यू: नेताओं की सत्ता, एक्टर्स की साख पे बट्टा और क्रिकेट का सट्टा *** ***

»3.  दी फैमिली मैन

अमेज़न प्राइम | सीज़न 1 | रिलीज़ - 20 सितंबर, 2019 | एपिसोड - 10 | डायरेक्टर - राज निदीमोरू, कृष्णा डीके ज़ुल्फिकार. दुश्मनों का एक ऐसा मिशन जिससे 26/11 (मुंबई टेरर अटैक) से भी कहीं बड़ी तबाही फैलने वाली है. ये क्या है और इसे कैसे रोका जाए यही ‘दी फैमिली मैन’ में दिखाया गया है. और दिखाया गया है श्रीकांत तिवारी. जो एक सीक्रेट एजेंट है. प्रफेशनल और पर्सनल, दोनों ही फ्रंट्स पर जूझ रहा है. उसे ज़ुल्फिकार वाला केस सॉल्व करके दिल्ली को भी बचाना है और खुद को फैमिली मैन भी सिद्ध करना है.
क्यूं देखें-
# न्यूज़ पेपर की हेडलाइंस से इंस्पायर्ड. # मनोज वाजपेयी, प्रियमणि और नीरज माधव जैसे एक्टर्स के कमाल के परफोर्मेंसेज़. # आतंकवादी हमले’,’कश्मीर’,’पाकिस्तान’ जैसे सब्जेक्ट्स पर बेस्ड होते हुए भी सीरीज़ में राष्ट्रवाद को लेकर जबरन गाल नहीं बजाए गए हैं. # बीफ, लिंचिंग, हेट स्पीच, आईएसआई, बलूचिस्तान, सीरिया, कश्मीर, स्लीपर सेल, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर जैसे कई मुद्दों पर सिक्के के दोनों पहलूओं को ईमानदारी से दिखाने का प्रयास. # लोकेशंस और इंसिडेंट्स को लेकर की गई अच्छी रिसर्च. Read: वेब सीरीज़ रिव्यू: 'दी फैमिली मैन' ने कश्मीर की ऐसी-ऐसी सच्चाइयों को दिखाया है जो पहले न देखी होंगी *** ***

»4.  आउट ऑफ़ लव

हॉटस्टार | सीजन 1 | रिलीज़ - 22 नवम्बर, 2019 | एपिसोड - 5 | डायरेक्टर - तिग्मांशु धूलिया, एजाज़ खान बीबीसी स्टूडियोज़ की सीरीज़ ‘डॉक्टर फॉस्टर’ का ऑफिशियल रीमेक. मैरिड कपल मीरा-आकर्ष के इर्द-गिर्द बुना गया. मीरा वर्किंग लेडी है और अपने पति की भी उसका करियर बनाने में हेल्प कर रही है. कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब मीरा को अपने पति पर शक होता है. एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का. लेकिन मीरा के कलीग्स और फैमिली फ्रेंड्स उसे यकीन दिलाते है कि उसका शक बेबुनियाद है. शक और विश्वास की इस उधेड़बुन में जो सस्पेंस क्रिएट होता है वही इस सीरीज़ का एसेंस हैं.
क्यूं देखे-
# सीरीज़ रिश्तों और इमोशंस पर बेस्ड होते हुए भी सस्पेंस और थ्रिल बनाए रखती है. # रेगुलर सब्जेक्ट का यूनिक ट्रीटमेंट. # मॉडर्न, कॉस्मोपॉलिटन मैरिड कपल्स की लाइफ स्टाइल रियल्टी के काफी करीब जाकर दिखाती है. # किरदारों के चरित्र में कई परतें हैं. और ये परतें जिस तरह खुलती हैं, जिस तरह उनके अलग-अलग चेहरे, अलग-अलग रूप सामने आते हैं, वो सफ़र बड़ा सहज बन पड़ा है. *** ***

»5.  लैला

नेटफ्लिक्स | सीज़न 1 | रिलीज़ - 14 जून, 2019 | एपिसोड - 6 | डायरेक्टर - दीपा मेहता, शंकर रमन, पवन कुमार प्रयाग अकबर की लिखी हुई इसी नाम की किताब पर बेस्ड. सन 2047. देश का नाम ‘आर्यावर्त’. एक ऐसी जगह, जहां पानी से कीमती कुछ नहीं. पानी के नाम पर पुराना सिस्टम क्रैश कर गया. नया सिस्टम बना. हर बिरादरी के अपने ‘घेटोज़’. जिनके चारों तरफ ऊंची-ऊंची दीवारें. यहां एक औरत है, शालिनी रिज़वान चौधरी. लैला की मां. हिंदू. जिसका पति मुसलमान होने के कारण मारा गया. मां-बेटी अलग कर दी गईं. पूरी सीरीज़ उसी बेटी को तलाश करने की यात्रा है.
क्यूं देखे-
# ‘अस वर्सेज़ देम’ वाली दुनिया. बहुत ब्लैक. भविष्य की वो दुनिया, जो न दूर लगती है और न असंभव. # पूंजीवाद अपने सबसे भयानक रूप में सामने आता है. # कट्टर शरिया राज कैसा होता है, ये देखने के लिए हमारे पास तालिबान, ईरान और सऊदी हैं. ऐसे ही ‘लैला’ में कट्टर हिंदुत्ववादी सिस्टम है. # पुराने डिक्टेटर्स जैसे हिटलर, गद्दाफी, सद्दाम हुसैन और नए जैसे किम जोंग उन की सत्ताओं को अप्रत्यक्ष तौर पर संदर्भित करती. Read: लैला वेब सीरीज़: 'उम्मीद' कि भविष्य इतना भी बुरा नहीं होगा, 'आशंका' कि इससे भी बुरा हो सकता है *** ***

»6.  गुल्लक

सोनी लिव | सीज़न 1 | रिलीज़ - 27 जून, 2019 | एपिसोड - 5 | डायरेक्टर - अमृतराज गुप्ता उत्तर प्रदेश के किसी छोटे से शहर का आम सा परिवार. हम दो, हमारे दो वाला. जिनके घर में हमारे बचपन के घर की तरह रेडियो बजता है. वो ही पापा और उनकी खटारा स्कूटर. घर की दीवार का उधड़ता प्लास्टर. छोटे पुराने घर को नया करने लायक पैसे तो नहीं जेब में, मगर सब्ज़बाग देखने वाली कल्पना तो है. इसमें है मां की रसोई और उसमें रखी उनकी गैस, जिसपर वो तीन लीटर वाला छोटा कूकर सीटी मारता है. दो भाई हैं, जो साथ जी भी नहीं पाते और अलग रह भी नहीं पाते. पड़ोस की 'चुगली' आंटी हैं, जिन्हें अपने घर में आई छोटी-से-छोटी चीज का मुहल्ले में प्रचार करना होता है. ऐसा घर, जहां बच्चों के साथ-साथ घरवाले भी परीक्षा की तैयारी करते हैं. महीने की कम कमाई और खींच-तानकर जैसे-तैसे होने वाला गुज़ारा.
क्यूं देखें-
# ऐसा कितनी बार होता है कि आप सदी को बदलते देखें. वो भी ऐसा बदलना जहां बिना लैंडलाइन वाले प्राणियों के हाथ में स्मार्टफोन आ जाए. झुमरी तलैया में बैठा आदमी सैन फ्रांसिस्को में बैठे आदमी से विडियो चैट करे. इसीलिए 90s एक युग है. एक अद्भुत नॉस्टेलज़िया. 'गुल्लक' उसी नॉस्टेलज़िया का सीरीज़ांतरण है. # इसे देखते हुए आप पूरे टाइम मुस्कुरा रहे होते हैं. # अंग्रेज़ी के ज़ोरदार कवि हुए हैं - पर्सी शैली. उनकी एक कविता है - टू द स्काईलार्क. उसमें एक लाइन है,’वी लुक बिफोर ऐंड आफ्टर, ऐंड पाइन फॉर वॉट इज़ नॉट.’ ये लाइन सीरीज़ का सार है. बचपन की गंध स्क्रीन के रास्ते सीधे आप तक इम्पोर्ट होती है. # कहानी ऐसी कि लगे हमारी ही तो. फिर भी ताज़े हरे धनिये की तरह एकदम फ्रेश, गमकती हुई. *** ***

»7.  फोर मोर शॉट्स प्लीज़

अमेज़न प्राइम | सीज़न 1 | रिलीज़ - 25 जनवरी, 2019 | एपिसोड - 10 | डायरेक्टर - अनु मेनन सीरीज़ मुंबई में रहने वाली चार लड़कियों की कहानी है. पहली है जर्नलिस्ट दामिनी. जो और जिसका काम, दोनों ही धीरे-धीरे साइडलाइन होते जा रहे हैं. दूसरी अंजना. एक वकील. डाइवॉर्सी. उसकी एक तीन-चार साल की लड़की है. एक सिंगल वर्किंग पैरेंट के साथ जितनी भी दिक्कतें हो सकती हैं, वो सब अंजना के साथ हैं. तीसरी उमंग. लुधियाना से आई है. ऑलमोस्ट भागकर. बाईसेक्शुअल. चौथी सिद्धि पटेल. आम सी लड़की जिसकी लाइफ में सिर्फ एक विलेन है – मां स्नेहा पटेल. स्नेहा का उद्देश्य है सिद्धि की शादी करवाना. इन चारों की दोस्ती की नींव जय के ‘ट्रक बार’ में पड़ती है. और इसी के चलते इस सीरीज़ का नाम ‘फोर मोर शॉट्स प्लीज़’ है.
क्यूं देखें-
# सीरीज़ पुरुषों को विलेन दिखाकर नारीवादी बनने की कोशिश नहीं करती. और यूं सिर्फ और सिर्फ महिलाओं पर केन्द्रित है. पॉज़िटिव ढंग से. # सिनेमैटोग्राफी. खास तौर पर आउटडोर सीन्स की. सीरीज़ में दिखाए गए मुंबई के कई सीन बड़े प्यारे लगते हैं. # कॉस्मोपॉलिटन कल्चर. चमक. स्पार्क. ग्लिटर. # ‘पीत पत्रकारिता’, ‘एलजीबीटीक्यू’ और ‘वर्जिनिटी’ जैसे महानगरीय मुद्दों को उठाकर, विमर्श वाले खाने में रख देती है. *** ***

»8. सलेक्शन डे

नेटफ्लिक्स | सीज़न 1 (दो पार्ट) | रिलीज़ - 28 दिसंबर 2018, और 19 अप्रैल 2019 | एपिसोड - 12 | डायरेक्टर - उदयन प्रसाद ‘सलेक्शन डे’ एक छोटे शहर के जुनूनी पिता की कहानी है. वो अपने दोनों बेटों को इंटरनेशनल क्रिकेटर बनाना चाहता है. साम. दाम. दंड. भेद. किसी भी तरीके से. बड़े लड़के को क्रिकेट पसंद है, तो उसके साथ इतनी दिक्कत नहीं है लेकिन छोटा वाला पढ़ना चाहता है. पहले बाप कोच था, मुंबई पहुंचने पर कोच बदला. लड़कों के खेलने का तरीका बदला. बाप बेटों के बीच का रिश्ता भी बदल गया. ‘हानिकारक बापू’ के सपने को पूरा करने के लिए जूझते लड़कों की कहानी है ‘सलेक्शन डे’.
क्यूं देखें-
# छोटे शहरों में पलने वाले बड़े सपनों की कहानी. # अगर क्रिकेट पसंद है तो मस्ट वॉच. क्यूंकि इसमें जो क्रिकेट दिखाया है, उसके इर्द-गिर्द जो ऑरा दिखाया है उससे आप रिलेट कर पाते हैं. सब कुछ लोकल और रॉ. # ‘जुगाड़’. इंडिया के मध्यमवर्ग का मूल मंत्र. ये क्या है, सीरीज़ और उसमें पिता के कैरेक्टर को देखकर जानें.] *** ***

»9.  काफ़िर

ज़ी5 | सीज़न 1 | रिलीज़ - 15 जून, 2019 | एपिसोड - 8 | डायरेक्टर - सोनम नायर एक पाकिस्तानी कैदी कैनाज़ अख्तर के संघर्ष की कहानी. जिसे इंडियन आर्मी ने ग़लती से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उसका रेप किया. अब जेल में अपनी तीन साल की बेटी के साथ रहती है. दूसरी तरफ वेदांत है. जिसके मन में अपनी भाई की मौत को लेकर एक गिल्ट है. कैनाज़ की रिहाई के लिए जद्दोजहद करते वेदांत की कहानी दिखाती है ‘काफिर’.
क्यूं देखे-
# सीरीज़ पाकिस्तान और वहां के लोगों को लेकर इंडिया की बहुसंख्य पब्लिक का नज़रिया सामने लाती है. # एक हिंदू जब इंसानियत के चलते किसी मुस्लिम/पाकिस्तानी के साथ हमदर्दी रखता है है तो उसे अपने ही घर और अपने ही लोगों द्वारा कैसे अन्यथा लिया जाता है. # आतंकवाद के नाम पर 'गेहूं के साथ घुन' की तरह पिसते उन लोगों के पक्ष को कम ही फिल्मों या सीरीज़ में दिखाया गया है, जो गलती से बॉर्डर क्रॉस कर गए हैं. *** ***

»10.  डेल्ही क्राइम

नेटफ्लिक्स | सीज़न 1 | रिलीज़ - 22 मार्च, 2019 | एपिसोड - 7 | डायरेक्टर - रिची मेहता 2012 में हुआ दिल्ली गैंगरेप इस मायने में अलग था कि इसने हम सबको खौफ़ में जोड़ दिया. हम सब डर गए. इसीलिए ये हमारा एक रेफरेंस पॉइंट बन गया. नेटफ्लिक्स की ये सीरीज़ इसी अपराध पर है. कैसे हुआ, पुलिस अपराधियों तक कैसे पहुंची, ये सब बताती है. 'डेल्ही क्राइम' में आप पुलिस को दोनों तरीकों से देख पाते हैं- पर्सनल और प्रफेशनल. केस सॉल्व करने के साथ समानांतर में इनकी निजी कहानियां भी चलती रहती हैं. डिपार्टमेंट के अंदर की उठा-पटक, जलन-खुन्नस, ये सब भी चलता रहता है. सीरीज़ एक भीषण अपराध की कहानी है. वो अपराध, जो हम सबके बीच इसी समाज में घटी. हमारे शहर का, हमारे जीने का अनचाहा हिस्सा बनी. ये मौक़े याद रखे जाने चाहिए. इतिहास की तरह. ताकि हम में से कोई इसे न दोहराए.
क्यूं देखें-
# रियल और कुख्यात इंसिडेंट ‘निर्भया कांड’ पर बेस्ड. पुलिस ने किस तरह अपराधियों को पकड़ा, किस तरह सबूत तलाशे, आपको इस जर्नी का हिस्सा होना चाहिए. # सीरीज़ देखकर मालूम चलता है कि इस केस में दिखाई गई पुलिस की तत्परता के पीछे एक बड़ी वजह जनता द्वारा बनाया गया दबाव था. यानी सिस्टम को ज़्यादा जिम्मेदार बनाने की चाबी जनता के ही पास है. # लगभग सभी एक्टर्स ने बहुत अच्छा काम किया है. चाहे वो DCP वर्तिका चौधरी बनीं शेफाली शाह हों या कॉन्स्टेबल बनीं रसिका दुग्गल. # देश को दो क्षेत्रों में जल्द-से-जल्द सुधार की सख़्त ज़रूरत है. एक, न्यायपालिका दूसरा, पुलिस. पुलिस को कैसे रिफ़ॉर्म की ज़रूरत है, ये सीरीज़ देखकर आपको थोड़ा-बहुत आइडिया तो मिल ही जाता है. *** ***

»11.  टाइपराइटर

नेटफ्लिक्स | सीज़न 1 | रिलीज़ - 19 जुलाई, 2019 | एपिसोड - 5 | डायरेक्टर - सुजॉय घोष टाइपराइटर गोवा की पृष्ठभूमि में रची गई है. ये बच्चों को सुनाई जाने वाली बेड टाइम हॉरर स्टोरी सरीखी है. चार बच्चों और एक कुत्ते की शैतानियों से भरी. माधव, ‘बार्डेज़ विला’ का मालिक है. एक दिन जब वो अपने टाइपराइटर पर स्टोरीज़ लिख रहा होता है तभी उसकी पोती जेनी उसे बताती है कि उसे भूत नज़र आया. सालों बाद जेनी के बच्चे अपने दोस्तों के साथ इसी भूत की सच्चाई ढूंढने निकल पड़ते हैं. इस ‘सीक्रेट मिशन’ के दौरान ऐसा कुछ हो जाता है कि पुलिस इंस्पेक्टर (पूरब कोहली) इन सभी को फॉलो करने लगता है. वहीं जैनी अपने दादा और मां की डेथ मिस्ट्री को सुलझाने में लगी है. इस सब के दौरान एक पुराना टाइपराइटर हमेशा केंद्र में रहता है.
क्यूं देखे-
# ‘बदला’ और ‘कहानी’ जैसी थ्रिलर मूवीज़ बनाने वाले शुजॉय घोष का वेब कंटेट डेब्यू. जिसमें हॉरर, ड्रामा और थ्रिल बेशक है लेकिन कोर में ये बच्चों का ही कंटेंट है. फैमिली कंटेंट. # इसे इंडियन ‘स्ट्रेंजर थिंग्स’ कहा जा सकता है. ‘टाइपराइटर’ में काफी प्लॉट ट्विस्ट हैं और यूं ये मिनी सीरीज़ स्लो पेस होते हुए भी आपको बांधे रखती है. # नॉस्टैल्जिया. जो ‘टाइपराइटर’ के भूतों से लेकर बच्चों के ‘सीक्रेट मिशन’ तक में पसरा हुआ है. सीरीज़ का टेंपलेट और ट्रीटमेंट भी कईयों को पुराना, लेकिन कईयों को नॉस्टैल्जिक लगेगा. *** ***

»12.  कोटा फैक्ट्री

टीवीएफ प्ले, यू ट्यूब | सीज़न 1 | रिलीज़ - 16 अप्रैल से 14 मई, 2019 | एपिसोड - 5 | डायरेक्टर - राघव सुब्बू कोटा. राजस्थान का एक छोटा सा शहर. आईआईटी की तैयारियां करवाने वाले इंस्टिट्यूट्स का हब. साथ में आत्महत्याओं का भी. सोचिए, भारत में किसी कम्पटीशन की तैयारी करने के लिए भी कम्पटीशन देना पड़ता है. कोटा फैक्ट्री एक फिक्शन है. वैभव पांडे इसका मेन कैरेक्टर है. सीरीज़, वैभव की कोटा में बिताए गए दिनों की दास्तां है. वैभव के ‘कोटा सरवाइवल’ और ‘अस्तित्व के संकट’ के अलावा इसमें मीना और उदय की दोस्ती, वर्तिका का प्रेम और जीतू भैया (टीचर) का छात्रों के प्रति डेडिकेशन भी खूबसूरत तरीके से दिखता है.
क्यूं देखें-
# टाइटल में कोटा को फैक्ट्री कहा गया है. एक मेटाफर. पिंक फ्लॉयड के गीत ‘अनदर ब्रिक ऑन दी वॉल’ के वीडियो की याद दिलाता. ऐसा सटल सिंबोलिज़्म सीरीज़ में जहां-तहां देखने को मिल जाता है. # भारत में ‘कंपटिशन’ की कितनी डिप्रेसिंग स्थिति है और इस स्थिति को कैसे पैसा कमाने का ज़रिया बना दिया गया है, ‘कोटा फेक्ट्री’ इसे बहुत ही माइक्रोस्कोपिक तरीके से दिखाती है. हालांकि सीरीज़ में कोटा के ‘पॉजिटिव्स’ को बढ़ा-चढ़ा के और ‘नेगेटिव्स’ को माइल्ड करके दिखाया गया है. # यूनीक कहानी और कॉन्सेप्ट. कोटा और उसके इंस्टिट्यूट्स पर कुछेक डॉक्यूमेंट्री ज़रूर बनी होंगी, लेकिन कोई अच्छा फिक्शनल कंटेट देखने को नहीं मिला. ‘कोटा फैक्ट्री’ इसी वॉयड को भरता है. जो कोटा में ट्रेनिंग के लिए गए थे उनके लिए ‘मैमोरीज़’, जो जाएंगे उनके लिए ‘कर्टेन रेज़र’ और जो हैं उनके लिए ‘रिलेटेबल’. # एक मां जो बस दो एपिसोड तक दिखती है. क्यूंकि उसके लड़के का कोटा में ‘मन लग गया’. ये और ऐसे ही कई दिल को मोम करने वाले मोमेंट्स. # कुछ टेक्निकल पहलू भी काफी हद तक यूनीक हैं. जैसे भारत की पहली वेब सीरीज़ जो पूरी तरह मोनोक्रोमेटिक (ब्लैक एंड वाइट) है. होने को टेक्निकली ये एक प्लस नहीं मायनस कहा जाएगा. एचडी वीडियो, वीएफएक्स और वीआर के दौर में. लेकिन ये ‘कोटा फेक्ट्री’ बनाने वालों का अपने कंटेट के भाव पक्ष को लेकर कॉन्फिडेंट दिखाता है, कि उसे और ज़्यादा मुखर करने के लिए उन्होंने कला पक्ष को तिलांजलि दे दी. और फिर ब्लैक एंड वाइट में ‘सेचुरेशन’ न हो लेकिन 'कॉन्ट्रास्ट' तो होता है न. *** ***

»13.  क्रिमिनल जस्टिस

हॉटस्टार | सीज़न 1 | रिलीज़- 05 अप्रैल, 2019 | एपिसोड - 10 | डायरेक्टर - तिग्मांशु धूलिया ‘क्रिमिनल जस्टिस’ इसी नाम की एक ब्रिटिश सीरीज की ऑफिशियल रीमेक है. सीरीज़ आदित्य नाम के कैब ड्राईवर के चारों तरफ घूमती है. एक वन नाईट स्टैंड के दौरान उसपर मर्डर का इल्ज़ाम लग जाता है. हालांकि ये कत्ल उसने नहीं किया लेकिन सारे सबूत उसके खिलाफ हैं. एक तरफ उसकी सोशल लाइफ है जहां वो केयरिंग और मासूम है. भाई, बेटा और दोस्त सब-कुछ है. दूसरी तरफ जेल में कैदियों के गैंग का एक्टिव मेम्बर और संभावित सरदार. हालांकि इन दो चेहरों के बीच 10 एपिसोड का पूरा आर्क है. आपको ऐसा लगता है कि दो स्टोरीज़ साथ चल रही हैं. जैसे सेक्रेड गेम्स में गायतोंडे और सरताज सिंह की. ‘क्रिमिनल जस्टिस’ थ्रिलर, क्राइम, सस्पेंस, इमोशन, फैमिली और कोर्ट रूम ड्रामा जैसे कई जॉनर में आ सकती है, जिसके एक परवलय की तरह दो केंद्र हैं. ‘उस’ रात की घटना और आदित्य के किरदार की लेयर्स.
क्यूं देखे-
# क्राइम बेस्ड ड्रामा और सस्पेंस देखने के लिये ये सीरिज बेस्ट है. कोर्ट रूम ड्रामा के लिए भी इसे देखा जाना चाहिए. # क्रिस्प एडिटिंग. ‘आगे क्या होगा?’ जानने के लिए दूसरे सीज़न का इंतज़ार नहीं करना. आ जाए तो अच्छा. # जैकी श्रॉफ बहुत दिनों बाद स्क्रीन पर नज़र आए है वो भी एक अलग किरदार में. पंकज त्रिपाठी का डैडपेन (रूखा) ह्यूमर, विक्रांत मैसी के किरदार का क्रमिक विकास और रुचा इनामदार, गौरव द्विवेदी, मधुरिमा रॉय जैसे अन्य स्पोर्टिंग एक्टर्स का शानदार अभिनय. *** ***

»14.  हॉस्टल डेज़

अमेज़न प्राइम | सीज़न 1 | रिलीज़ - 12 दिसम्बर, 2019 | एपिसोड - 5 | डायरेक्टर- राघव सुब्बू इस लिस्ट में सबसे लेटेस्ट रिलीज़. एक इंजीयरिंग कॉलेज के हॉस्टल में कई नए फर्स्ट इयर के छात्र आते हैं. इनमें से तीन एक ही रूम शेयर करते हैं. अंकित, रुपेश और लव. इन तीनों में भी सबसे मेन या लीड कैरेक्टर अंकित है. लेकिन ओवर ऑल स्टोरी इन्हीं तीन लोगों, उनके हॉस्टल और कॉलेज के अनुभव के इर्द-गिर्द घूमती है. साथ में एक चौथा किरदार भी है जो इनके बगल वाले रूम में रहता है. हालांकि वो भी फर्स्ट इयर का स्टूडेंट हैं लेकिन हॉस्टल में सालों से रह रहा है. इसलिए उसकी दबंगई चलती है. पढ़ाई, प्रेम, रेगिंग (सॉरी इंट्रोडक्शन), एग्ज़ाम और दोस्ती का देजा-वू है ‘हॉस्टल डेज़’.
क्यूं देखे-
# नॉस्टैल्जिया. वो जैसा छिछोरे में था. हॉस्टल में रहे लोगों के लिए मस्ट वॉच. एक पारंपरिक थीम का एक गैर-पारंपरिक ट्रीटमेंट. # कुछ टेक्निकल पहलू भी काफी हद तक यूनीक हैं. जैसे जब दो लोग व्हाट्सएप पर बात कर रहे हैं तो दोनों एक ही जगह पर आ जाते हैं. इस दौरान ये देखना भी इंट्रेस्टिंग है कि कैसे कई बार किसी मैसेज को रिसीव करने वाला उसके मायने कुछ के कुछ निकाल लेता है. हर एपिसोड में एक नया नैरेटर है. कोई ‘साइड कैरेक्टर’. जैसे सिक्यूरिटी गार्ड, लैब असिस्टेंट, स्वीपर या बुक शॉप का दुकानदार. # सिंपल. शॉर्ट. मिनिमलिस्टिक. रॉ. *** ***

»15.  सेक्रेड गेम्स

नेटफ्लिक्स | सीज़न 2 | रिलीज़ - 15 अगस्त, 2019 | एपिसोड - 8 | डायरेक्टर - नीरज घेवन, अनुराग कश्यप पहला सीज़न शुरू हुआ था गायतोंडे के एक फ़ोन कॉल से. सरताज को किया गया फोन. जिसमें उसने कहा था सरताज से, कि 25 दिन में बचा लो मुंबई को, अगर बचा पाओ. सीज़न के खत्म होते-होते सरताज को मालूम हो गया था कि बात बड़ी है. इस दूसरे सीज़न में पता चला कि बात है न्यूक्लियर अटैक की. मुंबई पर. दूसरा सीज़न गायतोंडे के 'तीसरे बाप' के ऊपर केन्द्रित है. गुरूजी के ऊपर. इस बार कहानी है बम और ब्रह्म की. सीरीज़ का नाम 'सेक्रेड गेम्स' क्यूं है, इसका जवाब पहले सीज़न में नहीं मिला था. दूसरे में मिलता है.
#क्यूं देखें-
# 'कट्टपा ने बाहुबली को क्यूं मारा', 'नाईट किंग कैसे मरेगा' टाइप ऑडियो-विज़ुअल कंटेंट के सबसे बड़े सवालों में से एक था क्या '25 दिनों में सरदार जी मुंबई बचा पाते हैं या नहीं'. साथ ही 'त्रिवेदी बचा कि नहीं?' भी क्वेश्चन ऑफ़ दी नेशन बन गया था. 'सेक्रेड गेम्स: सीज़न वन' के इन क्लिफहैंगर्स का जवाब पाना भर ही अपने आप में पर्याप्त कारण है, जिसके चलते इसका दूसरा सीज़न देखा जाए. # वेब प्लेटफ़ॉर्म्स पर सबसे ग्रैंड, सबसे सेलिब्रेटेड इंडियन कंटेंट. सबसे ज़्यादा मीम, GIF, वन लाइनर्स की स्रोत. एमी अवार्ड्स के लिए नॉमिनेटेड. # ये वाला सीज़न पिछले सीज़न से कुछ ज़्यादा दर्शन लिए हुए है. लेकिन उससे ज़्यादा नीट है. डायलॉग्स इस बार भी पिछले सीज़न सरीखे ही धार-दार हैं. सीज़न 2 इंटरनेशनल भी हो गया है. # पिछले सीज़न के दमदार एक्टर्स (नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, सैफ़ अली खान, जतिन सरना आदि) के अलावा नई एंट्रीज़ (पंकज मिश्रा, कल्कि केकला, रणवीर शौरी आदि) के भी दमदार परफॉरमेंसेज़. *** ***

»16.  बार्ड ऑफ़ ब्लड

नेटफ्लिक्स | सीज़न 2 | रिलीज़ - 27 सितंबर, 2019 | एपिसोड - 7 | डायरेक्टर - रिभु दासगुप्ता कबीर आनंद उर्फ अडोनिस. एक कॉलेज में शेक्सपीयर पढ़ाता है. इससे पहले अडोनिस बलूचिस्तान में एक जासूस हुआ करता था. लेकिन एक मिशन में हुई गड़बड़ी के कारण उसे रॉ एजेंसी से निकाल दिया गया था. लेकिन अब चार भारतीय एजेंटों को बलूचिस्तान में आतंकवादियों ने पकड़ लिया है. उन्हें सही सलामत बचाने के लिए अडोनिस को रॉ ने दोबारा से बुला लिया है. लेकिन कहानी जोश, जुनून या देशभक्ति भर की ही नहीं. सस्पेंस और पॉलिटिक्स की भी है. बिलाल सिद्दीकी द्वारा 2015 में लिखे गए इसी नाम के नाम के नॉवेल पर आधारित है ये वेब सीरीज़.
क्यूं देखें-
# क्यूं देखें का सबसे अच्छा उत्तर 'बार्ड ऑफ़ ब्लड' के लिए यही है कि, इसके साथ बहुत अच्छे, बहुत बड़े और बहुत ढेर नाम जुड़े हुए हैं. शाहरुख़ खान का प्रोडक्शन, इमरान हाशमी की पहली वेब सीरीज़. भारत की पहली बहुभाषी 'स्पाई सीरीज़'. # बलूचिस्तान. सीमा पार का आतंकवाद. अच्छे एक्शन सिक्वेंस. बढ़िया सिनेमेटोग्राफी. प्रीमियम ट्रीटमेंट. लेकिन काफी हद तक 'अतिशयोक्तिपूर्ण'. बोले तो फुल क्रिएटिव लिबर्टी. *** ***

ऑनलाइन रिलीज़ हुई चार बेस्ट फ़िल्में

»17. म्यूज़िक टीचर

नेटफ्लिक्स | रिलीज़ - 19 अप्रैल | 101 मिनट | डायरेक्टर - सार्थक दासगुप्ता | एक्टर्स - मानव कौल, दिव्या दत्ता, नीना गुप्ता, अमृता बागची 'म्यूज़िक टीचर' एक इमोशनली कन्फ्यूज़्ड इंसान की म्यूजिकल दास्तां है. नायक यानी इमोशनली कन्फ्यूज़्ड इंसान यानी बेनी माधव सिंह, सिंगिंग में अपनी किस्मत आजमाने शिमला से मुम्बई जाता है लेकिन नाकाम होने पर वापस चला आता है. अब अपने पहाड़ के घर में रात-रात भर दर्द भरे नगमे गाता हुआ तन्हाई में खुद को गुम कर लेना चाहता है. उसकी फैमिली को और पड़ोस की गीता को, जो कि खुद अकेलेपन से घिरी हुई है, माधव के इस व्यवहार से दिक्कत है. फिल्म बीच-बीच में फ्लैशबैक में जाकर बेनी के दर्द को खोलने की कोशिश करती है. जहां नज़र आता है कि ये दर्द का रिसाव कहीं न कहीं ‘दिल’ से हो रहा है. और अतीत में है एक लड़की. ज्योत्सना. जिससे बात किए माधव को 8 साल हुआ चाहते हैं. ऐसी ठहरी हुई कहानी के कुछ पलों की कोलाज है 'म्यूज़िक टीचर'.
क्यूं देखे–
# मानव कौल और दिव्या दत्ता की बेहतरीन एक्टिंग. # हिमाचल के खूबसूरत व्यूज़ और ज़बरदस्त सिनेमैटोग्राफी. # हिज्र (सेपरेशन) की उदासी, जो पुरानी शराब सी होले-होले चढ़ती है. गोया कोई वादियों में बासुरी बजा रहा हो. लंबी जुदाई, चार दिनां दा... # बैकड्रॉप में चलने वाला म्यूज़िक. ‘रिमझिम गिरे सावन’ का रिक्रेएशन. पहाड़, संगीत, उदासी और प्रेम... *** ***

»18.  योर्स ट्रूली

ज़ी फाइव | रिलीज़ - 03 मई | 84 मिनट | डायरेक्टर - संजय नाग | एक्टर्स - सोनी राज़दान, पंकज त्रिपाठी, महेश भट्ट, आहना कुमरा यह मूवी ऐनी जैदी की बुक 'लव स्टोरीज़' की एक कहानी,'द वन दैट वॉज़ अनाउंस्ड' पर बेस्ड है. इसका प्रीमियर 23वें बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हुआ, लेकिन आम दर्शकों के लिए ये फिल्म इस साल ही उपलब्ध हो पाई. माध्यम रहा ज़ी5 ओटीटी. राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में इसे बेस्ट हिंदी मूवी का क्रिटिक अवार्ड भी मिला. 'योर्स ट्रूली' कहानी है एक सरकारी कर्मचारी मीठी कुमार की, जो रिटायर होने वाली है. उसे अब जिस चीज़ की कमी सबसे ज़्यादा खलने वाली है वो है स्टेशन के अनाउंसर की आवाज़. आवाज़, जो वो रोज़ ऑफिस कम्यूट करते वक्त सुनती है. आवाज़ जिसका कोई चेहरा नहीं. ऐसी मनःस्थिति में पैदा हुआ अकेलापन, मीठी एक शख्स से भरती है. उससे अपना सुख-दुःख का साथी समझती है. पूरी फिल्म में एक भ्रम सा बना रहता है कि ये व्यक्ति है या उसकी कल्पना.
क्यूं देखे-
# एक इमानदार, मासूम कहानी. जो स्क्रिप्ट से होते हुए किरदारों तक फ़ैल जाती है. कोलकाता शहर और भी प्यारा लगने लगता है. उदासी की सुवास शायद यही होती हो. # सोनी राजदान ने अपने चेहरे के हाव-भावों और अपने मैनरिज़्म से ही ढेरों मोनोलोग्स रच दिए हों गोया. और पंकज त्रिपाठी भी कित्ते मासूम. उतनी ही मासूम विनय पाठक की 'बे-चेहरा' आवाज़. # अकेलेपन में हम किस तरह किसी साथ के लिए आकांक्षित रहते है. इन मनोभावों को समझने का प्रयास करती है 'योर्स ट्रूली'. छोटी से छोटी, गैर ज़रूरी चीज़ भी किसी क्षण कितनी ज़रूरी हो सकती है. *** ***

»19.  कनपुरिए

हॉटस्टार | रिलीज़ - 25 अक्टूबर | 103 मिनट | डायरेक्टर - आशीष आर्यन | एक्टर्स- अपारशक्ति खुराना, दिव्येंदू, हर्ष मायर, विजय राज, राजश्री देशपांडे, हर्षिता गौर कनपुरिए एक साथ तीन स्टोरीज़ को कहती है. ऐसी मूवीज़ एन्थोलॉजिकल कही जाती हैं. स्टोरी की बात करें तो एक तरफ जहां जैतून अपनी गर्ल फ्रेंड से शादी करने के लिए सारे पैंतरे इस्तेमाल कर रहा है. वहीं उसी कालोनी का एक युवा वकील, विजय दीनानाथ चौहान, अपनी वकालत का पहला केस खुद को बचाने के लिए लड़ रहा है. वो कानपुर छोड़ना चाहता है लेकिन केस की वजह से निकल नहीं सकता. इन दोनों के अलावा जुगनू लंपट भी है. एक लोकल और फूहड़ स्टेज परफ़ॉर्मर (लंपट ह*मी) का बेटा है. उसका बाप उसे अपने सरीखा ही बना देना चाहता है लेकिन हर्ष को तो शेफ बनना है. अजीब से हालातों में तीनों किरदारों के प्लॉट भिड़ जाते हैं. और परिस्थितयां विकट से विकटतम होती चली जाती हैं. इसी के चलते सिचुएशनल कॉमेडी पैदा होती है.
क्यूं देखे-
# भदेसी कनपुरिया माहौल. वहां की रॉनेस. भाषा. लहजा. छोटे(?) शहरों में कुछ करने की चाह मे नौजवान किस-किसी तरह के रिस्क लेते हैं और कौन-कौन से रास्तों पर निकल पड़ते हैं. # स्लो पेस ह्यूमर, वो जैसा ऋषिकेश मुखर्जी की मूवी में हुआ करता था. ऑफ कोर्स उतने हाई स्टेंडर्ड का नहीं पर उस विधा का. # कंटेंट ओरिएंटेड मूवी कैसे लो बजट होते हुए भी अच्छी हो सकती है, मूवी मेकिंग के इस गुर को समझने के लिए इस फिल्म को देखा जा सकता है. # अपारशक्ति खुराना, दिव्येंदू,  विजय राज की एक्टिंग. *** ***

»20.  सोनी

नेटफ्लिक्स | रिलीज़ - 18 जनवरी | 97 मिनट | डायरेक्टर - इवान आयर | एक्टर्स - गीतिका विद्या ओहलान, सलोनी बत्रा ‘सोनी’ दिल्ली की दो पुलिस वालियों को थीम में रखकर बुनी गई कहानी है. अकेली लड़की सोनी और 32 साल की शादीशुदा कल्पना. कल्पना उम्मत, एक आई पी एस ऑफिसर है. सोनी एक ऑपरेशन में उसकी सबऑरडीनेट. कल्पना द्वारा लीड की जा रही इस टीम का काम दिल्ली को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाना है. खासतौर पर रात के अंधेरे में. ये दोनों बाहर वालों से तो मज़बूती से लड़ लेती हैं, लेकिन अपनों से और खुद अपने से कैसे लड़ें? वहां पर स्टैंड लेना, क्रांति करना या लड़ना नहीं चलता.
क्यूं देखें-
# दिल्ली में मुंबई सरीखी नाईट लाइफ क्यूं नहीं है? ये इस फिल्म को देखकर पता लगता है. इसे देखकर पता लगता है कि दिल्ली रात में कितनी खतरनाक हो जाती है. # बिना कोई क्रांति की मशाल या झंडा लिए हुए, बिना एक्स्ट्रा लाउड हुए, आप-हम जैसे किरदारों को बुनते हुए मूवी ढेर सारे सही और हार्ड हिटिंग सवालों को उठाती है. कुछेक के जवाब भी देती है, मगर सबके नहीं. # मूवी देखते हुए लगेगा ही नहीं कि मूवी देख रहे हों. लगेगा कि कैमरा किसी की रियल लाइफ इवेंट को कैप्चर कर रहा है. पुलिस के अलग-अलग डिपार्टमेंट (जैसे थाना, सर्विलेंस, कॉल सेंटर) की डिटेलिंग. # कैमरावर्क भी कमाल का है. अंधरे या कम रोशनी में फिल्माए दिल्ली की सड़कों के लॉन्ग शॉट्स हों या घरों में एक कमरे से दूसरे कमरे चलते हुए किरदार जो कैमरे से अंजान बने रहते हैं. Read: सोनी मूवी का रिव्यू

तो ये थी हमारी लिस्ट. हालांकि हमने लिस्ट कंपाइल करने से पहले कुछ लोगों की ओपिनियन, राय वगैरह ली थीं.  फिर भी हमें पता है कि, कुछ नाम छूट रहे होंगे.

लिस्ट कंपाइल करने का पैरामीटर भी हमने जेनरिक रखा है. मतलब, जहां 'बार्ड ऑफ़ ब्लड' या 'सेक्रेड गेम्स' जैसे वेब कंटेंट अपने बज़ के चलते इस लिस्ट में शामिल हैं तो 'सोनी' और 'गुल्लक' जैसे कंटेंट अपने अपनी स्क्रिप्ट, अपनी ट्रीटमेंट के चलते. कुछ में आर्ट है तो कुछ में क्राफ्ट. फिर भी आप कमेंट करके ज़रूर बताइएगा कि वो कौन सी सीरीज़ या मूवी है जिसे 2019 में आपने बहुत पसंद किया या जो मस्ट वॉच हैं.

नए साल की ढेरों शुभकामनाएं.


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