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Bihar Seemanchal Election Result 2025: ओवैसी के सबसे वफादार नेता का क्या हुआ?

AIMIM Party Seats Live Updates: तीन सीटों पर AIMIM को बढ़त मिलती दिख रही है. अमौर विधानसभा सीट पर AIMIM के अख्तरुल ईमान 17582 वोटों के साथ आगे चल रहे हैं.

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AIMIM ने बिहार विधानसभा चुनाव में 25 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं.(फोटो: आजतक)

असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी AIMIM ने बिहार विधानसभा चुनाव में 25 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. ज्यादातर सीमांचल इलाके की मुस्लिम बहुल सीटें हैं. इनमें से तीन सीटों पर AIMIM को बढ़त मिलती दिख रही है. अब तक के रुझानों के मुताबिक, अमौर (Seemanchal) विधानसभा सीट पर AIMIM के अख्तरुल ईमान 30457 वोटों के साथ आगे चल रहे हैं. अख्तरुल ईमान AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं.

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ECI के मुताबिक, कोचाधामन सीट पर AIMIM के मोहम्मद सरवर आलम 376वोटों के साथ आगे चल रहे हैं. वहीं, बायसी विधानसभा सीट पर AIMIM के गुलाम सरवर 14571 वोटों के साथ आगे चल रहे हैं.  

AIMIM ने साल 2020 में 5 सीटें जीतीं थी, लेकिन बाद में 4 विधायक RJD में चले गए. केवल अख्तरुल ईमान ने ओवैसी का साथ नहीं छोड़ा. साल 2020 में AIMIM के अख्तरुल ईमान ने 52,515 वोटों से चुनाव जीता था. 1951 में अस्तित्व में आई इस सीट का चुनावी इतिहास न केवल लंबा, बल्कि बेहद दिलचस्प रहा है, जहां अल्पसंख्यक मतदाताओं का प्रभुत्व राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह नियंत्रित करता है. 

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AIMIM फिर से 2020 का करिश्मा दोहराएगी?

साल 2020 के चुनाव नतीजों के बाद से अब तक AIMIM के लगभग सभी बड़े नेता पार्टी से किनारा कर चुके हैं. AIMIM के पांच में से चार विधायकों ने कुछ महीनों बाद राजद का दामन थाम लिया. गनीमत रही कि ओवैसी की पार्टी के बिहार चीफ और अमौर विधानसभा सीट से पार्टी विधायक अख्तरुल ईमान ही उनके साथ ही रहे. इसी को लेकर ओवैसी इस बार विश्वासघात कार्ड का सहारा ले रहे हैं. उनकी स्थिति कुछ ऐसे समझिए कि उन्होंने अपने उम्मीदवारों को पार्टी ना छोड़ने की शपथ दिलाई.

लेकिन, 'वो चुनाव दूसरा था, ये चुनाव दूसरा है'. इस बार ओवैसी अपना दायरा बढ़ाने की भी कोशिश कर रहे हैं. पिछली बार कटिहार की सीटों पर उन्होंने कम मेहनत की थी. लेकिन इस बार माना जा रहा है कि इस इलाके में भी ओवैसी की पार्टी ने जोर लगाया है. पार्टी जिले की प्राणपुर, बरारी, बलरामपुर सीट पर मजबूती से चुनाव लड़ रही है.

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1951 में अस्तित्व में आने के बाद से, अब तक हुए 18 विधानसभा चुनावों में केवल एक बार (1977 में चंद्रशेखर झा) ही कोई गैर-मुस्लिम उम्मीदवार (जनता पार्टी से) यहां से जीत दर्ज कर सका है. इस सीट पर सबसे ज्यादा जीत कांग्रेस (8 बार) ने दर्ज की है. इसके बाद निर्दलीय प्रत्याशियों ने 4 बार, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने 2 बार, जबकि जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बीजेपी और AIMIM ने एक-एक बार जीत हासिल की है.

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