MBA के अलावा टॉप मैनेजमेंट कोर्सेज की लिस्ट ये हैं.
ग्रेजुएशन के बाद MBA के अलावा मास्टर्स इन फाइनेंशियल मैनेजमेंट, MA ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट एंड लेबर रिलेशन, जैसे कुछ बैहतरीन विकल्प मौजूद हैं.

ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद बहुत सारे स्टूडेंट्स प्रोफेशनल डिग्री का रूख करते हैं. छात्रों के बीच प्रोफेशनल डिग्रि करने का चलन बढ़ा है. इसका कारण है कि प्रोफेशनल डिग्री की मार्केट में डिमांड ज्यादा है. प्रोफेशनल कोर्सेज से जॉब मिलना आसान हो जाता है. इसका कारण ये है कि प्रोफेशनल स्टूडेंट्स को स्किलफुल कोर्स और करिकुलम पढ़ना होता है. आज की दुनिया में स्किल्स की डिमांड कहीं ज्यादा है. यही देखते हुये हर फील्ड के स्टूडेंट्स अपने ग्रेजुएशन के बाद MBA जैसी डिग्री करने का प्लान करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है सिर्फ MBA का ऑपशन नही है, इसके अलावा भी कई अच्छे ऑपशन मौजूद हैं. MBA के अलावा कौन-कौन से प्रोफेशनल कोर्सेज के ऑपशन स्टूडेंट्स के पास होते हैं, देखिये.
फाइनेंशियल मैनेजमेंट में मास्टर्स प्रोग्राम एक करियर ओरियंटेड प्रोग्राम है. इस प्रोग्राम में स्टूडेंट्स को अकाउंटिंग और फाइनेंशियल मैनेजमेंट से जुड़ा कोर्स पढ़ाया जाता है. प्रोग्राम में फाइनेंशियल मैनेजमेंट से जुड़ी स्किल्स सिखाने पर फोकस किया जाता है.
दो साल का ये मास्टर्स प्रोग्राम उन स्टूडेंट्स के लिये काफी अच्छा होता है जो फाइनेंस और रिस्क मैनेजमेंट की फील्ड से पहले से जुड़े हुए हैं. यो कोर्स मॉनिटरिंग, इकोनॉमिक एनालिसिस, मार्केटिंग एनालिसिस, ऑडिट जैसे सबजेक्ट्स को कवर करता है. इस कोर्स के लिये स्टूडेंट्स के पास एनालिटिकल स्किल्स और कंप्यूटर की समझ होना जरूरी होता है.
एलिजिबिलिटी की बात करें तो MFM करने के लिये ग्रेजुएट होना जरूरी है. ग्रेजुएशन में 50 प्रतिशत अंक भी होना चाहिये. एडमिशन के लिये कॉलेज का इंट्रेंस टेस्ट पास करना होता है. इस कोर्स के लिये फाइनेंस बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स को प्रेफर किया जाता है. कई कॉलेज में तो फाइनेंस की फील्ड में 2 साल तक का वर्क एक्सपीरियंस भी मांगते हैं. करियर की बात करें तो इंश्योरेंस मैनेजर, क्रेडिट मैनेजर और चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर के रूप में काम कर सकते हैं.
ये कोर्स मैनेजमेंट कोर्सेज में हाई पेयिंग(High Paying) कोर्सेज में से एक है. दो साल के इस प्रोग्राम में थ्योरिटिकल लेक्चर, प्रैक्टिकल एसाइनमेंट और इंटर्नशिप, सब कुछ कराया जाता है. कोर्स में स्टूडेंट्स को मैनेजमेंट स्किल्स सीखने को मिलती हैं.
एलिजिबिलिटी की बात करें तो इस प्रोग्राम के लिये ग्रेजुएट होना जरूरी होता है. किसी भी फील्ड के ग्रेजुएट इस प्रोग्राम के लिये एलिजिबल है. प्रोग्राम के लिये ग्रेजुएशन में 50 प्रतिशत अंक होने जरूरी हैं. इसके अलावा कॉलेज का इंट्रेंस टेस्ट क्वालिफाई करना होता है. करियर की बता करें तो मास्टर्स इन मैनेजमेंट स्टडीज पूरा करने के बाद मैनेजमेंट कंसलटेंट, मार्केटिंग मैनेजर, ब्रांड मैनेजर जैसे पदों पर काम किया जा सकता है.
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3.मास्टर्स इन मार्केटिंग (Master in Marketing Management,MMM)ये कोर्स डाइनेमिक होने के साथ-साथ एक हाई पेयिंग कोर्स भी है. इस कोर्स में स्टूडेंट्स मार्केटिंग के रियल लाइफ कंपोनेन्ट को सीखते हैं और उसे कैसे लागू करना है ये भी जानते हैं. कोर्स में स्टूडेंट्स को मार्केटिंग स्ट्रैटजीज के बारे में बताया जाता है और इन्हें कैसे रियल लाइफ में इस्तेमाल करना है ये भी सिखाया जाता है.
एलिजिबिलिटी का बात करें तो इस कोर्स के लिये ग्रेजुएट होना जरूरी है. ग्रेजुएशन में 50 प्रतिशत होने जरूरी हैं. करियर की बता करें तो ब्रांड असिसटेंट, सोशल मीडिया मार्केटिंग असिसटेंट, और असिसटेंट मीडिया प्लानर के रूप काम करने के अवसर मौजूद हैं.
4.एमए ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट एंड लेबर रिलेशन ( Master of Arts,Human Resource Management & Labour Relations)दो साल के इस प्रोग्राम में प्रैक्टिकल और थ्योरिटिकल लर्निंग एस साथ सिखाई जाती है. इसमें केस स्टडीज, एसाइनमेंट, प्रजेंटेशन जैसी चीजें शामिल होती हैं. इसके अलावा स्टूडेंट्स को 6 से 8 हफ्ते की इंटर्नशिप भी कराई जाती है. किसी भी संस्थान में ह्यूमन रिसोर्स को कैसे मैनेज करना है, वो सब इस कोर्स में सिखाया जाता है.
करिकुलम में इंडस्ट्रियल रिलेशन, लेबर इकोनॉमिक्स, परफॉरमेंस मैनेजमेंट, लेबर लॉ जैसे सबजेक्ट्स पढ़ाये जाते हैं. इस कोर्स के लिये एलिजिबिलिटी की बात करें तो ग्रेजुएट होना जरूरी है. करियर की बात करें तो HR मैनेजर, HR एक्जीक्यूटिव, टैलेंट मैनेजर, HR कंसलटेंट के रूप में काम कर सकते हैं.
5.एमए ऑर्गनाइजेशन डेवलपमेंट, चेंज एंड लीडरशिप (Master of Arts, Organisation Development, Change and Leadership)दो साल के इस मास्टर्स प्रोग्राम में ऑर्गनाइजेशन के सिस्टम के बारे में बताया जाता है. इसके अलावा ये भी सिखाया जाता है कि ऑर्गनाइजेशन में दिक्कतों का हल कैसे निकाला जाये. ये प्रोग्राम स्टूडेंट्स को प्रोफेशनल बनाने में मदद करता है. कोर्स में ऑर्गनाइजेशन थ्योरी, ऑर्गनाइजेशन एनालिसिस, लीडरशिप जैसे सबजेक्ट्स पढ़ाये जाते हैं.
एलिजिबिलिटी की बता करें तो इस कोर्स के लिये ग्रेजुएट होना जरूरी है. इसके बाद इंट्रेंस टेस्ट क्वालिफाई करना होता है. करियर की बात करें तो डेवलपमेंट प्रोफेशनल, HR बिजनेस पार्टनर के रूप में काम कर सकते हैं.
6.डिप्लोमा इन इवेंट मैनेजमेंट (Diploma in Event management)इस कोर्स में किसी भी इवेंट को कैसे कराना है, उसकी मार्केटिंग कैसे करनी है, ये सब सिखाया जाता है. ये कोर्स एक हाई पेयिंग जॉब दिलाने में आपकी मदद कर सकता है. हाल के कुछ सालों में इवेंट मैनेजमेंट के कोर्सेज का डिमांड बढ़ी है.
एलिजिबिलिटी की बात करें तो इस डिप्लोमा के लिये 12वीं पास होना जरूरी है. 12वीं किसी भी बोर्ड या स्ट्रीम से किया हो, ये कोर्स कर सकते हैं. करियर की बात करें तो इवेंट अकाउंट मैनेजर, मार्केटिंग कैंपेन मैनेजर, और इवेंट कॉर्डिनेटर के रूप में काम कर सकते हैं.
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