इंडियन एयरफोर्स की वो ऑफिसर जो सचिन का सपना पूरा करने के लिए पेस बोलर बन गई
कहानी इंडियन वुमेन क्रिकेट टीम की मुख्य पेसर शिखा पांडेय की.
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बाईं तरफ बोलिंग करते Sachin Tendulkar (IANS फोटो) और दूसरी ओर Indian Air Force से सम्मानित हुईं India Women Cricketer Shikha Pandey (ट्विटर)
जब मैं छोटी थी तब मुझे क्रिकेट मैग्जीन पढ़ना बहुत पसंद था. यहीं से मुझे पता चला कि सचिन तेंडुलकर एक मीडियम पेसर बनना चाहते थे लेकिन अपनी कम लंबाई के चलते वह ऐसा नहीं कर पाए. फिर मैंने एक तरह से कसम खाई कि मैं एक मीडियम पेसर बनूंगी. मुझे सच में नहीं पता कि ये उनके लिए था या खुद के लिए. मैंने शायद सोचा था कि हो सकता है कि एक दिन उनको मुझ पर गर्व महसूस हो.
- शिखा पांडेय
भारत एक सुपरस्टार प्रधान देश है. यह इस देश के बारे में मेरी तमाम मान्यताओं में से एक है. ये सुपरस्टार या तो बॉलीवुड से होते हैं या फिर क्रिकेट से. खबर क्रिकेट की है तो हम ज़ाहिर है हम क्रिकेट के सबसे बड़े सुपरस्टार के बारे में बात कर रहे हैं जिन्हें लोग क्रिकेट का भगवान भी कहते हैं.सचिन तेंडुलकर.
मास्टर ब्लास्टर के फैंस पूरी दुनिया में हैं. आज भी भारत के मैच के दौरान उनका कोई न कोई फैन सचिन का नाम लहराते दर्शक दीर्घा में दिख ही जाता है. लेकिन उनकी एक फैन ऐसी हैं जिन्होंने सचिन का सपना पूरा करने के लिए पेस बोलिंग करने का फैसला किया.
# करियर पहले, क्रिकेट बाद में
शिखा पांडे. इंडियन विमेंस क्रिकेट टीम की ऑलराउंडर. लगातार तीन मैच जीत भारतीय महिला क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया में चल रहे T20 वर्ल्ड कप के सेमी-फाइनल में पहुंच चुकी है. टीम के इस प्रदर्शन में शिखा का बड़ा रोल है. इस वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले प्लेयर्स की लिस्ट में वो दूसरे नंबर पर हैं. पहले नंबर की प्लेयर पूनम यादव के बारे मेंआप यहां पढ़ सकते हैं.

टेस्ट मैच में अपील करतीं Shikha Pandey
दाएं हाथ की मीडियम पेसर और लोअर ऑर्डर बैट्सवुमेन शिखा ने इंडियन मिडिल क्लास फैमिली के 'करियर पहले, क्रिकेट बाद में', वाली हिदायत पर खूब अमल किया. तभी तो उन्होंने पहले इंजिनियरिंग की, फिर इंडियन एयरफोर्स में एयर ट्रैफिक कंट्रोलर 'ATC' की नौकरी शुरू की. इसके बाद इंडियन क्रिकेट टीम के लिए डेब्यू किया.
#गली क्रिकेट से वर्ल्ड कप
पूर्व भारतीय महिला क्रिकेटर स्नेहल प्रधान ने साल 2014 में शिखा के बारे में एक ब्लॉग में लिखा था,'एक दिन इंडियन क्रिकेट टीम की कैप पहनने का सपना देखने वाली इस युवा लड़की ने इस सपने से बहुत पहले एक सपना देखा था- उड़ने का. भारतीय किट में अपनी इनस्विंग बोलिंग के सपने से पहले शिखा एक पायलट बनने का सपना देख चुकी थीं. वह हमेशा से एयरफोर्स की तरफ आकर्षित थीं. वैसे तो उड़ने का सपना लगभग सभी देखते हैं लेकिन शिखा के इस सपने में अपने देश की सेवा करने का जुनून भी जुड़ा था. 'प्रधान के मुताबिक, इंजिनियरिंग के दूसरे साल में पहली बार शिखा ने BCCI के अंडर कंपीटीटिव क्रिकेट खेली. इससे पहले वह लड़कों के साथ भीड़ से भरी गलियों और गोवा के रेतीले बीच पर ही खेला करती थीं. यहां कुछ साल खेलने के बाद शिखा को लगा कि वह इंडियन टीम से खेल सकती हैं. उन्होंने डिग्री पूरी करने के बाद अपने उड़ने के सपनों को एक साल के लिए होल्ड किया. शिखा को इसका फायदा भी मिला. साल 2010 डोमेस्टिक क्रिकेट में अपने प्रदर्शन के दम पर वह इंडिया की संभावित स्क्वॉड में सेलेक्ट हो गईं.

एक कैंप के दौरान अपनी Idol Jhulan Goswami के साथ Shikha Pandey
साल 2011 में उन्होंने इंडिया टूर पर आई वेस्ट इंडीज़ महिला टीम के ख़िलाफ एक मैच भी खेला. शिखा ने यह मैच इंडिया 'A' के लिए खेला था. इसके बाद टीम को इंग्लैंड टूर पर जाना था. एयरफोर्स एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रही शिखा को भरोसा था कि उन्हें मौका मिलेगा. शिखा सोच रही थीं कि इस टूर पर टीम को स्विंग कराने वाली एक एक्स्ट्रा बोलर की जरूरत होगी. लेकिन जो हम सोचते हैं वह हमेशा कहां होता है? इंग्लैंड टूर के लिए उन्हें नहीं सेलेक्ट किया गया.
# जब लगा झटका
यहां शिखा को लगा कि शायद उनसे गलती हो गई. उन्होंने दो बेहद अलग-अलग सपने देखने की गलती की. एयरफोर्स के सपने को छोड़ जिस नीली जर्सी का सपना देखा, वह अधूरा रह गया. ज्यादातर लोग इस मोड़ पर टूट जाते हैं. खुद में कमियां निकालते हैं और अपनी ही राह कठिन कर लेते हैं. लेकिन जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कह गए हैं,दांव पर सब कुछ लगा है, रुक नहीं सकतेटूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते.
शिखा ने इस फेलियर को चुनौती की तरह लिया. इसके आगे झुकने से मना कर वह अपने दूसरे लक्ष्य एयरफोर्स की ओर मुड़ गईं. इस फैसले में शामिल थी बहुत सारी निराशा और दर्द. शिखा को लगने लगा था कि अब वह दोबारा क्रिकेट नहीं खेल पाएंगी. लेकिन यह तो बस शुरुआत थी, अभी एक और झटका लगना बाकी थी. शिखा एयरफोर्स का एंट्रेंस तो पार कर गईं, लेकिन पायलट बनने का सपना पीछे छूट गया. उन्हें रोल मिला एयर ट्रैफिक कंट्रोलर का. फिर यहां से शुरू हुई फ्लाइंग ऑफिसर शिखा पांडेय की कहानी. शिखा पांडेय अपने क्रिकेट खेलने के सपने को कभी मरने नहीं दिया. वह जब भी ट्रैवल करतीं, उनके सामान में एक विचित्र और सुस्पष्ट हमसफर के रूप में क्रिकेट किट होती ही थी. विचित्र इसलिए क्योंकि एयरफोर्स बेस पर क्रिकेट किट का दिखना आम बात नहीं है. और सुस्पष्ट वाली बात तो हर वह भारतीय जानता है कि जिसने क्रिकेट किट का बैग देखा है.CAS ACM BS Dhanoa felicitated F/L @shikhashauny
— Indian Air Force (@IAF_MCC) August 1, 2017
#IndianWomenCricket
team,appreciating her performance & wished success for future endeavors pic.twitter.com/26962RqcjO
# जारी रहा सफर
बाद में सर्विसेज के एथलीट्स और सर्विसेज स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड की मदद से शिखा ने क्रिकेट खेलना जारी रखा. छुट्टियां लेकर वह डोमेस्टिक क्रिकेट खेलती रहीं. साल 2014 में बांग्लादेश में हुए विमेन वर्ल्ड T20 के लिए शिखा को संभावित प्लेयर्स की लिस्ट में जगह मिली. जिसके बाद उन्हें चीफ ऑफ एयर स्टाफ ने गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किया. वह यह सम्मान पाने वाली पहली महिला ऑफिसर हैं. बाद में उन्हें वर्ल्ड कप की भारतीय टीम में भी चुना गया.शिखा ने इस वर्ल्ड कप से पहले बांग्लादेश के ख़िलाफ T20 डेब्यू किया था. शिखा ने सीरीज के तीनों मैच खेले थे. इसके साथ ही वह गोवा क्रिकेट असोसिएशन (GCA) से जुड़ी पहली ऐसी क्रिकेटर बन गई थीं जिसने भारतीय टीम के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेली हो. उनसे पहले कोई पुरुष क्रिकेटर भी यह मुकाम नहीं हासिल कर पाया था. इतना ही नहीं वह भारत के लिए खेलने वाली पहली सर्विसेज एम्प्लाई हैं. हालांकि उन्होंने सर्विसेज के लिए डोमेस्टिक क्रिकेट नहीं खेली क्योंकि डोमेस्टिक क्रिकेट में सर्विसेज की टीम ही नहीं है.

Women T20 Challenge के दौरान अपनी टीम के साथ एक विकेट सेलिब्रेट करतीं Shikha Pandey (BCCI)
जान लीजिए कि सर्विसेज स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड (SSCB) इंडियन आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में क्रिकेट का कामकाज देखने वाली संस्था है. यह संस्था सर्विसेज क्रिकेट टीम को भी चलाती है. इस टीम में इंडियन आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के जवान खेलते हैं.
# पूरा होगा सपना?
साल 2017 के विमेंस क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत हार गया था. इंग्लैंड के ख़िलाफ भारतीय टीम को 229 रन बनाने थे. शिखा बोलिंग में खूब पीटी गई थीं. फिर बैटिंग में जब टीम को 15 बोल्स पर 11 रन चाहिए थे तब एक आत्मघाती रन लेने के चक्कर में रनआउट हो गईं. शिखा को अपनी इस गलती का बहुत अफसोस रहा लेकिन अफसोस से बिगड़े काम बनते कहां हैं? गलतियों की सजा मिलती है. शिखा को भी मिली.उन्हें साल 2018 के वर्ल्ड T20 के लिए भारतीय टीम में नहीं लिया गया. ऐसा लगा कि अब उनका करियर खत्म हो जाएगा. टीम के पास कई युवा ऑप्शन थे. लेकिन शिखा ने मेहनत की, आर्मी एटिट्यूड दिखाया और 2020 के वर्ल्ड T20 में टीम इंडिया की लीड पेसर हैं.
शिखा ने बचपन में छह सपने देखे थे. क्रिकेटर, ब्लॉगर, एयरफोर्स ऑफिसर, इंजिनियरिंग, एस्ट्रोनॉट और वर्ल्ड कप विनर.
कड़ी मेहनत कर अपने चार सपने पूरे कर चुकी शिखा के पास अपना पांचवां सपना पूरा करने का एक और मौका है. उम्मीद है कि अभी तक इस वर्ल्ड कप में छह विकेट ले चुकी शिखा इस बार अपना सपना पूरा कर लेंगी. शिखा के पूरे हुए सपनों की बात करें तो वह क्रिकेटर, ब्लॉगर, एयरफोर्स ऑफिसर और इंजिनियर बन चुकी हैं.
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