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जब राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली ने एक साथ अपना क्रिकेट करियर शुरू किया था

आज ही के दिन लॉर्ड्स में दोनों इतिहास बनाने उतरे.

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Sourav Ganguly और Rahul Dravid ने एकसाथ डेब्यू किया था
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केतन बुकरैत
22 जून 2020 (Updated: 21 जून 2020, 04:56 AM IST)
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साल 1996. ऐसी हर बात, जिसमें किसी साल का ज़िक्र आता हो, को हमेशा मैं अपने जन्म के साल से तौलता हूं. साल 1996. मेरी उम्र पांच साल. जगह इंग्लैण्ड. मेरे जन्म की नहीं, वहां की जहां की वजह से आप ये पढ़ रहे हैं. 20 जून को क्रिकेट खेली जा सकने वाली सबसे पवित्र ज़मीन यानी लॉर्ड्स के मैदान पर एक टेस्ट मैच शुरू हुआ. इंग्लैंड वर्सेज़ इंडिया. अज़हरुद्दीन की कप्तानी में इंडिया टॉस जीत कर पहले फील्डिंग करना चाहती है. करी भी. सीरीज़ तीन टेस्ट मैचों की थी, इंग्लैण्ड पहला मैच जीत चुकी थी. जून का हल्का ठंडा महीना और हरा लॉर्ड्स का मैदान. गेंद, बॉलर्स को मदद कर रही थी. इंग्लैंड की टीम 107 रन पर 5 बैट्समेन को टाटा बाय-बाय कर चुकी थी. इन पांच विकेट को लेने वाले थे, जवागल श्रीनाथ - 2 विकेट, सौरव गांगुली - 2 विकेट और वेंकटेश प्रसाद - 1 विकेट. सौरव गांगुली! पहला टेस्ट मैच. शुरूआती स्पेल में ही नासिर हुसैन और ग्रीम हिक को खा लिया. नासिर हुसैन आगे चलकर इंग्लैण्ड के सफलतम कप्तानों में एक और बेहतरीन बल्लेबाज बने. गांगुली की ये शुरुआत महज़ शुरुआत थी. बेस्ट आना बाकी था. इंग्लैण्ड की इनिंग्स को वेंकटेश प्रसाद ने झाड़ दिया. वैसे जैसे अमिया से लदे पेड़ को बच्चे ढेला मार-मार के झाड़ देते हैं. वो तो कीपर जैक रसेल और ग्राहम थोर्प के बीच 136 रनों की पार्टनरशिप उन्हें बचा ले गयी वरना वेंकटेश प्रसाद के साढ़े 33 ओवरों में 10 मेडेन और 5 विकेटों ने इंग्लैण्ड का लगभग बंटाधार कर ही दिया था. इंडिया बैटिंग पे उतरी. विक्रम राठौड़ और नयन मोंगिया ओपेनिंग के लिए उतरे. पवेलियन में अपना पहला मैच खेलने वाला कलकत्ता का एक बाएं हाथ का बल्लेबाज पैर हिलाते हुए बैठा हुआ था. नर्वस था. इससे पहले जब उसे टीम में लिया गया था तो साल था 1992. ऑस्ट्रेलिया टूर पर गया था लेकिन बेंच पर ही बैठा रहा. वापस आया तो उसपर घमंडी और टीम के साथ घुल-मिल के न रहने के आरोप लगे हुए थे. उस टूर पर सेलेक्शन के वक़्त ही सौरव के आस-पास विवाद शुरू हो गया था. कहा जाने लगा था कि मात्र ईस्ट ज़ोन का कोटा भरने के लिए ही उनका सेलेक्शन किया गया था. राजदीप सरदेसाई की किताब 'डेमोक्रेसीज़ इलेवेन' में अरुण लाल ने कहा,
“जब सौरव ने खेलना शुरू किया तो वो वो अपने आप पर उतना भरोसा नहीं करता था. दिमागी तौर पर वो थोड़ा कमज़ोर था. इंडिया के लिए खेलने के लिए जब उसने खुद से और दूसरों से लड़ना शुरू किया तो उसके अंदर काफ़ी परिपक्वता आई और वो एक बेहतर इंसान और क्रिकेटर बना.”
1995-96 के बेहतरीन डोमेस्टिक सीज़न के बाद सौरब गांगुली को दोबारा टीम इंडिया में बुलाया गया था. एक बार फिर उनके सेलेक्शन पर कई सवाल खड़े हुए थे. इस बार कहा जा रहा था कि क्रिकेट बोर्ड के सेक्रेटरी होने के नाते जगमोहन डालमिया ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करके सौरव को टीम में घुसाया है. अरुण लाल का कहना है कि इससे सवाल पूछने वालों का पूर्वी भारत के क्रिकेटरों के प्रति नज़रिया बता रहा था.
“मुझे बहुत अच्छे से याद है कि इंग्लैंड दौरे से ठीक पहले मैं एक कमेंट्री पैनल में था. वहां मुझसे पूछा गया कि इंग्लैंड दौरे के लिए मैं किसे चुनूंगा. मैंने कहा सौरव. वहां मौजूद सभी लोग मुझपर हंस रहे थे. मुझे ख़ुशी है कि सौरव ने अपने सभी आलोचकों को गलत साबित किया.” (सोर्स - डेमोक्रेसीज़ इलेवेन)
अब तक की गयी सभी नेट प्रैक्टिसों, तमाम डोमेस्टिक मैचों को मैदान में अप्लाई करने का वक़्त आ गया था. इस बार सिर्फ घरवाले ही नहीं, सिर्फ कलकत्ता ही नहीं, देश देख रहा था. दिल की धड़कनें बिना शक बढ़ी हुई होंगी. दिमाग में काफी कुछ चल रहा था कि तब तक विक्रम 15 रन बनाकर चल बसे. इंडिया 25 पर एक. कलकत्ता के इस 24 साल से कुछ दूरी पर खड़े लड़के ने हेल्मेट पहना, ग्लव्स हाथ में लिए, एक लम्बी सांस ली और रख दिया पांव हरी घास में. अच्छा बॉलिंग स्पेल अब बीत चुका था. बारी बल्लेबाजी की थी. वो काम जिसके लिए उसे टीम में रक्खा गया था. saurav ganguly debut century vs england lord's

ठीक इसी वक़्त, टीम का एक और चेहरा उतना ही नर्वस या शायद थोड़ा ज़्यादा, मैच देख रहा था. इत्तेफ़ाक ये कि उसके सर पे भी इंडिया की नीली टेस्ट कैप पहली बार बिठाई गयी थी. बैंगलोर का ये लड़का मैदान में लीटरों पसीना बहा कर इस टीम में आया था. इसके बारे में जो कहानी फ़ेमस थी वो ये थी कि उसने अपने कॉलेज में 48 घंटों तक ग्लव्स पहन कर क्लास अटेंड की और दोस्तों से नोट्स लेकर अपने नोट्स बनाये. वो इसलिए क्यूंकि उसके पुराने ग्लव्स ढीले थे और हिलते थे. जिसकी वजह से गेंद बल्ले से न लगे और कीपर कैच कर ले तो भी एक हल्की सी आवाज़ आती थी, जिससे अंपायर उसे आउट दे देता था. इससे बचने के लिए उसने नए ग्लव्स खरीदे और उन्हें अपने हाथों पर सेट करने के लिए 48 घंटों तक ग्लव्स पहने रखे. अगला मैच कर्नाटक वर्सेज़ सौराष्ट्र. रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल.वो लड़का नए ग्लव्स पहनकर सेंचुरी मारता है. फाइनल में दिल्ली के खिलाफ़ एक मैच पुराने ग्लव्स पहन फिर से एक सेंचुरी और रणजी ट्रॉफी उठाता है. नाम - राहुल द्रविड़.rahul dravid debut test 95 runs lords दो नाम सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़. एक कलकत्ता का प्रिंस और दूजा बैंगलोर का खुद को घिसने वाला राहुल द्रविड़. एक ही साथ इंडिया के लिए अपना पहला मैच खेला. उस वक़्त किसी को नहीं मालूम था कि एक अपनी टीम को जीत की आदत डलवाने वाला, जोश से भरा, ज़िद्दी और खुद की ही सुनने वाला कप्तान और दूसरा देश का सबसे ज़्यादा इज्ज़त पाने वाला क्रिकेटर बनेगा. जूलियस सीज़र की मौत पर उसके सबसे बड़े विश्वासपात्र मार्क ऐंटनी ने कहा था कि मरा हुआ सीज़र ज़िन्दा सीज़र से ज़्यादा ख़तरनाक होगा. द्रविड़ के रिटायर होने के बाद, मुझे ये बात उनपर पर लागू होती हुई दिखी है. द्रविड़ के इंडियन टीम से जाते ही उनकी कमी महसूस होने लगी और वो दिन-पर-दिन बढ़ती सी ही लगती है. टीम से उनके जाने पर बन पड़ा एक गैप रोज़ बढ़ता दिखता है. कोई आश्चर्य नहीं है कि आज हम सभी इंडियन टीम के कोच की कुर्सी पर द्रविड़ को देखना चाहते हैं. हम कैसे भी ये चाहते हैं कि द्रविड़ इंडियन टीम के आस-पास ही रहें. एकदम वैसा ही जैसे घर से निकलते वक़्त मां अपने छोटे बेटे को अपने पिता के आस-पास रहने की हिदायत देती है. इन दोनों के बारे में बात करने की एक सबसे बड़ी मुश्किल यही है. आप एक इनिंग्स की बजाय उनकी पूरी यात्रा और उस यात्रा के दौरान बने टायरों के निशान के बारे में बात करने लग जाते हैं. खैर, वापस मैच पर आते हैं. गांगुली जिन्होंने कलकत्ता में ऐसी ही कंडीशन में ऐसी ही तैरती गेंदों को हल्की धीमी पिचों पर खेला था, इस मैच में आराम से खेले जा रहे थे. स्लैज़ेंगर का बल्ला, टीशर्ट की बांह पर विल्स का लोगो और आधी बांह का स्वेटर. ये तस्वीर उस बायें हत्थे बल्लेबाज की जो 7 घंटों तक क्रीज़ पर रहा. अपने 131 रनों में 20 चौके मारे. कुल गेंदें 301. अचानक ही अज़हर को इस बात का मलाल हो उठा कि क्यूं नहीं पिछले मैच में भी इसे खिला लिया था? चौथा सीमर और मिडल ऑर्डर बैट्समैन हो जाता. 1-0 शायद 0-1 हो जाता. उधर द्रविड़ का होमग्राउंड बैंगलोर में था. एक समय था जब टीम में 3-4 कर्नाटक के प्लेयर्स होने तो तय थे. इस मैच में भी श्रीनाथ, प्रसाद, कुंबले और अब राहुल द्रविड़ कर्नाटक से थे. पहले ही मैच में द्रविड़ उस तरह से खेल रहे थे जैसा किसी 'टेस्ट मैच कैसे खेलें' नाम की किताब में लिखा होगा. वही जूझने की चाह और बाहर की गेंदों को आदर्श बल्लेबाज की तरह छोड़ देने की फितरत. गांगुली के रूप में छठा विकेट 296 रन पर गिरने पर इंडिया 350 के आस पास गिरती दिख रही थी लेकिन द्रविड़ ने मामला 400 के पार पहुंचाया. क्रिस लुइस की एक गेंद पर बाहरी किनारा और द्रविड़ सैकड़े से 5 रन पहले ही आउट हो गए.

ये 95 रन पूत के वो पांव थे जो पालने में ही दिख गए.


इस इनिंग्स के बाद कुल 285 इनिंग्स और. दुनिया के सबसे अच्छे गेंदबाजों की क्रीम की 31 हज़ार गेंदें खेलीं. 13 हज़ार से ऊपर टेस्ट रन और बेशुमार इज्ज़त. ये है कुल कमाई राहुल द्रविड़ की. जो शुरू हुई थी इसी मैच में. इसी इनिंग्स से. लॉर्ड्स टेस्ट 1996. इंडिया वर्सेज़ इंग्लैण्ड. इंडिया की पहली इनिंग्स की दो तस्वीरें कभी नहीं भूली जायेंगी. गांगुली अपने सेंचुरी के नज़दीक थे. गेंद थी डॉमिनिक कॉर्क के हाथ में. एक स्लिप और कीपर की बाहर लगी पोज़ीशन ये बता रही थी कि बल्ले के किनारे को निशाना किया जा रहा था. गेंद ऑफ स्टम्प की लाइन पर छूटी लेकिन स्विंग होते हुए फ़ुल लेंथ पर मिडल और लेग स्टम्प पर आकर गिरी. आगे चलकर ऐसी गेंदों को हाफ वॉली कहा गया. गांगुली अपनी सबसे बेहतरीन पोज़ीशन में आ चुके थे. बिना कोई वक़्त लिए. अगले पैर का अंगूठा गेंद की लाइन में, ऊंची बैकलिफ्ट, सीधा सर, नज़र गेंद पर और बल्ले का चेहरा ऑन साइड की ओर. रिची बेनॉड अपने ही स्टाइल में में कहते हैं "He has played some crackers today. Cover drives, stretch of his toes. Straight drives, and that one, the most glorious on drive." और दूसरी - फिर से डॉमिनिक की ही गेंद पर. इस बार उनका स्कोर 97. ऑफ स्टम्प के बाहर मुंह के सामने पड़ी गेंद जिसे एक पैर गेंद की लाइन में रख बल्ले से रास्ता दिखा दिया. शायद वो एक शॉट जिसमें गुरूर भरा हुआ था. गुरूर, ऑफ साइड का भगवान होने का. गेंद बाउंड्री तक पहुंचती है. मैदान में तालियों का शोर उठता है. हेलमेट उतरता है. एक हाथ से बल्ला और एक से हेलमेट पकड़े दोनों हाथ हवा में उठते हैं. दूसरे एंड पर खड़ा बैट्समैन अपने बैट का फ़ेस हाथ से पीटते उसकी ओर आता है, बधाई देता है. राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली. मैदान के बीचों-बीच. एक दूसरे को बधाई देते हुए, हाथ मिलाते हुए.

वो दो हाथ जिन्हें अगले कई सालों तक इंडियन क्रिकेट को संभालना था.

saurav ganguly debut vs england lord's


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