जब राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली ने एक साथ अपना क्रिकेट करियर शुरू किया था
आज ही के दिन लॉर्ड्स में दोनों इतिहास बनाने उतरे.
Advertisement

Sourav Ganguly और Rahul Dravid ने एकसाथ डेब्यू किया था
“जब सौरव ने खेलना शुरू किया तो वो वो अपने आप पर उतना भरोसा नहीं करता था. दिमागी तौर पर वो थोड़ा कमज़ोर था. इंडिया के लिए खेलने के लिए जब उसने खुद से और दूसरों से लड़ना शुरू किया तो उसके अंदर काफ़ी परिपक्वता आई और वो एक बेहतर इंसान और क्रिकेटर बना.”1995-96 के बेहतरीन डोमेस्टिक सीज़न के बाद सौरब गांगुली को दोबारा टीम इंडिया में बुलाया गया था. एक बार फिर उनके सेलेक्शन पर कई सवाल खड़े हुए थे. इस बार कहा जा रहा था कि क्रिकेट बोर्ड के सेक्रेटरी होने के नाते जगमोहन डालमिया ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करके सौरव को टीम में घुसाया है. अरुण लाल का कहना है कि इससे सवाल पूछने वालों का पूर्वी भारत के क्रिकेटरों के प्रति नज़रिया बता रहा था.
“मुझे बहुत अच्छे से याद है कि इंग्लैंड दौरे से ठीक पहले मैं एक कमेंट्री पैनल में था. वहां मुझसे पूछा गया कि इंग्लैंड दौरे के लिए मैं किसे चुनूंगा. मैंने कहा सौरव. वहां मौजूद सभी लोग मुझपर हंस रहे थे. मुझे ख़ुशी है कि सौरव ने अपने सभी आलोचकों को गलत साबित किया.” (सोर्स - डेमोक्रेसीज़ इलेवेन)अब तक की गयी सभी नेट प्रैक्टिसों, तमाम डोमेस्टिक मैचों को मैदान में अप्लाई करने का वक़्त आ गया था. इस बार सिर्फ घरवाले ही नहीं, सिर्फ कलकत्ता ही नहीं, देश देख रहा था. दिल की धड़कनें बिना शक बढ़ी हुई होंगी. दिमाग में काफी कुछ चल रहा था कि तब तक विक्रम 15 रन बनाकर चल बसे. इंडिया 25 पर एक. कलकत्ता के इस 24 साल से कुछ दूरी पर खड़े लड़के ने हेल्मेट पहना, ग्लव्स हाथ में लिए, एक लम्बी सांस ली और रख दिया पांव हरी घास में. अच्छा बॉलिंग स्पेल अब बीत चुका था. बारी बल्लेबाजी की थी. वो काम जिसके लिए उसे टीम में रक्खा गया था.

ठीक इसी वक़्त, टीम का एक और चेहरा उतना ही नर्वस या शायद थोड़ा ज़्यादा, मैच देख रहा था. इत्तेफ़ाक ये कि उसके सर पे भी इंडिया की नीली टेस्ट कैप पहली बार बिठाई गयी थी. बैंगलोर का ये लड़का मैदान में लीटरों पसीना बहा कर इस टीम में आया था. इसके बारे में जो कहानी फ़ेमस थी वो ये थी कि उसने अपने कॉलेज में 48 घंटों तक ग्लव्स पहन कर क्लास अटेंड की और दोस्तों से नोट्स लेकर अपने नोट्स बनाये. वो इसलिए क्यूंकि उसके पुराने ग्लव्स ढीले थे और हिलते थे. जिसकी वजह से गेंद बल्ले से न लगे और कीपर कैच कर ले तो भी एक हल्की सी आवाज़ आती थी, जिससे अंपायर उसे आउट दे देता था. इससे बचने के लिए उसने नए ग्लव्स खरीदे और उन्हें अपने हाथों पर सेट करने के लिए 48 घंटों तक ग्लव्स पहने रखे. अगला मैच कर्नाटक वर्सेज़ सौराष्ट्र. रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल.वो लड़का नए ग्लव्स पहनकर सेंचुरी मारता है. फाइनल में दिल्ली के खिलाफ़ एक मैच पुराने ग्लव्स पहन फिर से एक सेंचुरी और रणजी ट्रॉफी उठाता है. नाम - राहुल द्रविड़.

ये 95 रन पूत के वो पांव थे जो पालने में ही दिख गए.
इस इनिंग्स के बाद कुल 285 इनिंग्स और. दुनिया के सबसे अच्छे गेंदबाजों की क्रीम की 31 हज़ार गेंदें खेलीं. 13 हज़ार से ऊपर टेस्ट रन और बेशुमार इज्ज़त. ये है कुल कमाई राहुल द्रविड़ की. जो शुरू हुई थी इसी मैच में. इसी इनिंग्स से. लॉर्ड्स टेस्ट 1996. इंडिया वर्सेज़ इंग्लैण्ड. इंडिया की पहली इनिंग्स की दो तस्वीरें कभी नहीं भूली जायेंगी. गांगुली अपने सेंचुरी के नज़दीक थे. गेंद थी डॉमिनिक कॉर्क के हाथ में. एक स्लिप और कीपर की बाहर लगी पोज़ीशन ये बता रही थी कि बल्ले के किनारे को निशाना किया जा रहा था. गेंद ऑफ स्टम्प की लाइन पर छूटी लेकिन स्विंग होते हुए फ़ुल लेंथ पर मिडल और लेग स्टम्प पर आकर गिरी. आगे चलकर ऐसी गेंदों को हाफ वॉली कहा गया. गांगुली अपनी सबसे बेहतरीन पोज़ीशन में आ चुके थे. बिना कोई वक़्त लिए. अगले पैर का अंगूठा गेंद की लाइन में, ऊंची बैकलिफ्ट, सीधा सर, नज़र गेंद पर और बल्ले का चेहरा ऑन साइड की ओर. रिची बेनॉड अपने ही स्टाइल में में कहते हैं "He has played some crackers today. Cover drives, stretch of his toes. Straight drives, and that one, the most glorious on drive." और दूसरी - फिर से डॉमिनिक की ही गेंद पर. इस बार उनका स्कोर 97. ऑफ स्टम्प के बाहर मुंह के सामने पड़ी गेंद जिसे एक पैर गेंद की लाइन में रख बल्ले से रास्ता दिखा दिया. शायद वो एक शॉट जिसमें गुरूर भरा हुआ था. गुरूर, ऑफ साइड का भगवान होने का. गेंद बाउंड्री तक पहुंचती है. मैदान में तालियों का शोर उठता है. हेलमेट उतरता है. एक हाथ से बल्ला और एक से हेलमेट पकड़े दोनों हाथ हवा में उठते हैं. दूसरे एंड पर खड़ा बैट्समैन अपने बैट का फ़ेस हाथ से पीटते उसकी ओर आता है, बधाई देता है. राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली. मैदान के बीचों-बीच. एक दूसरे को बधाई देते हुए, हाथ मिलाते हुए.
वो दो हाथ जिन्हें अगले कई सालों तक इंडियन क्रिकेट को संभालना था.
ये भी पढ़ें:
क्रिकेट को सबसे महंगी लीग देने वाला आदमी, जो आज अमरीका की जेल में बंद है
शेन वॉर्न की बॉल ऑफ़ द सेंचुरी के अलावा 5 गेंदें जो भुलाई नहीं जा सकतीं
जब फॉलो-ऑन हटाने के लिए 24 रन चाहिए थे और कपिल ने लगातार 4 छक्के मार दिए
वो मैच जिसमें इंडिया को ऑस्ट्रेलिया ने नहीं अम्पायरों ने हराया था