सुपरस्टार रजनीकांत. प्रॉपर्टी टैक्स विवाद को लेकर मद्रास हाईकोर्ट पहुंच गए थे. 14 अक्टूबर को मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने उन्हें कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए फटकार लगाई. इसके बाद रजनीकांत ने अपनी याचिका वापस ले ली.
क्या है मामला?
ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन ने नोटिस भेजकर रजनीकांत के मैरिज हॉल, श्रीराघवेंद्र कल्याण मंडपम का 6.5 लाख रुपए का प्रॉपर्टी टैक्स जमा करने के लिए कहा था. रजनी ने कहा कि ऐसा कैसे? इसे लेकर वो हाईकोर्ट पहुंच गए. कहा कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते 24 मार्च से उनका मैरिज हॉल बंद है. अब जब कोई कमाई ही नहीं हुई तो टैक्स किस बात का मांगा जा रहा है? रजनी ने यह दावा भी किया था कि इस बारे में उन्होंने म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में आवेदन भी दिया था, जिसका कोई जवाब नहीं मिला.
कोर्टने कहा कि रजनीकांत को कोर्ट का समय बर्बाद करने की बजाय ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन को रिमाइंडर भेजना चाहिए था. इसके बाद रजनीकांत के वकील ने कोर्ट से केस वापस लेने की इजाजत मांगी.
इस प्रावधान के तहत छूट मांगा
रजनीकांत के वकील ने 1919 के चेन्नई सिटी म्युनिसिपल कारपोरेशन एक्ट की धारा 105 में कर छूट के प्रावधान का हवाला देते हुए 50 प्रतिशत माफी के प्रावधान का जिक्र किया.
इसमें कहा गया है कि छह महीने में अगर कोई बिल्डिंग जो 30 या उससे ज्यादा दिनों तक ज्यादा खाली रही हो तो उसे टैक्स में छूट दिया जा सकता है.
एनडीटीवी से बात करते हुए रजनीकांत के वकील विजयन सुब्रमण्यन ने कहा कि कानूनी प्रावधान है कि प्रॉपर्टी खाली होने पर संपत्ति कर में 50 प्रतिशत की छूट मांगी जा सकती है. यही कारण है कि रजनीकांत इसका लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं.
वहीं एनडीटीवी से बातचीत में एक अधिकारी ने कहा कि वो इस तरह के छूट प्रावधान से अवगत नहीं हैं. हालांकि, अगर संपत्ति कर का भुगतान 15 तारिख से पहले किया जाता है तो छूट दी जा सकती है, नहीं तो उन्हें जुर्माना देना होगा.
दअरसल संपत्ति कर वसूलने के लिए चेन्नई निगम आक्रामक तरीके से अभियान चला रहा है. क्योंकि अधिकांश मालिकों ने पैसा नहीं होने की बात कहकर संपत्ति कर देने से मना कर दिया है.
नौकरी जाने से कमाई घटने, वेतन में कटौती और पांच महीने तक दुकानों को बंद करने से बड़ी संख्या में व्यक्तियों, दुकानों, कॉम्प्लेक्स और मॉल को भारी नुकसान हुआ है. मकान मालिकों को सरकार ने किराया जमा न करने की सलाह दी थी. ऐसे में विपक्षी दल भी टैक्स टालने की मांग कर रहे हैं.
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