तबलीग़ी जमात का मामला. सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गयीं. याचिकाएं कि मीडिया की रिपोर्टिंग में तबलीग़ी जमात को दोषी ठहराया गया. याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा. केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से जवाब दायर किया गया. बार एंड बेंच के हवाले से बताएं तो केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि तबलीग़ी जमात मरकज़ के मामले में मीडिया कवरेज कमोबेश न्यूट्रल ही थी.
केंद्र सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की बातें अस्पष्ट दावों, कुछ प्राइवेट फ़ैक्ट-चेकिंग वेबसाइटों और कुछ अपुष्ट ख़बरों पर आधारित हैं. केंद्र सरकार के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी दिखाई. CJI एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमनियन ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा,
“पहले तो आपने पुख़्ता हलफ़नामा नहीं दायर किया. और फिर आपने जो हलफ़नामा दायर किया, वो दो मुख्य सवालों के जवाब ही नहीं देता है. ये ऐसे नहीं हो सकता. आपको हमें बताना है कि आपने केबल टीवी एक्ट के तहत के पहले के मामलों में कैसे कार्रवाई की? हमें आपको बताना होगा कि इस मामले में हम केंद्र सरकार के हलफ़नामों से संतुष्ट नहीं हैं.”
कोर्ट ने आगे कहा,
“हम जानना चाहते हैं कि आपने क्या क़दम उठाए और इस हलफ़नामे का उससे कोई लेनादेना नहीं है. हम इस मामले को NBSA को क्यों भेजें, जब आपके पास अधिकार और शक्तियां हैं. और अगर आपके पास अधिकार नहीं हैं, तो आप ऐसी अथॉरिटी का निर्माण करिए. वरना हम इस पूरे मामले को किसी बाहरी एजेंसी के पास भेज देंगे.”
कोर्ट के सामने अपनी बात रखते हुए तुषार मेहता ने कहा,
“इलेक्ट्रॉनिक मीडिया केबल टीवी एक्ट के अंतर्गत नहीं आते हैं. केबल केवल एक माध्यम है. और केबल टीवी एक्ट माध्यमों के बारे में बात करता ही. लेकिन इतनी शक्ति ज़रूर है कि वो किसी भी चैनल का ट्रांसमिशन रोक सकता है. चैनलों पर नज़र रखने के लिए कमिटी भी है.”
तुषार मेहता ने नया हलफ़नामा दायर करने के लिए कोर्ट से तीन हफ़्तों का समय मांगा. और केस को तीन हफ़्तों तक के लिए मुल्तवी कर दिया गया.
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