The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • After Op Sindoor China ran dis...

ऑपरेशन सिंदूर के बाद रफाल विमान को 'गिराने' में चीन का हाथ? रिपोर्ट में बड़ी साजिश खुल गई

रिपोर्ट के मुताबिक भारत-पाकिस्तान संघर्ष शुरू होते ही 1,000 से ज्यादा नए सोशल मीडिया अकाउंट्स बनाए गए. इन अकाउंट्स ने यह प्रचार किया कि चीनी तकनीक रफाल से बेहतर है.

Advertisement
Rafale
फ्रांस की एविएशन कंपनी दसॉ द्वारा बनाया गया भारत का रफाल. (India Today)
pic
सौरभ
7 जुलाई 2025 (Updated: 7 जुलाई 2025, 08:43 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन ने रफाल फाइटर जेट के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाया. अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी असोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने फ्रांस के इस हाई टेक जेट की बिक्री पर असर डालने के लिए अपने दूतावासों का भी इस्तेमाल किया.

रिपोर्ट में फ्रांसीसी सैन्य अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि रफाल की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए, चीन ने विदेशी मिशनों के जरिये उन देशों को समझाने की कोशिश की जिन्होंने इस फाइटर जेट्स का ऑर्डर दिया है. चीन ने कोशिश की रफाल कि जगह उसके फाइटर जेट्स को प्राथमिकता दी जाएं.

एक मिलिट्री प्रोडक्ट के रूप में रफाल को बदनाम करने के लिए चीन ने सबसे सटीक टाइमिंग चुनी. रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने ये प्रोपेगैंडा तब फैलाया जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने भारत के तीन रफाल विमानों को गिरा दिया. हालांकि, रफाल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी दसॉ एविएशन के CEO एरिक ट्रैपियर पाकिस्तान के दावे को ‘गलत’ बता चुके है.

हाल ही में भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने पहली बार यह स्वीकार किया कि पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान भारत के कुछ फाइटर जेट्स को नुकसान पहुंचा है. हालांकि, उन्होंने पाकिस्तान के रफाल गिराने के दावे को ‘गलत’ करार दिया था.

फ्रांसीसी इंटेलिजेंस एनालिसिस के मुताबिक चीनी दूतावासों के रक्षा अधिकारियों ने यह प्रचार किया कि भारतीय वायुसेना के रफाल जेट्स ने ‘खराब’ प्रदर्शन किया. साथ ही चीन ने अन्य देशों के सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठकों में चीनी हथियारों को बढ़ावा दिया. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि चीन ने उन देशों को टारगेट किया जिन्होंने रफाल खरीदे हैं या खरीदने की योजना बना रहे हैं.

फ्रांसीसी सैन्य अधिकारियों के मुताबिक इस दुष्प्रचार अभियान में सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट, रफाल के मलबे दिखाती फर्जी फोटो, AI-जनरेटेड कॉन्टेंट और वीडियो गेम के सीन शामिल थे. चीन इस सभी तस्वीरों को भारत के वे रफाल बता रहा था, जिन्हें पाकिस्तान ने गिराने का दावा किया था.

रिपोर्ट के मुताबिक भारत-पाकिस्तान संघर्ष शुरू होते ही 1,000 से ज्यादा नए सोशल मीडिया अकाउंट्स बनाए गए. इन अकाउंट्स ने यह प्रचार किया कि चीनी तकनीक रफाल से बेहतर है.

फ्रांसीसी रक्षा मंत्रालय का बयान

इस मामले में फ्रांस के रक्षा मंत्रालय का बयान भी आया है. उन्होंने कहा कि रफाल को ‘एक व्यापक दुष्प्रचार अभियान’ के तहत निशाना बनाया गया, जिसका उद्देश्य ‘मुख्य रूप से चीन की टेक्नॉलजी को श्रेष्ठ’ बताना था.

मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर लिखा, 

"रफाल को यूं ही निशाना नहीं बनाया गया. यह एक अत्यधिक सक्षम फाइटर जेट है, जिसे विदेशों में निर्यात किया गया है और हाई-प्रोफाइल सैन्य मिशनों में तैनात किया गया है. इस विमान पर हमला कर कुछ ताकतें फ्रांस की विश्वसनीयता और उसके रक्षा उद्योग एवं तकनीकी क्षमताओं को नुकसान पहुंचाना चाहती थीं. यह दुष्प्रचार केवल एक विमान को नहीं, बल्कि फ्रांस की रणनीतिक स्वतंत्रता, औद्योगिक विश्वसनीयता और मजबूत साझेदारियों की छवि को निशाना बना रहा था."

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक दसॉ एविएशन ने अब तक 533 रफाल विमान बेचे हैं, जिनमें से 323 का निर्यात मिस्र, भारत, कतर, ग्रीस, क्रोएशिया, संयुक्त अरब अमीरात, सर्बिया और इंडोनेशिया जैसे देशों को हुआ है. इंडोनेशिया ने 42 रफाल का ऑर्डर दिया है. इंडोनेशिया और भी रफाल खरीदने की योजना बना रहा है.

वीडियो: आधी रात तीनों सेनाओं ने ऐसे किया ऑपरेशन सिंदूर, रफाल के कमाल से दहला पाकिस्तान

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement