जेठालाल चंपकलाल गड़ा. गोरेगांव की पाउडर गली की गोकुलधाम सोसाइटी की ए विंग के निवासी. जलेबी-फाफ़ड़ा के शौक़ीन और बबीता जी के कहने पर बीसवीं मंज़िल से भी ख़ुशी-ख़ुशी छलांग लगाने को तैयार रहने वाले अपने जेठा भाई. अगर ये आप प्लेनेट अर्थ पर ही पढ़ रहे हो तो अब तक समझ ही गए होंगे कि हम ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के दिलीप जोशी जी द्वारा अभिनीत किरदार की बात कर रहे हैं.
जुलाई 2008 में शुरू हुआ ‘तारक मेहता…’ शो इस समय अपने 13वे वर्ष में है. और इन तेरह वर्षों में बहुत कम बार ही ऐसा हुआ है कि शो टीआरपी चार्ट्स से कभी उतरा हो. हिंदुस्तान की आधी जनता की तो अब आदत बन गई है कि वो खाने के साथ रायता, अचार वगैरह लें या ना लें ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ ज़रूर लेते हैं. हालांकि पिछले कुछ वर्षों से जनता के मुताबिक़ शो की क्वालिटी कुछ गिरी है. लेकिन इसके पुराने एपिसोड्स के रिपीट टेलीकास्ट की रेटिंग्स कभी-कभी नए-नवेले शोज़ से भी ज़्यादा आ जाती है.
#गड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स

शो में जेठालाल की एक दुकान है. गड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स. क्या आपको पता है ये दुकान असल में किसकी है? नहीं मालूम है तो हम बताते हैं. टीवी पर आप जिस गड़ा इलेक्ट्रोनिक्स को देखते हो, उसके असली मालिक हैं शेखर गड़ीयार. ये दुकान असल में मुंबई के खार एरिया में स्थित है. शेखर अपनी दुकान शूटिंग के लिए भाड़े पर देते हैं. इनकी दुकान का पहले तो नाम शेखर इलेक्ट्रॉनिक्स था लेकिन ‘तारक मेहता..’ की लोकप्रियता के बाद ये दुकान इतनी पॉपुलर हो गई कि शेखर ने ‘गड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स’ ही नाम रख लिया.
दुकान के मालिक शेखर बताते हैं कि दुकान किराए पर देने से पहले उन्हें डर था कि कहीं उनका इलेक्ट्रॉनिक्स का कोई नाज़ुक आइटम शूटिंग के दौरान टूट-फूट ना जाए. लेकिन पिछले 12 सालों में कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि उनके किसी आइटम पर हल्का सा स्क्रैच भी आया हो.
शेखर कहते हैं शो की पॉपुलैरिटी की वजह से उनके यहां ग्राहकों से ज्यादा पर्यटकों की भीड़ आती है. वो भले कुछ खरीदें या न खरीदें लेकिन दुकान के साथ फोटो वगैरह खूब खिंचवाते हैं.अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को विडियो कॉल करके भी अपने यहां होने का सबूत दिखाते हैं.
# एंटरटेनमेंट इफेक्ट्स
‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ से असली दुकान की ग्राहकी बढ़ने का मामला हो या ‘चक दे इंडिया’ के बाद हॉकी की बढ़ी बिक्री हो, या फ़िर ‘3 इडियट्स’ के बाद लदाख टूरिज्म में हुआ इज़ाफा हो. फ़िल्मों और टीवी शोज़ के असल जिंदगी में प्रभाव डालने के ऐसे अनेकों उदाहरण हैं. चलिए सबका यूंही भला होता रहे.
ये स्टोरी दी लल्लनटॉप में इंटर्नशिप कर रहे शुभम ने लिखी है
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