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नदी से निकली विष्णु की प्राचीन मूर्ति, फीचर 'राम लला' की मूर्ति जैसे

सदियों पुरानी ये मूर्तियां कर्नाटक के राइचुर ज़िले के देवसुगुर गांव के पास मिली हैं. लोकल लोगों ने जानकारी दी कि खोजी गई मूर्तियों में भगवान कृष्ण के दशावतार और शिवलिंग शामिल हैं. कुछ लोगों का ये भी कहना है कि मूर्तियां हाल ही में अयोध्या राम मंदिर की मूर्ति से मिलती हैं.

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vishnu idol found in krishna river
मजदूरों को मिली विष्णु की मूर्ति और शिवलिंग. (फ़ोटो - इंडिया टुडे)
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सोम शेखर
7 फ़रवरी 2024 (Updated: 7 फ़रवरी 2024, 08:13 PM IST) कॉमेंट्स
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कर्नाटक में कृष्णा नदी (Krishna River) बहती है. राइचुर ज़िले में नदी पर पुल बन रहा था. निर्माण के दौरान नदी में दो मूर्तियां मिली हैं – एक शिवलिंग और हिंदू देवता विष्णु की एक प्राचीन मूर्ति. स्थानीय लोगों का ताज्जुब ये है कि विष्णु की ये मूर्ति (Vishnu Idol) अयोध्या के राम मंदिर में लगी मूर्ति से काफी मिलती-जुलती है.

इंडिया टुडे के इनपुट्स के मुताबिक़, सदियों पुरानी ये मूर्तियां ज़िले के देवसुगुर गांव के पास मिली हैं. लोगों ने मूर्तियों को नदी से सुरक्षित बाहर निकाला और तुरंत स्थानीय प्रशासन को सूचित किया. मौक़े पर मौजूद लोकल लोगों ने जानकारी दी कि खोजी गई मूर्तियों में भगवान कृष्ण के दशावतार और शिवलिंग शामिल हैं. कुछ लोगों का ये भी कहना है कि मूर्तियां हाल ही में अयोध्या राम मंदिर की मूर्ति से मिलती हैं.

ये भी पढ़ें - MP: बांधवगढ़ में मिलीं हजारों साल पुरानी बौद्ध मूर्तियां, भगवान विष्णु की मूर्ति भी मिली

अयोध्या राम मंदिर  के गर्भ गृह में जो मूर्ति स्थापित की गई है, उसे मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है. 'कृष्ण शिला' पर बनाई गई श्याम रंग की 51-इंच ऊंची मूर्ति.

राइचुर विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास और पुरातत्व की लेक्चरर डॉ. पद्मजा देसाई ने नदी में मिली इस मूर्ति के संदर्भ में न्यूज़ एजेंसी PTI से बात की. बताया कि मूर्ति वेदों में वर्णित वेंकटेश्वर से मिलती जुलती है.

"इस मूर्ति में कई विशेषताएं हैं. इसके चारों ओर एक चमकीली आभा का पेडेस्टल है. मूर्तिकला में भगवान विष्णु के दस अवतारों को शामिल किया गया है. इनमें मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिम्हा, वामन, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि हैं. मूर्ति की खड़ी मुद्रा आगमों के दिशानिर्देशों का पालन करती है."

डॉ पद्मजा ने ये भी कहा इस मूर्ति में गरुड़ नहीं है, जो आमतौर पर विष्णु की मूर्तियों में देखा जाता है. पुरातत्वविदों का मानना है कि ये मूर्ति 11वीं या 12वीं शताब्दी ईस्वी की हो सकती हैं. उनका कहना है कि मुमकिन है कि मूर्ति किसी मंदिर में हो और जब मंदिर को तोड़ा गया हो, उस वक़्त इसे नदी में बहा दिया गया हो.

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