"बलात्कारियों को तो पहले से ही..."- सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस केस में किसको बड़ा मेसेज दे दिया?
सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले की सुनवाई करते हुए पूछा कि इन्हें लंबी पैरोल मिली हैं. क्या दोषियों के जुर्माना नहीं भरने को जेल में उनके आचरण की जांच करते हुए जरूरी माना जाएगा? इनकी सजा माफी का आधार क्या है?

सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने बिलकिस बानो (Bilkis Bano) मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि कुछ दोषियों को दूसरे दोषियों की तुलना में विशेषाधिकार मिले हुए हैं. कोर्ट ने 14 सितंबर को कहा,
"दूसरे दोषियों की अपेक्षा इस मामले के दोषियों को कई दिनों की परोल लेने का विशेषाधिकार मिला हुआ था."
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों के वकील सिद्धार्थ लूथरा से सवाल किया कि बिलकिस बानो मामले में दोषियों का जुर्माना नहीं भरना, जेल में उनके आचरण की जांच करते हुए एक ज़रूरी मुद्दा होगा या नहीं? इन दोषियों की सज़ा को माफ करने का आधार बताएं. उन्हें लंबी परोल मिली हैं.
इसके जवाब में लूथरा ने कहा कि मुख्य मुद्दा ये है कि बिलकिस बानो मामले में दोषियों की रिहाई की नीति ठीक तरह से लागू हुई या नहीं. उन्होंने कहा,
'दोषियों ने जानबूझकर नहीं भरा जुर्माना'"दूसरे पक्ष का कहना है कि बदला या कुछ भी नहीं. मेरी नज़रों में इस स्तर पर इस तर्क का कोई मतलब नहीं है. रिहाई को टाला नहीं जा सकता. उनका कहना है कि इसे बहुत पुराने समय के हिसाब से देखा जाए."
इससे पहले बिलकिस की तरफ से केस लड़ रहीं वकील शोभा गुप्ता और वृंदा ग्रोवर ने दोषियों की रिहाई को गैरकानूनी बताया था. उन्होंने तर्क दिया था कि दोषियों ने अपनी डिफॉल्ट सज़ा पूरी नहीं की थी. साथ ही दोषियों ने अपना जुर्माना भी नहीं भरा है.
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वृंदा ग्रोवर ने ज़ोर देकर कहा था कि दोषियों ने जानबूझकर जुर्माना नहीं दिया है. जबकि बॉम्बे हाई कोर्ट ने जुर्माने की राशि पीड़ित को मुआवजे में देने का आदेश दिया था. ये साफ दिखाता है कि दोषियों को अपने जुर्म का कोई पश्चाताप नहीं है.
गुजरात सरकार ने किया था रिहा15 अगस्त 2022 को बिलकिस बानो मामले के सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया था. सरकार ने उनके सजा माफ करने के आवेदन को मंजूरी दे दी थी. इस फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गईं. अब सुप्रीम कोर्ट इन सभी याचिकाओं को एक साथ सुन रहा है. इसकी सुनवाई जस्टिस बी. वी. नागारत्ना और जस्टिस उज्जवल भुयन की बेंच कर रही है.
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3 मार्च 2002 को एक भीड़ ने बिलकिस बानो का गैंगरेप किया था. बिलकिस इस दौरान प्रेग्नेंट थीं. भीड़ ने यहां 14 लोगों की हत्या भी की थी. इसमें बिलकिस की 3 साल की बेटी भी शामिल थी. ये घटना गुजरात के दाहोद जिले के लिमखेड़ा इलाके में हुई थी.
इस मामले में 11 दोषियों को सज़ा हुई थी. इन पर गुजरात में 2002 के सांप्रदायिक दंगों में कई हत्याओं और हिंसक यौन उत्पीड़न के आरोप भी साबित हुए थे. कोर्ट ने इन्हें दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
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वीडियो: 'आज बिलकिस बानो तो कल कोई और...'सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को क्या सुना डाला?