The Lallantop
Advertisement

बिलकिस बानो के बलात्कारी पैरोल पर बाहर आते थे, केस के गवाहों को धमकी देते थे!

बड़ा आरोप, कहते थे - "जान से मार दें तो भी कोई दिक्कत नहीं, हमें तो पहले से सजा मिली हुई है"

Advertisement
convicts of the Bilkis Bano case
माफी नीति के तहत बिलकिस के दोषियों की रिहाई (फोटो: आजतक)
22 अगस्त 2022 (Updated: 22 अगस्त 2022, 12:35 IST)
Updated: 22 अगस्त 2022 12:35 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

बिलकिस बानो गैंगरेप (Bilkis Bano Gangrape) के दोषियों को रिहाई देकर इस 15 अगस्त गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया. दोषियों की रिहाई पर बिलकिस बानो के पति ने सुरक्षा का हवाला देते हुए कहा था कि इससे उनके परिवार के लिए डर और बढ़ गया है. इन 11 दोषियों को जेल से छोड़े जाने पर बड़ी कानूनी और सामाजिक बहस जारी है. साथ ही, गवाहों की सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया जा रहा है. इस बीच खबर है कि माफी देकर रिहाई से पहले भी सजा काट रहे ये दोषी पैरोल या फरलो के जरिए कुछ दिन के लिए जेल से बाहर आते थे. और इन पर आरोप है कि जब ये बलात्कारी जेल से बाहर आते थे, तो इस केस के गवाहों को धमकाते थे.

बता दें कि फरलो एक तरह से छुट्टी होती है. इसमें कैदी को कुछ दिन के लिए जेल से रिहा किया जाता है. हालांकि, फरलो उसे ही मिलता है जिसे लंबे समय के लिए सजा मिल चुकी हो. जैसे- आजीवन कारावास की सजा. वहीं पैरोल किसी भी कैदी, सजा पा चुके या फिर विचाराधीन को भी मिल सकता है. लेकिन इसकी कई जरूरी शर्तें होती हैं. ये किसी कैदी को किसी खास कारण की वजह से ही दिया जा सकता है. बिलकिस बानो के दोषी कभी फरलो, तो कभी पैरोल के जरिए जेल से बाहर आते रहे हैं.

दोषी लगातार से जेल से बाहर आते रहे

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केस के गवाह "लगातार पैरोल" लेने वाले दोषियों से धमकी मिलने की शिकायत करते थे. गवाहों का आरोप है कि उनकी किसी भी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया गया. रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2017 और 2020 के बीच गवाहों ने कई बार ये शिकायत की थी कि केस के दोषी पैरोल पर बाहर आकर धमकी देते हैं. रंधीकपुर के रहने वाले गवाहों ने जिला पुलिस के साथ-साथ गुजरात के तत्कालीन गृह राज्य मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा को भी इस बारे में लिखा था. 

ये भी पढ़ें- कैसे रिहा हुए बिलकिस बानो का सामूहिक बलात्कार करने वाले 11 लोग?

राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल होते थे दोषी

बिलकिस बानो केस में गवाहों की ओर से अब्दुल रज्जाक मंसूरी ने फरवरी 2021 में प्रदीप सिंह जडेजा को लिखे गए एक पत्र में बताया था कि आरोपी जेल से निकलकर राजनीतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं, अपने घर बनवा रहे हैं और गवाहों को धमकाते हैं. मंसूरी ने पत्र में लिखा था गवाह दोषियों के डर में जी रहे हैं, और दोषी बस कहने को जेल में सजा काट रहे थे. पांच पन्नों के पत्र में मंसूरी ने केस में आरोपी शैलेश भट्ट के मामले का हवाला दिया था. आरोप लगाया था कि भट्ट ने परोल पर बाहर रहते हुए भारतीय जनता पार्टी के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और दाहोद से भाजपा के निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ मंच साझा किया था.

जिनसे शिकायत की गई उन्हें याद नहीं

वहीं इस पत्र के बारे में पूछे जाने पर, प्रदीप सिंह जडेजा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 

“मुझे उनसे (बिलकिस बानो मामले के गवाहों) से ऐसा कोई पत्र मिलने के बारे में याद नहीं है. मुझे यह भी नहीं पता कि दोषी परोल के दौरान किसी पार्टी कार्यक्रम का हिस्सा थे या नहीं. उनकी परोल मंजूर किए जाने का मामला जेल अधिकारियों का है न कि मंत्री का.”

23 जून, 2020 को एक गवाह फ़िरोज़ घांची उर्फ ​​पिंटू ने पंचमहल के रेंज आईजी को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि आरोपी बार-बार पैरोल लेने के लिए “झूठे और दिखावटी” कारणों का इस्तेमाल कर रहे हैं. और वे जेल के बजाय गांव में अधिक समय बिताते हैं. पत्र में कहा गया था दंगे के पीड़ितों को, खासकर बिलकिस बानो के केस में, गवाहों को धमकाया जाता है, उन्हें परेशान किया जाता है.

गवाहों को जान से मारने की धमकी

रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में मामले के अन्य गवाहों, एडम घांची और इम्तियाज घांची ने दाहोद के पुलिस अधीक्षक को एक आवेदन दिया था. इसमें आरोप लगाया गया था कि दोषी राधेश्याम शाह और केसर वोहानिया की ओर से उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई. गवाहों ने शिकायत की थी कि दोषी "बदला लेने और बार-बार जान से मारने की धमकी देते हुए कहते हैं कि उन्हें (गवाहों को) मारने से उन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि वे (बिलकिस बानो) मामले में पहले ही दोषी ठहराए जा चुके हैं. वे अक्सर पैरोल पर बाहर होते हैं और सभी को धमकाते हैं."

23 जून, 2018 को, 8 गवाहों सहित रंधीकपुर के 16 लोगों ने दाहोद कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें कहा गया था कि रंधीकपुर थाने के पुलिस अधिकारी उन पर "आरोपी के पक्ष में बयान दर्ज करने" के लिए दबाव डाल रहे. पत्र में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार गवाहों के लिए सुरक्षा की भी मांग की गई थी. 

गवाहों के आरोप पर दूसरे पक्ष ने क्या कहा

रिपोर्ट के मुताबिक दाहोद और पंचमहल के पुलिस अधीक्षक की ओर से इस मामले में पूछे जाने पर कोई जवाब नहीं आया.

गवाहों को कथित धमकियों के बारे में पूछे जाने पर 11 दोषियों में से एक रमेश ने जेल से बाहर आने के दो दिन बाद 17 अगस्त को इंडियन एक्सप्रेस से कहा था,

“हमने उन्हें कभी धमकी नहीं दी. हमारे परिवार के सदस्य कभी-कभी हमसे मिलने कोर्ट आते थे. अगर वे (गवाह) इसे एक खतरे के रूप में देखते हैं तो हम क्या कर सकते हैं?”

वहीं गवाहों का कहना है कि उनके आवेदनों पर कोई विभाग जवाब नहीं दे रहा था, इसलिए उन लोगों ने अपील करना ही बंद कर दिया.

वीडियो- बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई के लिए गुजरात सरकार ने क्या खेल किया?

thumbnail

Advertisement

Advertisement