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43 दिन चली शादी, लेकिन तलाक लेने में लग गए 22 साल, सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा डॉक्टर कपल का केस

साल 2005 में कोर्ट ने कपल को रीकंसिलिएशन के लिए 20 दिन साथ रहने का आदेश दिया था. लेकिन दोनों के रिश्ते में कोई सुधार नहीं हुआ.

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साल 2005 में कोर्ट ने कपल को रिकंसिलेशन के लिए 20 दिन साथ रहने का आदेश दिया था. (फ़ोटो/आजतक)
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मनीषा शर्मा
17 जुलाई 2024 (Updated: 17 जुलाई 2024, 12:00 AM IST) कॉमेंट्स
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सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे कपल को तलाक़ लेने की मंजूरी दी है, जिनकी शादी केवल 43 दिन चली, लेकिन तलाक़ लेने में 22 साल लग गए. कोर्ट ने यह फैसला स्पेशल आर्टिकल 142 के तहत सुनाया है. कपल की शादी फरवरी 2002 में हुई थी. लेकिन 17 मार्च से ही दोनों अलग रहने लग गए थे. साल 2005 में कोर्ट ने कपल को रीकंसिलिएशन के लिए 20 दिन साथ रहने का आदेश दिया था. लेकिन दोनों के रिश्ते में कोई सुधार नहीं हुआ.

अब इस मामले में बीती 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा,

''22 साल के लंबे समय में, दोनों पक्षों के बीच शादी का कोई अस्तित्व नहीं बचा है. लगातार कानूनी लड़ाइयों के कारण दोनों के संबंध खराब हो गए हैं. इन्हीं सभी चीज़ों को ध्यान में रखते हुए दोनों को तलाक की मंजूरी दी जाती है."

गुजारा भत्ता नहीं मिलेगा 

इंडिया टुडे से जुड़ीं कनु सारदा की रिपोर्ट के मुताबिक़ पति-पत्नी दोनों मेडिकल प्रोफेशन में हैं. फैसले में कोर्ट ने आगे कहा कि उनके सामने कपल की कमाई एक समान ही है. कोर्ट ने कहा,

"दोनों पक्ष पेशे से योग्य मेडिकल डॉक्टर हैं. उनकी कमाई पर्याप्त और समान है. इसलिए हम कोई स्थायी गुजारा भत्ता देने के इच्छुक नहीं हैं.''

रिपोर्ट के मुताबिक़ पत्नी ने अपनी दलील में कहा था कि वो साथ रहना चाहती है. क्योंकि वह शादी की पवित्रता में विश्वास करती है. इस पर कोर्ट ने कहा,

''22 साल के लंबे समय में उन्हें साथ रहने से रोकने वाला कोई नहीं था. दूसरी ओर पती का कहना है कि साथ रहने की इच्छा का दावा केवल अदालत को गुमराह करने, कार्यवाही में देरी करने और उन्हें को परेशान करने के लिए कहा जा रहा है."

पीठ ने अपने फैसले में आगे कहा,

"मौजूदा मामले को देखते हुए हम कह सकते हैं कि यह शादी पूरी तरह से विफल रही है. दोनों पक्षों के एक साथ रहने की कोई संभावना नहीं है. क्योंकि अब दोनों पक्ष 50 साल से ज्यादा की उम्र के हो चुके हैं और अलग-अलग अपना जीवन जी रहे हैं."

रिपोर्ट के मुताबिक़ दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ कई कानूनी लड़ाइयां लड़ी हैं. 2002 से ही उनके खिलाफ छह मामले दर्ज किए जा चुके हैं.

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