9 सेकंड में ढह गया नोएडा का 'ट्विन टावर', 9 साल तक चली कानूनी लड़ाई
बिल्डिंग गिराने से पहले आसपास की सोसायटी के करीब 5 हजार लोगों को दूसरी जगहों पर शिफ्ट किया गया था.

नोएडा में बने सुपरटेक के 'ट्विन टावर' को ढहा दिया गया. जिस बिल्डिंग को अवैध तरीके से बनाने में सालों लगे, उसे महज 9 सेकंड में गिरा दिया गया. इस अवैध कंस्ट्रक्शन के खिलाफ पिछले साल फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डिंग को ढहाने का आदेश दिया था. बिल्डिंग को ढहाने से करीब 80 हजार टन मलबा बनने का अनुमान है. इस मलबों के निपटारे में 3 महीने का समय लगेगा.
बिल्डिंग गिरने के बाद नोएडा पुलिस कमिश्नर ने बताया कि पूरे प्लान के साथ काम किया गया. उन्होंने कहा कि सुरक्षा के पूरे इंतजाम थे जिसकी वजह से सब कुछ सही से हुआ. वहीं नोएडा CEO रितु महेश्वरी ने कहा कि आसपास की हाउसिंग सोसायटी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. उन्होंने मीडिया से कहा,
5 हजार लोगों को शिफ्ट करना पड़ा"बिल्डिंग का कुछ मलबा सड़कों पर गया. एक घंटे में स्थिति के बारे में और बेहतर जानकारी मिलेगी. आसपास की सोसायटी में लोगों को शाम साढे़ 6 बजे के बाद आने दिया जाएगा."
बिल्डिंग गिराने से पहले कई सारी तैयारियां की गई थी. एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसायटी में रहने वाले करीब 5 हजार लोगों को दूसरी जगहों पर शिफ्ट किया गया था. नोएडा अथॉरिटी के मुताबिक बिल्डिंग ढहाने के बाद आसपास के इलाके में धूल से निपटने के लिए पानी के 100 टैंकर तैनात किए गए हैं. 15 एंटी स्मॉग गन, 6 मैकेनिकल स्वीपिंग मशीन, करीब 200 सफाई कर्मी और 20 ट्रैक्टर ट्रॉली लगाई गई है. इसके अलावा 100 से ज्यादा दमकलकर्मियों को भी तैयार किया गया.
बिल्डिंग गिराने से पहले प्रशासन ने 400 से 500 मीटर का एक एक्सक्लूजन जोन बनाया था जिसमें लोगों की एंट्री बैन थी. इस जोन में 560 पुलिसकर्मी, रिजर्व फोर्स के 100 जवान और 4 क्विक रिस्पॉन्स टीम सहित एनडीआरएफ की टीम तैनात है. नोएडा एक्सप्रेसवे को भी आधे घंटे के लिए (सवा दो से पौने तीन बजे तक) बंद किया गया.
ट्विन टावर के पास की 2 सोसायटी में रसोई गैस और बिजली की आपूर्ति बंद कर दी गई थी. आसपास के इलाके में रहने वाले बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारी वाले मरीजों को एहतियात के तौर पर मास्क पहनने को कहा गया है.
क्यों गिराया गया ट्विन टावर?इन दोनों टावर्स का निर्माण नियमों के मुताबिक नहीं था. सुपरटेक ने इस बिल्डिंग को अपने 'एमराल्ड कोर्ट' प्रोजेक्ट के पार्क एरिया में बना दिया. इसके अलावा नेशनल बिल्डिंग कोड (NBC) के नियमों का भी उल्लंघन किया गया. इन अनियमितताओं को लेकर 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोनों टावर्स को गिराने का आदेश दिया था. कंपनी ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी ट्विन टावर्स को गिराने का आदेश बरकरार रखा. कोर्ट ने कहा था कि अवैध टावर्स का निर्माण नोएडा प्राधिकारण के अधिकारियों और रियल एस्टेट कंपनी के बीच सांठ-गांठ से किया गया. ट्विन टावर के बनने और उसमें हुई गड़बड़ी को यहां पढ़ सकते हैं.
वीडियो: श्रीकांत त्यागी के कथित अवैध निर्माण पर नोएडा अथॉरिटी ने बुलडोजर चलवा दिया