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हाजी मलंग दरगाह के हिंदू ट्रस्टी का आरोप, 'राजनीतिक फायदे के लिए मंदिर बता रहे'

महाराष्ट्र की हाजी मलंग दरगाह (Haji Malang Dargah Maharashtra) को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. दक्षिणपंथी संगठनों का कहना है कि असल में ये दरगाह नहीं, मंदिर है. इस बीच एकनाथ शिंद ने भी बड़ा बयान दे दिया है.

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Controversy over Haji Malang Dargah Malanggad Maharashtra
यही है मलंगगढ़ की हाजी मलंग दरगाह, जिसे लेकर विवाद छिड़ गया है. (फोटो- hajimalangdargah.blogspot)
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अभिषेक त्रिपाठी
4 जनवरी 2024 (Updated: 4 जनवरी 2024, 07:29 PM IST) कॉमेंट्स
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"मलंगगढ़ से जुड़ी आपकी भावनाओं को मैं समझता हूं. मलंगगढ़ की मुक्ति के इस आंदोलन की शुरुआत आनंद दिघे ने ही की थी. इसके बाद हमने 'जय मलंग श्री मलंग' कहना शुरू किया था. कुछ बातें हैं, जो सार्वजनिक तौर पर नहीं कही जा सकती हैं. मैं जानता हूं कि आपके दिल में मलंगगढ़ की मुक्ति को लेकर विश्वास है. मैं कहना चाहता हूं कि जब तक आपकी ये इच्छा पूरी नहीं हो जाती, एकनाथ शिंदे आराम से नहीं बैठेगा."

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Maharashtra CM Eknath Shinde) ने ठाणे ज़िले में 2 जनवरी को आयोजित 'मलंगगढ़ हरिनाम महोत्सव' में ये बात कही. ठाणे के पास हैं माथेरन की पहाड़ियां और इन पहाड़ियों के पास है एक दरगाह- हाजी मलंग दरगाह (Haji Malang Dargah Malanggad). इस दरगाह का नाम सूफी संत अब्द-उल-रहमान के नाम पर रखा गया है, जिन्हें मलंग बाबा कहा जाता था. इस दरगाह को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. दक्षिणपंथी संगठनों का कहना है कि असल में ये दरगाह नहीं, मंदिर है. 20 फरवरी को हाजी मलंग की जयंती भी होती है. इससे पहले मुख्यमंत्री ने इस पर बयान दे दिया है. इन वजहों से ये मुद्दा अभी तूल पकड़े हुए है.

दरगाह ट्रस्ट का जवाब

दरगाह की देख-रेख करने के लिए जो ट्रस्ट बना है, उसके सदस्य चंद्रहास केटकर का कहना है कि जो भी लोग दरगाह के मंदिर होने का दावा कर रहे हैं, वो असल में पॉलिटिकल माइलेज चाहते हैं. केटकर बोले-

"1954 में सुप्रीम कोर्ट के सामने एक केस उठा था. केस इस बात को लेकर था कि केटकर परिवार में से कौन दरगाह की देख-रेख करेगा. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि दरगाह का संचालन न तो हिंदू कानून से किया जा सकता है, न मुस्लिम कानून से. इसका संचालन इसके स्पेशल कानून से या ट्रस्ट के नियमों से किया जा सकता है. ऐसे में अब राजनेता फिर से मुद्दा अपने वोट बैंक के लिए और इसको राजनीतिक मुद्दा बनाने के लिए उठा रहे हैं."

पहले भी उठा था मुद्दा

इससे पहले भी ये मुद्दा 1980 के करीब उठ चुका है. तब शिवसेना नेता आनंद दिघे ने ये मुद्दा उठाया था. वही आनंद दिघे, जिनका ज़िक्र एकनाथ शिंदे ने अपने संबोधन में किया. दिघे ने उस समय दावा किया था कि असल में ये 700 साल पुराना मछिंद्रनाथ मंदिर है. 

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