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गलवान घाटीः वो जगह जहां भारत-चीन के बीच झड़प हुई

पिछले कुछ समय से यहां पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं.

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भारत-चीन के बीच पिछले साल लद्दाख की गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद अब सिक्किम से झड़प की खबरें आ रही हैं. (फाइल फोटो-पीटीआई)
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16 जून 2020 (Updated: 16 जून 2020, 12:23 PM IST)
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चीनी सेना से झड़प में भारतीय सेना के कर्नल और दो जवान शहीद हो गए. झड़प 15 जून की रात को हुई. गलवान घाटी में. खबरों के अनुसार, झड़प में दोनों देशों के जवान घायल हुए हैं. लेकिन चीन ने अपने सैनिकों की स्थिति के बारे में जानकारी नहीं दी है. 1962 की जंग के बाद इस इलाके में पहली बार भारत-चीन के बीच तनाव गहराया है.
कहां है गलवान घाटी?
गलवान घाटी लद्दाख का क्षेत्र है. यह इलाका लद्दाख के पूर्व में है और भारत-चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास पड़ता है. गलवान नदी का बहाव अक्साई चिन से लद्दाख की ओर है. अक्साई चिन पर अभी चीन का कब्जा है. गलवान नदी लद्दाख में आकर श्योक नदी में मिल जाती है. एलएसी और श्योक नदी के बीच गलवान नदी के आसपास का इलाका गलवान घाटी कहलाता है.
इस नक्शे में आप भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को देख सकते हैं. लाल बिंदू में गलवान घाटी दिख रही है. यहीं पर अभी झडप हुई है.

इस नक्शे में आप भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को देख सकते हैं. लाल बिंदू में गलवान घाटी दिख रही है. यहीं पर अभी झड़प हुई है.
अभी कहां हुआ टकराव
जानकारी के मुताबिक मई के पहले हफ्ते में भारतीय और चीनी सैनिकों का गलवान घाटी में आमना-सामना हुआ. बताया जा रहा है कि चीनी सैनिकों ने अपने पीछे के बेस से निकल कर गलवान नदी के साथ यात्रा करते हुए इस क्षेत्र में एलएसी को पार किया. LAC की अपनी साइड पर भारत ने अपनी पोस्ट बना रखी है. इस पोस्ट का नाम पेट्रोलिंग पोस्ट 14 यानी PP-14 है. यह पोस्ट LAC के पास है. अभी इसी PP-14 के पास भारत और चीन के पास झड़प हुई है.
इस नक्शे में आप गलवान घाटी को बेहतर तरीके से देख सकते हैं. नीली और लाल लाइन के पास जो बिंदू दिख रहा है. अभी वहीं पर तनाव है.
इस नक्शे में आप गलवान घाटी को बेहतर तरीके से देख सकते हैं. नीली और लाल लाइन के पास जो सफेद बिंदू दिख रहा है. अभी वहीं पर तनाव है.

क्या है टकराव की वजह
वर्तमान में टकराव की वजह एक सड़क है जो भारत LAC के पास बना रहा है. यह सड़क लेह से दौलत बेग ओल्डी सेक्टर तक जाती है. रणनीतिक रूप से यह सड़क काफी अहम है. दरअसल, लद्दाख के उत्तर-पूर्वी कोने को सब-सेक्टर नॉर्थ (SSN) या DBO (दौलत बेग ओल्डी) सेक्टर के रूप में जाना जाता है. DBO सेक्टर अक्साई चिन पठार पर भारतीय मौजूदगी का प्रतीक है. इस क्षेत्र को जोड़ने वाली कोई सड़क न होने की वजह से इसे एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर्स की मदद से मेंटेन किया जाता रहा है, सड़क बनने से सेना को इस इलाके के मेंटेनेंस में और अधिक मदद मिलेगी.
10 साल पहले सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने एक सड़क पर काम करना शुरू किया. यह सड़क डीबीओ को दरबुक और श्योक से जोड़ेगी. इस तरह से भारत LAC के पास दरबुक-श्योक गां-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) रोड बना रहा है. यह सड़क श्योक नदी के पैरलल बन रही है.
नक्शे में नीली रेखा गलवान नदी को दिखाती है. काली लाइन वह रोड़ है जो भारत LAC के पास बना रहा है. यह लेह को दौलत बेग ओल्डी से जोड़ेगी.
नक्शे में नीली रेखा गलवान नदी को दिखाती है. काली लाइन वह रोड है जो भारत LAC के पास बना रहा है. यह लेह को दौलत बेग ओल्डी से जोड़ेगी.

सैटैलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि 2016 तक, चीन ने गलवान घाटी के मध्य बिंदु तक पक्की सड़क बना ली थी. माना जा सकता है कि मौजूदा समय में, चीन इस सड़क को LAC के पास तक बढ़ा चुका होगा. इसके अलावा चीन ने नदी घाटी में छोटी-छोटी चौकियों का निर्माण किया है. ये चौकियां चीनी सैनिकों की गश्त के लिए फॉरवर्ड पोजीशन्स का काम करती हैं.
अब भारत भी इसी तरह की तैयारी कर रहा है तो चीन इस पर लगातार ऐतराज जता रहा है. वहीं भारत का कहना है कि वह सब कुछ अपने इलाके में कर रहा है.


Video: भारत-चीन विवाद: 1993 में LAC तय करने के लिए हुई बैठक के बाद सब ठीक क्यों नहीं हुआ?

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