14 जनवरी 2018 (Updated: 14 जनवरी 2018, 07:21 AM IST) कॉमेंट्स
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10 साल पहले भारतीय टीम मलेशिया गई थी. वर्ल्डकप खेलने. अंडर 19 वर्ल्डकप. तब टीम की कमान थी विराट कोहली के हाथ में. और टीम झंडा गाड़ के लौटी थी. वर्ल्ड चैंपियन बनकर. अब एक बार फिर अंडर 19 वर्ल्ड कप हो रहा है. न्यूजीलैंड में. इस बार टीम की कमान है मुंबई के पृथ्वी शॉ के हाथ में. 14 जनवरी को टीम का पहला मैच भी है. वो भी ऑस्ट्रेलिया से. मैच का रिजल्ट तो शाम तक पता चलेगा. उससे पहले ये जान लीजिए कि 2008 की चैंपियन टीम में विराट के जो योद्धा थे, वो अभी कहां हैं और क्या कर रहे हैं-
1.विराट कोहली
पहले बात स्वयं विराट कोहली की. 2008 में ही वर्ल्डकप जीतकर उन्होंने बता दिया था कि वो जंगल के शेर हैं. छोटे मोटे शिकार नहीं करेंगे. लौटते ही उनको आईपीएल की टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू ने लपक लिया. अगस्त में ही वो भारतीय टीम में आ गए. फिर जाबड़ खेल दिखाकर टीम में अपनी जगह पक्की कर ली. 2011 वर्ल्डकप खेलने गए. और अब टीम के कप्तान हैं. उनकी कप्तानी में टीम लगातार झंडे गाड़ रही है. खुद 50 से ज्यादा सेंचुरी मार चुके हैं. और उनकी गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों में होती है.
2. रवींद्र जडेजा
2008 अंडर 19 वर्ल्डकप से पहले रवींद्र 2006 की टीम का भी हिस्सा थे. जिसमें भारतीय टीम को फाइनल में पाकिस्तान के हाथों हार मिली थी. 2008 में उन्हें फिर टीम में जगह मिली और वो भारत के लिए टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी रहे. उनके ऑलराउंड प्रदर्शन से टीम को चैंपियन बनने में खूब मदद मिली. 2008 के आईपीएल में उन्हें भी राजस्थान रॉयल्स की टीम में जगह मिली. टीम चैंपियन बनी. 2009 में उन्हें टी-20 टीम में भी जगह मिली. मगर उन्होंने अपनी छाप 2011 में छोड़ी. जिसके बाद उन्हें वनडे और टेस्ट दोनों टीमों में खेलने का मौका मिला और वो जम गए. उनकी और अश्विन की स्पिन जोड़ी हिट है.
3. मनीष पांडे
मनीष पांडे पहली बार सबकी नजर में 2009 में आए, जब वो आईपीएल में सेंचुरी मारने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने. आईपीएल में उनका प्रदर्शन अच्छा चलता रहा. घरेलू क्रिकेट में भी कर्नाटक के लिए वे टॉप परफॉर्मर रहे, जिसकी बदौलत कर्नाटक ने लगातार दो साल 2013-14 और 2014-15 में रणजी ट्रॉफी जीती. इंडिया-ए के लिए भी वो अच्छा प्रदर्शन करते रहे. इसका नतीजा ये रहा कि 2015-16 में उन्हें भारत की वनडे टीम में जगह मिली. हालांकि पांडे जी का मामला थोड़ा इन-आउट वाला है. वो भारतीय टीम में आते-जाते रहते हैं.
4. सौरभ तिवारी
ये लड़का जब मैदान में पहली बार देखने को मिला तो लगा ये धोनी कहां से आ गया. वजह थी इनके लंबे बाल. हालांकि धोनी बाल से ही नहीं, बल्ले से भी होना पड़ता है. सौरभ सबकी नजर में 2010 में आए, जब मुंबई के लिए उन्होंने कई अच्छी पारियां खेलीं और टीम फाइनल में पहुंची. इसका नतीजा ये रहा कि उन्हें 2010 में टीम इंडिया में जगह मिली. उन्होंने 3 वनडे मैच खेले. मगर कुछ खास नहीं कर पाए. इसके बाद से उन्हें फिर कभी टीम में वापसी का मौका नहीं मिला. घरेलू क्रिकेट में हालांकि वो झारखंड के लिए अच्छा खेल रहे हैं. ये उनका 47 का एवरेज बताता है.
5. सिद्धार्थ कौल
फास्ट बॉलर सिद्धार्थ कौल को अंडर 19 वर्ल्डकप के बाद पंजाब की धरेलू टीम में जगह मिल गई थी. वो उसके लिए लगातार अच्छा खेलते रहे हैं. 2017 में श्रीलंका के खिलाफ टी20 सीरीज में उन्हें टीम इंडिया में भी जगह मिली. इसकी मेन वजह आईपीएल में सनराइजर्स हैदराबाद के लिए उनका अच्छा प्रदर्शन था. घरेलू क्रिकट में उनकी गिनती देश के सबसे अच्छे बॉलरों में होती है. हालांकि टीम इंडिया में वो अपनी जगह नहीं बना पाए.
6.अभिनव मुकुंद
अभिनव की गिनती घरेलू क्रिकेट के सबसे धाकड़ ओपनरों में होती है. 2008 के वर्ल्डकप में हालांकि वो कुछ खास नहीं कर पाए थे. मगर इसी साल रणजी ट्रॉफी में महाराष्ट्र के खिलाफ ट्रिपल सेंचुरी मारकर वो सेलेक्टर्स की नजरों में आ गए थे. उन्हें तुरंत इंडिया-ए में जगह मिली. 2011 में कोहली के साथ ही उन्हें टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया का सदस्य बनने का मौका मिला. हालांकि 5 टेस्ट मैचों के बाद ही उन्हें बाहर कर दिया गया. इसके बाद उन्हें सीधा 2017 में टीम में आने का मौका मिला. वो भी मुरली विजय और केएल राहुल के चोटिल होने पर. उन्हें आमतौर पर टेस्ट का ही खिलाड़ी माना जाता है. टी 20 क्रिकेट में वो कभी कुछ खास नहीं कर पाए.
7. तन्मय श्रीवास्तव
2008 वर्ल्डकप में तन्मय सबसे बड़े बल्लेबाज बनकर उभरे थे. टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन तन्मय ने ही बनाए थे. उस वक्त इस खिलाड़ी की गूंज पूरे देश में थी. 2006 में चैलेंजर ट्रॉफी में तन्मय ने सचिन तेंदुलकर के साथ ओपनिंग भी की थी. उन्हें तुरंत उत्तर प्रदेश की टीम में भी जगह मिल गई थी. यहां अपने बेहतरीन खेल से उन्होंने अपनी जगह लोहा कर ली थी. 2016 के बाद से हालांकि वो क्रिकेट नहीं खेल रहे हैं. इसके साथ ही आईपीएल में भी उनका प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा है.
8. इकबाल अब्दुल्लाह
अंडर 19 वर्ल्डकप में जाने से पहले लेफ्ट आर्म स्पिनर इकबाल मुंबई के लिए खेल चुके थे. वर्ल्डकप में उन्होंने गेंद और बल्ले दोनों के साथ अच्छा प्रदर्शन करते हुए टीम का पूरा साथ दिया. 10 विकेट लिए. इसे बाद वो मुंबई के लिए घरेलू क्रिकेट खेलते रहे और बढ़िया प्रदर्शन करते रहे. 2011 सीजन में आईपीएल में कोलकाता की टीम में रहते हुए उन्होंने कई अच्छी परफॉर्मेंस दीं. चर्चा हुई कि उन्हें टीम इंडिया में जगह मिल सकती है, मगर ऐसा हुआ नहीं. 2016-17 के बाद से वो मुंबई को छोड़ केरल के लिए घरेलू क्रिकेट खेलने लगे हैं.
9. श्रीवत्स गोस्वामी
अंडर 19 वर्ल्डकप के बाद अगर कोई खिलाड़ी सबसे पहले अपने प्रदर्शन के लिए छाया था, तो वो गोस्वामी ही थे. लेफ्ट हैंड विकेटकीपर बैट्समैन गोस्वामी ने 2008 में ही आईपीएल में बेंगलुरू के लिए खेलते हुए अपने पहले ही मैच में पचासा मारा था. उन्हें 2008 एडिशन का यंग प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का अवॉर्ड भी मिला था. मगर वो बंगाल के थे और बंगाल की टीम में विकेटकीपर थे ऋद्धिमान साहा. इसलिए उन्हें टीम में जगह तो मिली मगर बैट्समैन के तौर पर. बैटिंग में उनका प्रदर्शन एवरेज रहा. अब साहा नैशनल टीम में है तो जरूर वो बंगाल के लिए विकेट कीपिंग कर लेते हैं.
10. तरुवर कोहली
2008 अंडर 19 टीम के दूसरे कोहली तरुवर पंजाब से हैं. वो इस टूर्नामेंट में तीसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले भारतीय बल्लेबाज थे. इसी का नतीजा था कि उन्हें आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स टीम में जगह मिली. साथ ही घरेल क्रिकेट में वो पंजाब टीम का हिस्सा बने. हालांकि पंजाब की टीम में वो कई बार आते-जाते रहे. 2012-13 रणजी ट्रॉफी में अपनी ट्रिपल सेंचुरी के लिए एक बार वो जरूर चर्चा में आए थे. मगर टीम इंडिया में वो कभी जगह नहीं बना पाए.
11. अजितेश अर्गल
राइट आर्म पेस बॉलर अजितेश का 2008 अंडर 19 वर्ल्डकप में प्रदर्शन अच्छा रहा था. टूर्नामेंट के फाइनल मैच में अपनी शानदार बॉलिंग के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड मिला था. इसके बाद वो बरोडा की टीम के लिए घरेलू क्रिकेट खेलने लगे. प्रदर्शन भी अच्छा रहा. फिर उनको मिल गई नौकरी. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में. तो अब खेल के साथ नौकरी भी चल रही है.
12. नेपोलियन आईंस्टीन
अंडर 19 टीम से वर्ल्डकप खेलने गए नेपोलियन अपने खेल से ज्यादा नाम के लिए चर्चा में थे. टूर्नामेंट के बाद वो तमिलनाडु की टीम-ए के लिए घरेलू क्रिकेट खेलने लगे. 2008 में ही उनको चेन्नई सुपरकिंग्स की आईपीएल टीम में जगह मिल गई. मगर वो कुछ खास नहीं कर पाए. ऑलराउंड नेपोलियन ने सीनियर लेवल में भी ज्यादा मैच नहीं खेले. तमिलनाडु के लिए वो महज 3 बार मैदान में दिखे. उसमें भी आखिरी 2014 में खेला था.
13. डी शिवकुमार
शिवकुमार वर्ल्डकप खेलने गए तो थे, मगर उन्हें वहां एक भी मैच खेलने को नहीं मिला था. टूर्नामेंट के बाद बैट्समैन और मीडियम पेसर शिवकुमार ने आंध्र प्रदेश के लिए घरेलू क्रिकेट खेला. हालांकि यहां भी उनका प्रदर्शन एवरेज ही रहा. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका बैटिंग एवरेज 18.19 का है.