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जब गेस्ट हाउस कांड हुआ था, तब लखनऊ SSP थे यूपी के नए DGP

गृह मंत्रालय ने ओपी सिंह को किया रिलीव, उनके बारे में 6 खास बातें जान ल्यो.

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डीजी सीआईएसएफ ओपी सिंह बने यूपी के नए डीजीपी.
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सौरभ
20 जनवरी 2018 (Updated: 21 जनवरी 2018, 09:49 AM IST)
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31 दिसंबर 2017 को यूपी के डीजीपी सुलखान सिंह के आगे पूर्व लग गया था. फिर लंबी कयासबाजी के बाद उत्तर प्रदेश के नए डीजीपी के तौर पर नाम सामने आया ओमप्रकाश सिंह का. वो केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर थे. बतौर सीआईएसएफ डीजी काम कर रहे थे. मगर 21 दिन से उन्हें रिलीव ही नहीं किया जा रहा था. तब से यूपी बिनी डीजीपी के ही था. पुलिस बिना अपने मुखिया के काम कर रही थी. एक बार फिर कयासबाजी होने लगी कि क्या ओपी सिंह का नाम अभी फाइनल नहीं है. मगर अब इंतजार खत्म हो गया है. गृह मंत्रालय ने उन्हें रिलीव कर दिया है. वो अब यूपी डीजीपी का चार्ज संभालेंगे.
उनके नाम पर मुहर लगने का एक बड़ा कारण उनका कार्यकाल माना जा रहा है. उनका रिटायरमेंट जनवरी 2020 में होना है. माने वो दो साल से ज्यादा वक्त तक यूपी के डीजीपी रह सकते हैं. इसी वक्त में लोकसभा चुनाव भी होने हैं, सो इसके लिए तैयारियां करने का भी इनको वक्त मिल जाएगा. यही वजह है कि सीनियॉरियी लिस्ट में उनसे ऊपर 6 अधिकारी होने के बावजूद उन्हें तरजीह दी गई. अब वो ये जिम्मेदारी कैसे निभाते हैं ये तो बाद की बात है, मगर उनकी अब तक की सर्विस की 6 खास बातें हम आपको बताते हैं -
1. 2 जून, 1995. ये तारीख यूपी के राजनीतिक इतिहास का एक काला दिन है. बात गेस्ट हाउस कांड की हो रही है. इस दिन मायावती लखनऊ में स्टेट गेस्ट हाउस में ठहरी हुई थीं. उन्होंने मुलायम सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. नाराज़ सपा विधायक और कार्यकर्ताओं ने वहां हंगामा काट दिया. मायावती के साथ हाथापाई और बदसलूकी हुई. उनकी आबरू पर हमला हुआ. और जिस वक्त ये सब हो रहा था, ओपी सिंह लखनऊ के एसएसपी थे. स्थिति पर समय रहते कंट्रोल ना कर पाने के कारण उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था.
सीआईएसएफ के डीजी थे ओपी सिंह.
सीआईएसएफ के डीजी थे ओपी सिंह. (फोटो- ट्विटर)

2. ओपी सिंह को यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता रहा है. बताते हैं मुलायम सिंह के सीएम रहते एनसीआर में ओपी सिंह के लिए खास एडीजी की पोस्ट बनाई गई थी. मायावती के कार्यकाल में उनको साइडलाइन कर दिया जाता था. फिर अखिलेश यादव सीएम बने तो उनसे भी उनकी जमी नहीं. और वो केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर चले गए.
3. 1983 बैच के आईपीएस अफसर ओपी सिंह रहने वाले बिहार के गया जिले के हैं. उनके पास यूपी में काम करने का लंबा एक्सपीरियंस है. वह अल्मोड़ा, खीरी, बुलंदशहर, लखनऊ, इलाहाबाद, मुरादाबाद में बतौर एसएसपी काम कर चुके हैं. 3 बार लखनऊ के एसएसपी रह चुके हैं. आजमगढ़ और मुरादाबाद के डीआईजी व मेरठ जोन के आईजी भी रह चुके हैं.
रन फॉर यूनिटी कार्यक्रम में हिस्सा लेते ओपी सिंह.
रन फॉर यूनिटी कार्यक्रम में हिस्सा लेते ओपी सिंह.(फोटो- ट्विटर)

4. 1992-1993 में लखीमपुर खीरी में तैनाती के दौरान इन्होंने नेपाल बॉर्डर से होने वाली अवैध तस्करी और आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम कसी थी. लखनऊ में तैनाती के दौरान इन्होंने शिया-सुन्नी समुदायों के बीच आएदिन होने वाले दंगों पर भी बातचीत के जरिए रोक लगाई थी. इसके लिए इन्हें यूपी सरकार ने सम्मानित भी किया था. इलाहाबाद में कुंभ मेले का मैनेजमेंट भी वो संभाल चुके हैं.
5. ओपी सिंह अपने काम के लिए राष्ट्रपति से पदक पाने वाले इकलौते डीजी हैं. एनडीआरएफ में बतौर डीजी काम करते हुए उन्होंने जम्मू कश्मीर में आई बाढ़, चेन्नै में हुदहुद तूफान के दौरान राहत कार्य पहुंचाने में बेहतरीन काम किया था. 2015 में नेपाल में भूकंप के दौरान उन्होंने राहत कार्यों के लिए गई टीम को लीड किया था. इसकी तारीफ नेपाल सरकार के साथ ही यूनाइटेड नेशंस में हुई थी. आईआईटी दिल्ली ने तो ओपी सिंह की इसी लीडरशिप क्षमता पर 2016 में एक केस स्टडी पब्लिश की थी.
ओपी सिंह को राष्ट्रपति पदक भी मिल चुका है.
ओपी सिंह को राष्ट्रपति पदक भी मिल चुका है.

6. ओपी सिंह ने नेपाल भूकंप पर अपने अनुभवों के आधार पर एक किताब भी लिखी है. लिखने के अलावा इन्हें साइक्लिंग करने का भी शौक है. सीआईएसएफ में डीजी रहते हुए भी इन्होंने कई चेंज करवाए. इसका नतीजा ये रहा कि 2017 में वर्ल्ड क्वॉलिटी कांग्रेस में साआईएसएफ को बेस्ट एयरपोर्ट सिक्युरिटी के लिए क्वॉलिटी एक्सिलेंस अवॉर्ड मिला.


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