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एक्सीडेंट में महिला की मौत हुई, HC ने युवक को छोड़ते हुए कहा- 'वो 18 का हुआ था, खुशी में बाइक चलाई... '

युवक की बाइक से एक्सीडेंट हुआ और महिला की मौत हो गई. निचली अदालत ने दोषी ठहराया. युवक ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की और घटना के समय अपनी उम्र को आधार बनाते हुए सजा में छूट की मांग की. बॉम्बे हाई कोर्ट ने छूट देते हुए क्या-क्या कहा?

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Bombay High Court Releases boy killed women bike
प्रतीकात्मक फोटो: आजतक
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अभय शर्मा
16 जुलाई 2024 (Updated: 16 जुलाई 2024, 12:17 PM IST) कॉमेंट्स
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बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ का एक फैसला काफी चर्चा में है. 18 साल के एक युवक ने एक महिला को अपनी बाइक से टक्कर मार दी थी, जिससे महिला की मौत हो गई थी. निचली अदालत ने IPC की धारा 304-ए (किसी की लापरवाही से मौत) के तहत सजा सुनाई. युवक बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचा. हाई कोर्ट ने सोमवार, 15 जुलाई को मामले की सुनवाई की और सजा को बरकार रखा. लेकिन युवक को एक बड़ी राहत दे दी. कोर्ट ने उसकी उम्र और उसके भविष्य को देखते हुए उसे क्रिमिनल प्रोबेशन एक्ट के तहत रिहा कर दिया.

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए अक्षय खांडवे ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. खांडवे ने घटना के समय अपनी उम्र को आधार बनाते हुए प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट के तहत कोर्ट से सजा में छूट की मांग की थी. बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस संजय मेहरे ने मामले की सुनवाई की.

जस्टिस मेहरे ने फैसला सुनाते हुए कहा,

‘इस मामले में परिस्थितियां और तथ्य थोड़े अजीब और अलग थे. एक्सीडेंट के समय याचिकाकर्ता ने 18 साल की उम्र पूरी ही की थी. वह एक टीनएजर था और उत्साह और खुशी में शायद उसने पहली बार नया वाहन चलाया होगा और नियंत्रण खो दिया होगा. सामान्य तौर पर उसके पास एक्सीडेंट करने का कोई कारण नहीं था. उसका ऐसा कुछ करने का कोई इरादा भी नहीं था...’

कोर्ट ने आगे कहा,

‘उसका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है. उसने पहली बार अपराध किया था. अभी उसके सामने पूरा उज्जवल भविष्य पड़ा है. वो दोषसिद्धि के कलंक को लेकर आशंकित है. इससे (सजा से) उसका भविष्य बर्बाद हो सकता है.… इसलिए मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट की धारा-4 के तहत रिहा करना सही है.’

हालांकि, इस दौरान जस्टिस संजय मेहरे ने ये भी कहा कि निचली अदालत द्वारा इस मामले में आरोपी अक्षय खांडवे को दी गई सजा अवैध या अनुचित नहीं है.

बता दें कि 20 अप्रैल, 2013 को अक्षय खांडवे ने कथित तौर पर बिना रजिस्ट्रेशन नंबर वाली अपनी नई बाइक, तेजी और लापरवाही से चलाई. इस दौरान उसने अपने घर के बाहर बैठी एक महिला को टक्कर मार दी. 7 मई, 2013 को महिला की मौत हो गई.

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अक्षय खांडवे पर IPC की धारा 304-ए और मोटर वाहन अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया. खांडवे को निचली अदालत ने तीन महीने की जेल की सजा सुनाई थी.

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