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आधी रात को पड़ोसी से मांगा था नींबू, मामला बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंच गया, फिर जो हुआ...

इस सब में कांस्टेबल का तर्क था कि उसकी तबियत ठीक नहीं थी. उसने नींबू लेने के लिए आधी रात को दरवाजा खट-खटाया था.

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Bombay high court cisf officer plea
डिपार्टमेंटल जांच में कांस्टेबल पर पेनाल्टी लगाई गई थी (File Photo)
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राजविक्रम
14 मार्च 2024 (Updated: 14 मार्च 2024, 03:01 PM IST) कॉमेंट्स
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हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक CISF कांस्टेबल की पेनाल्टी हटाने की याचिका खारिज कर दी. मामला ये था कि एक जनाब आधी रात को पड़ोसी के घर जा धमके. वो भी तब, जब महिला घर में अपनी बच्ची के साथ अकेली थीं. महिला ने इसकी शिकायत CISF के अधिकारियों से की. जांच बैठी तो जनाब का तर्क था कि साहब मैं तो नींबू लेने गया था. नीबू का ये मामला यहीं नहीं रुका हाई कोर्ट तक जा पहुंचा, क्या था पूरा मामला समझते हैं.

India Today की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस एम. एम. सथाये इस मामले की सुनवाई कर रहे थे. मामले पर कोर्ट ने कहा कि पेट खराब होने की मेडिकल इमरजेंसी का बहाना देकर, पड़ोसी का दरवाजा खट-खटाना. वो भी तब, जब घर में सिर्फ महिला और उनकी 6 साल की बच्ची अकेले थे. ये एक बचकानी हरकत है. कोर्ट ने ये भी कहा कि CISF कांस्टेबल की ये हरकत अशोभनीय थी. जबकी उसे मालूम था कि उसके साथ काम करने वाला महिला का पति चुनावी ड्यूटी पर बाहर था.

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क्या था मामला

CISF कांस्टेबल अरविंद कुमार पर आरोप लगाए गए कि 19 अप्रैल, 2021 को उसने आधी रात को पड़ोसी का दरवाजा खटखटाया था. उस वक्त महिला घर में अकेली थीं और रात को कांस्टेबल को देखकर वह घबरा गईं. जिसके बाद महिला ने उसे वहां से जाने की चेतावनी दी और वह चला भी गया.

इस सब के बाद महिला ने सुपीरियर ऑफिसर से मामले की शिकायत की. फिर अरविंद पर डिपार्टमेंट ने जांच बैठाई. जो जुलाई 2021 से जून 2022 तक चली.

तथ्यों और उस समय के हालातों के आधार पर कांस्टेबल को जांच में दोषी पाया गया. जांच में ये भी पाया गया कि यह अनुशासनहीन और भद्दे व्यवहार की निशानी है. जो फोर्स की इमेज खराब करती है. साथ ही सजा के तौर पर कांस्टेबल की सैलरी 3 सालों के लिए कम कर दी गई थी.

इस सब में कांस्टेबल का तर्क था कि उसकी तबियत ठीक नहीं थी. और उसने नींबू लेने के लिए आधी रात को दरवाजा खटखटाया था. फिर पेनाल्टी के विरोध में कांस्टेबल ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की. जिस पर हाल ही में फैसला देते हुए कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया. 

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