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जवान के साथी मान चुके थे मरा, पर औरत ने बचा ली जान

कुत्तों के अटैक के बाद 50 फीट के गड्ढे में गिर पड़ा था.

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फोटो - thelallantop
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अविनाश जानू
1 सितंबर 2016 (Updated: 1 सितंबर 2016, 05:58 AM IST) कॉमेंट्स
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शिमला से एक अच्छी और इंस्पिरेशनल खबर आई है. बस एक सेकेंड में आप दिमाग पर काबू होने के चलते हीरो बन जाते हैं. ऐसा ही कर दिखाया कोटखाई शिमला में रहने वाली होममेकर 42 साल की वीना ने. उन्होंने तब एक सैनिक की जान बचा ली, जब उसके साथी एक एक्सीडेंट की वजह से अपना मेंटल कंट्रोल खो चुके थे. असम रायफल्स के जवान शिमला के पास एक जगह पर ट्रेनिंग कर रहे थे. जंगल से गुजरने के दौरान कुत्तों के एक झुंड ने उन पर हमला कर दिया. भागते वक्त मुकेश कुमार नाम का एक जवान 50 फीट गहरे गड्ढे में गिर गया. उसका सिर एक पत्थर से टकराया और वो बेहोश हो गया. उसके साथियों को लगा कि वो मर गया है. उन्हें इस मौके पर कुछ सूझा नहीं तो उन्होंने आस-पास के लोगों को आवाज देनी शुरू कर दी. आवाज सुनकर वहीं रहने वाली वीना शर्मा भागी हुई आईं. उन्होंने देखा कि इस एक्सीडेंट की वजह से सारे जवान वहां सदमे में खड़े थे. उनको लग रहा था कि मुकेश कुमार मर चुका है. पर वीना ने वक्त बर्बाद किए बिना उसके मुंह में अपने मुंह से सांसें देकर उसकी सांस चलाने की कोशिश की. इसके बाद मुकेश को अस्पताल ले जाया गया. वीना ने सही समय पर मदद करके मुकेश की जान बचा ली. ये 20 अगस्त की बात है. असम रायफल के जवानों का ये ग्रुप शिमला के पास जूटोघ कैंट एरिया में ट्रेनिंग के लिए आया था. बनूटी एरिया के पास कुछ कुत्तों से उनका सामना हो गया. शिमला से करीब 12 किलोमीटर दूर पड़ता है. नाालो 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर के हिसाब से असम रायफल्स के कमांडिंग ऑफिसर ने असाधारण बहादुरी के लिए वीना शर्मा को एक मोमेंटो आर्मी की तरफ से दिया है. और एक एप्रिशिएशन लेटर भी. उनका कहना है,
'घायल आदमी को बचाने का कोई रास्ता जब समझ न आया, तो मैंने अपने 72 साल के पिता जी रमेश शर्मा को बुलाया. जो अब मुश्किल से ही कभी गाड़ी चलाते हैं. वही उसे कार से अस्पताल लेकर गए, क्योंकि उनमें से कोई भी सैनिक ड्राइव करना नहीं जानता था. मेरे पिता घायल सैनिक को जुटोघ मिलिट्री अस्पताल ले गए.'
मुकेश की हालत देखकर उसे शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. जहां पर वक्त रहते दुरुस्त ट्रीटमेंट मिल जाने से मुकेश की जान बच गई.

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