प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बुधवार 27 अप्रैल को कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल मीटिंग की. ये मीटिंग ऐसे समय में हुई है जब देश में कोरोना वायरस का संकट एक बार फिर बढ़ता दिख रहा है. बैठक में इस पर तो चर्चा हुई ही, साथ ही रूस-यूक्रेन जंग से लेकर देश की आर्थिक स्थिति जैसे मुद्दों पर भी बात हुई. बैठक में पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों का भी जिक्र हुआ. इस मुद्दे पर पीएम मोदी ने राज्यों को सहयोग करने का संदेश दिया. हालांकि इस दौरान विपक्षी दलों के शासन वाले राज्य खास तौर पर पीएम मोदी के निशाने पर दिखे.
क्या बोले मोदी?
विपक्षी दल केंद्र सरकार से तेल के दामों में राहत देने की मांग करते रहे हैं. बैठक में इसका जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि नवंबर 2021 में केंद्र ने एक्साइज ड्यूटी में कमी की थी. तब उसने राज्यों से भी आग्रह किया था कि वे अपने यहां टैक्स (VAT) कम करें. पीएम ने साफ कहा कि केंद्र के आग्रह पर कुछ राज्यों ने तो भारत सरकार की भावना के अनुरूप टैक्स कम किया, लेकिन कुछ राज्यों ने अपने लोगों को इसका लाभ नहीं दिया. इस वजह से पेट्रोल-डीजल की कीमतें इन राज्यों में दूसरों के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं.
पीएम मोदी ने उन विपक्षी राज्यों का नाम लेते हुए कहा,
“ये एक तरह से इन राज्यों के लोगों के साथ अन्याय तो है ही, साथ ही पड़ोसी राज्यों को भी नुकसान पहुंचाता है. अब मैं आपसे निवेदन करता हूं कि आप अपने राज्यों में वैट कम करके नागरिकों को फायदा दीजिए… तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, महाराष्ट्र, केरल और झारखंड ने फ्यूल टैक्स कम नहीं किया. और अब उन्हें ऐसा करना चाहिए… केंद्र ने एक्साइज ड्यूटी घटाई थी. साथ ही राज्यों से भी ऐसा करने को कहा था. मैं किसी की आलोचना नहीं कर रहा, लेकिन महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड, तमिलनाडु से अपील है कि वे वैट घटाएं और लोगों को फायदा दें.”
प्रधानमंत्री ने बीजेपी शासित गुजरात और पार्टी के समर्थन से चल रही कर्नाटक सरकार का उदाहरण दिया. बोले कि जनता को फायदा पहुंचाने के लिए इन दोनों राज्यों ने राजकोषीय घाटे की चिंता किए बिना तेल पर वैट कम किया.
इसके अलावा पीएम ने इस समस्या के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध को भी जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि इस युद्ध की वजह से सप्लाई प्रभावित हुई है, जिससे दाम बढ़ें हैं. पीएम मोदी ने कहा,
“ये वैश्विक संकट हर दिन एक नई चुनौती ला रहा है. ऐसी स्थिति में राज्यों और केंद्र के बीच तालमेल का बढ़ना और जरूरी हो जाता है.”
मोदी के संबोधन की अन्य बड़ी बातें
1. कोरोना की चुनौती अभी पूरी तरीके से टली नहीं है. पिछले दो हफ्तों से जिस तरह से कुछ राज्यों में मामले बढ़ रहे हैं उससे हमें अलर्ट रहने की जरूरत है.
2. देश के हर राज्य में हर जिले में, हर क्षेत्र में चाहे वहां की भौगोलिक परिस्थितियां कैसी भी रही हों वैक्सीन जन-जन तक पहुंची है. प्रत्येक भारतीय के लिए ये गौरव की बात है कि आज भारत की 96 प्रतिशत वयस्क आबादी को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज़ लग चुकी है. 15 साल से ऊपर के उम्र के करीब 85 प्रतिशत नागरिकों को दूसरी डोज़ भी लग चुकी है.
3. इसी साल मार्च में हमने 12 से 14 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू कर दिया था. कल ही 6 से 12 साल के बच्चों के लिए को-वैक्सीन टीका की परमिशन मिल गई है. सभी बच्चों का जल्द से जल्द टीकाकरण हमारी प्राथमिकता है. वैक्सीन सुरक्षा कवच की मजबूती के लिए देश में सभी वयस्कों के लिए प्रीकॉशन डोज़ भी मौजूद है. इसके लिए हमें जागरूकता फैलानी होगी. कोरोना के बढ़ते केस के बीच टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट की स्ट्रेटेजी को उसी तरह लागू करना है जैसा अब तक करते आए हैं.
4. हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के अपग्रेड का काम तेजी से चलता रहे ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए. बेड्स, वेंटिलेटर्स और ऑक्सीजन प्लांट्स जैसी सुविधाओं के मामले में हम काफी बेहतर स्थिति में हैं. लेकिन ये सारी सुविधाएं फंक्शनल रहें हमें ये भी सुनिश्चित करना होगा. साथ ही उसको मॉनिटर किया जाए, जिम्मेदारी तय की जाए ताकि कभी जरूरत पड़े तो संकट न आए.
5. देश में गर्मी तेजी से बढ़ रही है. इससे आग लगने की घटनाओं में तेजी आ रही है. पिछले साल कई अस्पतालों में आग लगी थी जो कि बहुत दर्दनाक था. इसलिए सभी राज्यों से आग्रह है कि अस्पतालों का सेफ्टी ऑडिट करवाएं. ताकि इस तरह की घटनाओं से बच सकें.
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