पिछले महीने महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. अब पता चला है कि हादसे की रात उसी एरिया में करीब 200 लोगों की भीड़ ने पुलिस की बस को रोका था. बस पर हमला भी किया. 16 अप्रैल की रात पुलिस की ये बस लिंचिंग स्पॉट पर ही जा रही थी.
पुलिस की बस को चिसदा गांव में रोका गया था. हिंसा दहानु तालुका में हुई थी. इन दोनों जगहों के बीच करीब 13 किमी की ही दूरी है. उग्र भीड़ ने पुलिस बस को करीब तीन घंटे तक यहां रोककर रखा.
17 अप्रैल को जो FIR दर्ज़ की गई थी, उसमें इस बात का ज़िक्र है. कुछ पुलिसकर्मियों को इस हमले में चोटें भी आई थीं. 24 अप्रैल को 19 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई. हालांकि बाद में इन्हें ज़मानत मिल गई.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दादर नगर हवेली के कलेक्टर संदीप कुमार सिंह का कहना है –
“करीब 200 से 300 लोगों की भीड़ थी. सूरज जिम्ने और जगदीश राठड़ नाम के व्यक्ति इसकी अगुवाई कर रहे थे. लिंचिंग के तुरंत बाद पुलिस को रोकने की कोशिश थी. भीड़ ने इसके लिए हाईवे के ही कुछ पेड़ भी काट-काटकर रोड पर डाल दिए थे. सूरज और जगदीश को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. तनावग्रस्त माहौल में ऐसी घटना दोबारा न हो, इसलिए हमने दोनों को गुजरात प्रिवेंशन ऑफ एंटी सोशल एक्टिविटी एक्ट-1965 के तहत अभी कस्टडी में ही रखा है.”
बस पर पत्थर भी फेंके गए
पुलिस की गाड़ी को जिस चिसदा गांव में रोका गया था, वो खनवेल के पास पड़ता है. खनवेल के सब डिविज़नल मैजिस्ट्रेट अपूर्व शर्मा ने बताया कि भीड़ ने पुलिस की गाड़ी पर पत्थर भी फेंके थे. इस बीच सूरज और जगदीश लगातार भीड़ को उकसा रहे थे.
क्या हुआ था पालघर में?
जूना अखाड़े के दो साधु 35 साल के सुशील गिरी महाराज और 70 साल के चिकणे महाराज कल्पवृक्षगिरी ड्राइवर निलेश के साथ 16-17 अप्रैल की रात मुंबई के कांदिवली से गुजरात के सूरत जा रहे थे. दोस्त के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए. कांदिवली से करीब 120 किलोमीटर का रास्ता भी तय कर लिया था. कुछ लोगों ने तीनों को रोक लिया और उन्हें गाड़ी से निकाल कर पीट-पीट कर मार डाला. उस एरिया में कडनी चोरी और बच्चा चोरी की अफवाह फैली थी. लोगों ने इन्हें वहीं समझा और पीट-पीटकर मार डाला. बचाने गई पुलिस पर भी हमला हुआ था.
पालघर: जहां मॉब लिंचिग हुई, वहां की पुलिस पर ये बड़ा एक्शन लिया गया है!