एंड्रयू सायमंड्स. एक उपयोगी बॉलर, बेहतरीन बैट्समैन और क्रिकेट इतिहास के सबसे बेहतरीन फिल्डर्स में से एक. कुल मिलाकर क्रिकेट जगत के एक बेहतरीन ऑलराउंडर. वो अब इस दुनिया में नहीं रहे. 14 मई 2022. शनिवार रात सायमंड्स की टाउन्सविले में एक कार दुर्घटना में मौत हो गई. क्रिकेट जगत और खासकर ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट के लिए ये खबर किसी बुरे सपने से कम नहीं है. कुछ समय पहले ही 2 दिग्गज कंगारू क्रिकेटर ( शेन वॉर्न और रोडनी मार्श) का निधन हुआ था.
news.com.auके मुताबिक शहर से लगभग 50 किलोमीटर वेस्ट के हर्वे रेंज में रात करीब 10:30 बजे एक हादसा हुआ था. एक्सीडेंट की सूचना मिलने पर पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची. शुरुआती जांच में ये बात सामने आई है कि तेज रफ्तार कार सड़क पर पलट गई. कार में एंड्रयू साइमंड्स अकेले सवार थे.
Tragic news surrounding the former Australia all-rounder and our thoughts are with his friends and family.https://t.co/6eXiz8Mb5O
— ICC (@ICC) May 14, 2022
ऐसा रहा इंटरनेशनल करियर
सायमंड्स ने ऑस्ट्रेलिया के लिए 26 टेस्ट, 198 वनडे और 12 T-20 मैचों में हिस्सा लिया. टेस्ट में उनके नाम 1462, वनडे में 5088 और टी20 में 337 रन है. इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया की 2003 और 2007 में वर्ल्ड कप जीत में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी.
बर्मिंघम में हुआ था जन्म
सायमंड्स की कहानी शुरू हुई थी 9 जून 1975 को. इंग्लैंड के बर्मिंघम शहर में पैदा हुए सायमंड्स के पेरेंट्स के बारे में बेहद कम जानकारी है. कहा जाता है कि उनके पेरेंट्स में से एक वेस्ट इंडियन मूल का, जबकि दूसरा डेनमार्क या स्वीडन से था. सायमंड्स को सिर्फ तीन महीने की उम्र में गोद लेने के बाद उनके नए पेरेंट्स केन और बारबरा ऑस्ट्रेलिया शिफ्ट हो गए. बचपन में सायमंड्स टेबल टेनिस और क्रिकेट दोनों जमकर खेलते थे. काफी छोटी उम्र में ही सायमंड्स ने अपने हमउम्र बच्चों को बुरी तरह पछाड़ना शुरू कर दिया. ऐसे में उनके पिता केन ने उन्हें हर शनिवार टाउंसविल स्थित वांडरर्स क्रिकेट क्लब ले जाना शुरू किया. तीन घंटे की यह राउंड ट्रिप पांच साल तक चली. इसके बाद सायमंड्स का परिवार गोल्ड कोस्ट शिफ्ट हो गया. उनके माता-पिता जिस स्कूल में काम करते थे सायमंड्स की पढ़ाई वहीं हुई.
Take on @RoySymonds63‘s arm at your own peril! Happy birthday the former Aussie allrounder! pic.twitter.com/kdEskliAaz — cricket.com.au (@cricketcomau) June 9, 2020
रॉय नाम से थे मशहूर
सायमंड्स का एक निकनेम रॉय भी है. कहते हैं कि बचपन में उनके एक कोच को लगता था कि वह बास्केटबॉल स्टार लेरॉय लॉगिंस जैसे दिखते हैं. इसलिए उसने सायमंड्स को रॉय बुलाना शुरू कर दिया. सायमंड्स ने 1994 के अंडर-19 वर्ल्ड कप के साथ ऑस्ट्रेलिया के लिए अपना डेब्यू किया. अगले ही साल वह इंग्लिश काउंटी क्रिकेट में ग्लूस्टरशर के लिए खेल रहे थे. ग्लूस्टरशर के लिए उन्होंने एक फर्स्ट क्लास मैच में 254 रन की पारी खेली, इस पारी में सायमंड्स ने वर्ल्ड रिकॉर्ड 16 छक्के मारे. अगली पारी में उन्होंने चार और छक्के मार इस मैच में अपने कुल छक्कों की संख्या 20 कर ली. यह भी एक वर्ल्ड रिकॉर्ड था.
# Sorry England
उनका यह तूफानी खेल देखने के बाद इंग्लैंड ने उन्हें अपनी A टीम के साथ पाकिस्तान टूर पर भेजने की तैयारी कर ली. लेकिन सायमंड्स का दिल तो ऑस्ट्रेलिया में लगा था, उन्होंने मना कर दिया. इस बारे में सायमंड्स ने बाद में सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड से कहा था,
‘अगर मैंने अपना भविष्य इंग्लैंड के साथ देखने का फैसला कर लिया होता, तो इसका अर्थ होता कि मुझे अपना परिवार, गर्लफ्रेंड और ऑस्ट्रेलिया के सारे दोस्त छोड़ने पड़ते.’
इस घटना के तीन साल बाद, 1998 में सायमंड्स ने ऑस्ट्रेलिया के साथ अपना वनडे डेब्यू किया. हालांकि, सिर्फ 23 साल में डेब्यू करने के बावजूद वह टीम में अपनी जगह फिक्स नहीं कर पाए. हालात यहां तक आ गए थे कि साल 2002 में सायमंड्स ने क्रिकेट छोड़ने का फैसला कर लिया. वह रग्बी में करियर बनाना चाहते थे. लेकिन तभी 2003 की वर्ल्ड कप टीम में उन्हें जगह मिल गई और काम जम गया.
पाकिस्तान के छुड़ाए थे ”छक्के”
इस सेगमेंट में हम आपको साइमंड्स के करियर से जुड़ा एक किस्सा सुना रहे हैं. साल 2003 क्रिकेट विश्व कप. वर्ल्ड कप रिटेन करने से पहले ऑस्ट्रेलिया के लिए भी यह टूर्नामेंट बहुत अच्छा नहीं था. टूर्नामेंट से ठीक पहले शेन वॉर्न डोपिंग टेस्ट में फेल होकर वापस जा चुके थे. उससे कुछ महीने पहले ऑलराउंडर शेन वाटसन को चोट लग गई थी. वाटसन की चोट इसलिए भी ऑस्ट्रेलिया के लिए बुरी थी, क्योंकि ऑस्ट्रेलियन मैनेजमेंट उन्हें 2003 वर्ल्ड कप के लिए तैयार कर रहा था. इधर माइकल बेवन और डैरेन लीमन भी टीम के साथ नहीं थे.
# क्रिकेटर, मछुआरा और किसान
ऐसे हालात में डिफेंडिंग चैंपियंस ऑस्ट्रेलिया ने इस टूर्नामेंट का अपना पहला मैच 11 फरवरी 2003 को खेला. यह पिछले वर्ल्ड कप फाइनल का रीप्ले था. ऑस्ट्रेलिया के सामने एक बार फिर से पाकिस्तान की टीम थी. वसीम अकरम, वक़ार यूनुस और शोएब अख्तर आग उगल रहे थे. गुलाबी सर्दियों में भी उनकी बोलिंग पसीने छुड़ा रही थी.
तीनों ने मिलकर ऑस्ट्रेलिया की हालत खराब कर दी. ऑस्ट्रेलिया ने सिर्फ 86 रन पर चार विकेट गंवा दिए. अब नंबर छह पर आए एंड्रयू सायमंड्स. वही सायमंड्स जिनका यह मैच तो दूर इस टूर्नामेंट में खेलना भी पक्का नहीं था. सायमंड्स इस वर्ल्ड कप के लिए साउथ अफ्रीका सिर्फ एक आदमी के चलते आ पाए थे- रिकी पॉन्टिंग, जो इस वक्त नॉन स्ट्राइकर एंड पर खड़े थे.

अब वक्त था कि इंग्लैंड में जन्मे सायमंड्स, पॉन्टिंग का कर्ज़ उतारें, भरोसे का कर्ज. लेकिन यह इतना आसान नहीं था. इस मैच से पहले सायमंड्स के नाम वनडे में 23 की एवरेज से कुल 762 रन थे. लेकिन उस दिन सायमंड्स टिक गए. किसी मछुआरे की तरह, बीच समंदर, लंगर डाले. सायमंड्स ने कई दफ़ा कहा है कि अगर वह क्रिकेटर ना होते, तो निश्चित तौर पर मछुआरे या किसान होते. उस दिन सायमंड्स ने 22 गज़ की पिच पर अपने तीनों शौक पूरे किए.
मछुआरे की तरह जाल फेंक मछलियों का इंतजार किया और सधे हुए किसान की तरह फसल पकते ही उसे स्टोरेज में डंप कर दिया. और क्रिकेट तो वह खेल ही रहे थे. उस दिन सायमंड्स ने सिर्फ 125 बॉल पर 143 रन की नॉटआउट पारी खेल डाली. ऑस्ट्रेलिया ने 50 ओवर्स में 310 रन बनाए और अंत में आसानी से मैच जीत लिया.
MS धोनी ने बैटिंग करते वक्त ऐसा क्या बोल रहे थे जो कोई बल्लेबाज़ नहीं माना