भारत-चीन सीमा विवाद के बीच भारतीय सेना ने चीन के एक चीनी सैनिक को हिरासत में ले लिया है. मामला ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) का है. जिस सैनिक को डेमचॉक एरिया में हिरासत में लिया गया, वो चीनी सेना में कॉरपोरल रैंक में है. सोमवार सुबह इस चीनी सैनिक को भारतीय सीमा में पकड़ा गया. बाद में चीन सेना की तरफ से भारतीय सेना को जानकारी दी गई कि उनका एक सैनिक लापता है. चीनी सेना ने भारतीय सेना से उस सैनिक को ढूंढने की रिक्वेस्ट भी की. हालांकि भारतीय सेना तब तक उसे हिरासत में ले चुकी थी.

अब वापस सौंपने की तैयारी
काफी खोजने के बाद भारतीय सेना को चीनी सैनिक मिला. इस वक्त वहां पर मौसम काफी खराब है और ठंड भी बढ़ गई है. वहां के बेहद खराब मौसम के देखते हुए चीनी सैनिक को सुरक्षित रखने के लिए उसे खाना और गर्म कपड़े दिए गए. सेहत को ठीक रखने के लिए उसे ऑक्सीजन भी दी गई. उसकी पहचान चीनी सेना में कॉरपोरल वांग यालांग के तौर पर हुई है. अभी वह चीनी सैनिक भारतीय सेना की हिरासत में ही है. उससे पूछताछ की जा रही है. चीनी सैनिक को प्रोटोकॉल के हिसाब से जरूरी प्रक्रिया पूरे करने के बाद चुशूल-मॉल्डो (Chushul-Moldo) बीपीएम पॉइंट से वापस चीनी सेना को सौंपा जाएगा.

इसी हफ्ते कोर कमांडर लेवल की आठवें दौर की बातचीत मुमकिन
भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की आठवें दौर की बातचीत इसी सप्ताह होनी है, जिसमें पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पर बातचीत को आगे बढ़ाने पर ध्यान दिया जा सकता है, जहां आने वाले समय में कड़ाके की सर्दी पड़ने वाली हैं. सरकार के सूत्रों के अनुसार, इससे पहले 12 अक्टूबर को सातवें दौर की वार्ता के दौरान दोनों देशों के सैनिकों के टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी में कोई सफलता नहीं मिली है. दोनों पक्षों ने कहा था कि सातवें दौर की बातचीत ‘सकारात्मक और फलदायक’ रही.
15 जून, 2020 को भारत-चीन सीमा पर टेंशन के बाद 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए और कुछ चीनी सैनिकों की जान गई थी. शांति कायम रखने के लिए गत 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात को इलाके में पीएलए के सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिकों को डराने-धमकाने की कोशिश के बाद भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग झील के दक्षिणी तट के आसपास स्थित मुखपारी, रेजांग ला और मगर पहाड़ी इलाकों में नियंत्रण हासिल कर लिया था. गत 21 सितंबर को छठे दौर की सैन्य वार्ता के बाद, दोनों पक्षों ने कई फैसलों की घोषणा की थी, जिसमें अग्रिम क्षेत्रों में और अधिक सैनिकों को नहीं भेजने, एकतरफा रूप से जमीन पर स्थिति को बदलने से बचने और ऐसी कोई भी कार्रवाई करने से बचना शामिल था, जिससे मामला और जटिल हो जाए.
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