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सपा जॉइन करने जा रहे इमरान मसूद ने मोदी को 'बोटी-बोटी' करने की धमकी दी थी

अपने समर्थकों के साथ इमरान मसूद ने क्या ऐलान किया है?

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सपा को लगता है कि मसूद के पार्टी में आने से पश्चिमी यूपी में उसका किला पूरी तरह मजबूत हो जाएगा (फाइल फोटो: आजतक )
10 जनवरी 2022 (Updated: 10 जनवरी 2022, 08:17 IST)
Updated: 10 जनवरी 2022 08:17 IST
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इमरान मसूद (Imran Masood) यूपी के सहारनपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं. कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव हैं. उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को एक बड़ा झटका देने वाले हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के करीबी माने जाने वाले इमरान जल्द समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थामेंगे. इमरान मसूद ने खुद इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि उन्होंने समाजवादी पार्टी में जाने का मन बना लिया है और जल्द सपा जॉइन करेंगे. सोमवार 10 जनवरी को इमरान मसूद ने मीडिया से बातचीत में कहा,
"मैंने आज अपने कार्यकर्ताओं की एक मीटिंग बुलाई थी, मैंने अपने कार्यकर्ताओं और साथियों से इस बात को लेकर (सपा जॉइन करने को लेकर) मशविरा किया है, उन्होंने मुझे इजाजत दे दी है कि हम लोग जाकर के अखिलेश यादव जी से मिलकर के समाजवादी पार्टी से जुड़ें."
इमरान मसूद ने सपा में जाने की वजह भी बताई. उन्होंने कहा कि मौजूदा राजनीतिक हालात बताते हैं कि यूपी में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच ही सीधी लड़ाई है. इसलिए सपा ज्वाइन करेंगे. कौन हैं इमरान मसूद? साल 2007 में इमरान मसूद ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पहली बार सहारनपुर की मुजफ्फराबाद (वर्तमान में बेहट) विधानसभा सीट से चुनाव जीता था. इसके बाद वह कभी भी विधानसभा का चुनाव नहीं जीत सके. साल 2012 और फिर 2017 का विधानसभा चुनाव इमरान ने सहारनपुर की नकुड़ विधानसभा सीट से लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा. विधानसभा चुनावों के अलावा इमरान ने लोकसभा चुनाव में भी अपनी किस्मत आजमाई थी. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में वे कांग्रेस के टिकट पर मैदान में थे, लेकिन उन्हें जीत नसीब नहीं हुई. 2014 में सहारनपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के राघव लखनपाल जीते थे, जबकि 2019 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के हाजी फजलुर रहमान ने इमरान मसूद को शिकस्त दी थी. हालांकि, लगातार सियासी हार के बाद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इमरान मसूद का मुस्लिम मतदाताओं में अच्छा प्रभाव माना जाता है. यही वजह है कि उनके यूपी चुनाव से ठीक पहले सपा में जाने से कांग्रेस को पश्चिमी यूपी में नुकसान हो सकता है. 'बोटी-बोटी' बयान से चर्चा में आए थे इमरान मसूद ने पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर 2014 में 'बोटी-बोटी' वाला बयान दिया था, जिसके बाद वह चर्चा में आए थे. 2014 में इमरान मसूद ने भरी सभा में बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आग उगली थी. उन्होंने कहा था कि गुजरात में चार परसेंट मुसलमान हैं, यहां 40 परसेंट. नरेंद्र मोदी यहां आ जाएं, तो उनकी बोटी-बोटी कर डालेंगे. इस बयान को लेकर मसूद के खिलाफ सहारनपुर की देवबन्द कोतवाली में FIR दर्ज कराई गई थी जिसके बाद उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था. मसूद को ही नहीं, सपा को भी उनकी जरूरत! लंबे समय से कांग्रेस नेता इमरान मसूद चुनावों में कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए हैं, इसलिए वो सपा में जा रहे हैं. उन्हें लगता है कि सपा का अपना वोटर कांग्रेस से कहीं ज्यादा है, ऐसे में वे आगामी चुनाव में कामयाबी पा सकते हैं. दूसरी ओर सपा के पास पश्चिमी यूपी में कोई बड़ा मुस्लिम चेहरा नहीं है. पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान भी जेल में हैं. ऐसे में सपा को भी एक बड़े मुस्लिम नेता की तलाश है. हालांकि, इमरान मसूद का कद आजम खान के जितना बड़ा तो नहीं है, लेकिन इमरान मसूद पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर अच्छी पकड़ रखते हैं. सपा नेताओं का मानना है कि अगर मसूद कांग्रेस को छोड़कर सपा में आ जाते हैं, तो पश्चिमी यूपी के वे मुसलमान भी पार्टी के साथ जुड़ जाएंगे, जो मसूद के चलते कांग्रेस को वोट देते थे. अखिलेश यादव जाट-मुस्लिम कॉम्बिनेशन बनाना चाहते हैं पश्चिमी यूपी में 26 जिलों की 136 विधानसभा सीट आती हैं, जिसमें मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, आगरा समेत कई जिले शामिल हैं. इस क्षेत्र में 20 फीसदी के करीब जाट और 30 से 40 फीसदी मुस्लिम आबादी है. यानी जाट-मुस्लिम कॉम्बिनेशन किसी भी पार्टी की जीत लगभग तय कर देता है. 2017 की बात करें तो पश्चिमी यूपी में बीजेपी को 136 में से 109 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि सपा के हिस्से में सिर्फ 20 सीटें ही आई थीं. अब 2022 के विधानसभा चुनाव में, सपा 2017 के चुनाव नतीजे को दोहराना नहीं चाहती और इसीलिए उसने पहले अजीत सिंह और जयंत चौधरी की पार्टी RLD के साथ गठबंधन किया और अब इमरान मसूद को अपने पाले में ला रही है.

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