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क्या है डिफेंस से जुड़ा CDS, जिसका ऐलान मोदी सरकार ने किया है और ये कैसे काम करेगा?

इससे जुड़े हर सवाल का जवाब जानिये आसान भाषा में.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 15 अगस्त के भाषण में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद का ज़िक्र किया था. फोटो में पीएम मोदी, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण और तीनों सेनाओं के प्रमुख. फोटो- पीटीआई
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निखिल
24 दिसंबर 2019 (Updated: 24 दिसंबर 2019, 05:05 PM IST)
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15 अगस्त, 2019 को लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी ने जो बात छेड़ी थी. उसे 24 दिसंबर, 2019 को सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पूरा कर दिया. जावड़ेकर ने ऐलान किया कि केंद्रीय कैबिनेट ने तीनों सेनाओं के लिए एक CDS माने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद बनाने पर सहमति दे दी है. अब सरकार इसके लिए विस्तृत अधिसूचना लेकर आएगी. CDS को आज़ाद भारत में सबसे महत्वपूर्ण सैनिक सुधार बताया जा रहा है. ऐसा क्यों है, समझेंगे, आसान भाषा में.
#24 दिसंबर को क्या हुआ?
आज कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक हुई थी जिसमें नेशनल सिक्योरिटी एडवाइज़र (NSA) अजित डोभाल की अध्यक्षता में बनी एक हाई लेवल कमेटी की रिपोर्ट पर विचार हुआ. इस रिपोर्ट में CDS की ज़िम्मेदारियों और ज़रूरी प्रशासनिक ढांचे का ज़िक्र था. कैबिनेट कमेटी ने इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद बनाने के लिए भी हां कर दी.
#जब सेनाध्यक्ष पहले से हैं तो CDS क्या करेंगे?
अंग्रेज़ों के ज़माने में सेना के लिए कमांडर इन चीफ-इंडिया का पद होता था, जो ताकत के मामले में सिर्फ वायसरॉय से नीचे होता था. लेकिन आज़ाद और लोकतांत्रिक भारत में इतने ताकतवर पद की ज़रूरत नहीं थी. तो सरकार ने ये पद खत्म किया और 1955 आते-आते तीनों सेनाओं के लिए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ, नेवल स्टाफ और एयर स्टाफ के पद बनाए गए. कमोबेश यही सिस्टम आज भी चलता है. इस सिस्टम में क्या दिक्कत थी, ये 1999 में कारगिल की लड़ाई में सामने आया. दबी ज़ुबान में कारगिल की लड़ाई के वक्त सेना और वायुसेना के बीच तालमेल की कमी की बातें हुईं. इसी सब का विचार करने के लिए बनी कारगिल रिव्यू कमेटी.
वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया, नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा और थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत. फोटो- PTI वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया, नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा और थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत. फोटो- PTI

फरवरी, 2000 में संसद में पेश हुई रिपोर्ट में कमेटी ने साफ लिखा - देश की सेनाओं में तालमेल के लिए एक व्यक्ति तीनों सेना प्रमुखों से ऊपर भी होना चाहिए. लेकिन सरकार ने अमल नहीं किया. कारगिल रिव्यू कमेटी के बाद दो और कमेटियां बनीं. 2012 में बनी नरेश चंद्र कमेटी. इसे कारगिल रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट पर हुए अमल पर टिप्पणी करनी थी. इसने कहा कि CDS जैसा ताकतवर पद फिलहाल न भी बनाना चाहें तो चीफ़्स ऑफ स्टाफ कमिटी को स्थाई अध्यक्ष दे दीजिए. 2016 में लेफ्टिनेंट जनरल डीबी शेतकर कमेटी भी बनी. इस कमिटी के 99 सुझावों में से एक ये भी था कि भारत सरकार और सेनाओं के बीच तालमेल के लिए एक सिंगल पॉइन्ट एडवाइज़र हो-चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ. लेकिन 15 अगस्त, 2019 तक किसी बड़े नेता ने राजनैतिक इच्छाशक्ति दिखाने का साहस नहीं किया.
#मोदी सरकार का सीडीएस कैसा होगा?
मोदी सरकार ने सीडीएस पर फैसला लेने की राजनैतिक इच्छा शक्ति दिखाई है. जावड़ेकर ने सिर्फ पद के सृजन की घोषणा नहीं की. उन्होंने बताया -
1. CDS एक फोर स्टार जनरल रैंक का अधिकारी होगा. तन्ख्वाह और सुविधाएं सेनाध्यक्षों वाली मिलेंगी.
2. गृह मंत्रालय में तीनों सेनाओं के मामलों के लिए डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स बनाया जाएगा. CDS इस विभाग के मुखिया होंगे. इस हिसाब से CDS का पद रक्षा सचिव के बराबर हो जाएगा. डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस या रक्षा विभाग बना रहेगा और राष्ट्रीय सुरक्षा के सभी अंगों के बीच तालमेल बनाने की अपनी ज़िम्मेदारी निभाता रहेगा.
3. CDS डिफेंस एक्विज़िशन काउंसिल और डिफेंस प्लानिंग कमिटी में बैठेंगे. माने रक्षा नीति और खरीद, दोनों में उनकी भूमिका होगी. मसलन सेना को पहले टैंक खरीदना चाहिए कि हवाई जहाज़, ये फैसला लेने में CDS का दखल होगा. भारत सरकार रक्षा खर्च घटाना चाहती है. इस हिसाब से ये निर्णय सेना और सरकार दोनों के लिए बड़े महत्वपूर्ण होंगे खासतौर पर नई रक्षा नीति के मामले में.
4. CDS सचिव के बराबर रखे गए हैं. ऐसे में हो सकता है कि उनके पास वित्तीय शक्तियां हों. माने वो पैसा भी आवंटित कर पाएंगे. कितना और किसे, ये साफ होना बाकी है.
5. CDS को भले फर्स्ट अमंग ईक्वल कहा जा रहा हो. लेकिन वो इससे ज़्यादा होंगे. उनका पद स्थायी होगा.
6. CDS के पास सेनाओं में किसी कमांड का नियंत्रण नहीं होगा. वो सेनाओं के बीच कमांड एंड कंट्रोल के ढांचे में सबसे ऊपर होंगे. उनकी पहुंच सीधे प्रधानमंत्री तक होगी. ज़रूरत पड़ने पर कोई आदेश प्रधानमंत्री से ज़मीनी टुकड़ियों तक कम से कम समय में पहुंचे और वहां से फीडबैक पीएमओ पहुंचे, सीडीएस इसे पक्का करेंगे.
#कौन हो सकता है CDS?
जावड़ेकर आज नाम बताने से बचे. कहा पूरे नियम तैयार होते ही सूचना देंगे. लेकिन सबसे आगे नाम चल रहा है सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत का. वो फिलहाल तीनों सेनाध्यक्षों में सबसे सीनियर हैं और चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी के अध्यक्ष भी. सेना को नए सेनाध्यक्ष मिलने वाले हैं. उप सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरावने इस पद पर बैठेंगे. तो बिपिन रावत के पास नई ज़िम्मेदारी के लिए समय भी होगा. लेकिन रावत का नाम फिलहाल अटकल ही है.
CDS बनने की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत. वो फिलहाल तीनों सेनाध्यक्षों में सबसे सीनियर हैं और चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी के अध्यक्ष भी. CDS बनने की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत. वो फिलहाल तीनों सेनाध्यक्षों में सबसे सीनियर हैं और चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी के अध्यक्ष भी.
#और क्या सुधार होंगे?
देश में लंबे समय से सैनिक सुधारों पर काम चल रहा है जिसे मोदी सरकार आगे बढ़ा रही है. तकनीक का इस्तेमाल करके सेना का आकार घटाने पर काम चल रहा है. आज सीडीएस की घोषणा हो गई है. ये संभावना भी जताई जा रही है कि आने वाले समय में सेना-नौसेना और वायुसेना एक दूसरे की क्षमताओं और संसाधनों का इस्तेमाल कर सकें, इसकी व्यवस्था की जाएगी. इसे कहा जा रहा है वर्टिकल इंटीग्रेशन. इससे रक्षा पर खर्च होने वाले पैसे को कम किया जा सकेगा. सबसे बड़ा बदलाव हो सकती हैं ट्राई सर्विस थियेटर कमांड्स.
#अब ये ट्राइ सर्विस थियेटर कमांड क्या होती हैं?
फिलहाल आर्मी-नेवी-और एयरफोर्स की अपनी-अपनी कमांड हैं. मिसाल के लिए उधमपुर स्थित सेना की उत्तरी कमांड. या नई दिल्ली स्थित वायुसेना की पश्चिमी एयर कमांड या कोच्चि स्थित नौसेना की दक्षिणी कमांड. तो बालाकोट जैसी कार्रवाई के लिए नई दिल्ली और उधमपुर दोनों मुख्यालयों को साथ लेना पड़ता है. थिएटर कमांड में किसी एक इलाके में रक्षा ज़रूरतों के हिसाब से सेनाओं को ज़िम्मेदारी दी जाएगी. जैसे लद्दाख. यहां सेना की माउंटेन स्ट्राइक कोर को वायुसेना के उस अंग के साथ काम में लिया जाएगा जो ज़्यादा ऊंचाई और पहाड़ों के बीच पतली हवा में भी उड़ने में सक्षम हो. जहां पानी मिले, वहां नौसेना के कमांडो. तो एक इलाके में तीनों सेनाओं से जुड़े संसाधन और एक्सपर्ट साथ में प्लानिंग, ट्रेनिंग और ड्यूटी करेंगे. इससे इमरजेंसी के वक्त बेहतरीन नतीजा मिलने की संभावना बढ़ जाएगी.


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