क्रिकेट, ग्लैमर, पैसा, बाजार… इन सबका कॉकटेल कहां से तैयार होता है? यदि इस सवाल की तह तक जाने की कोशिश करें तो आज से ठीक 50 बरस पहले यानी 5 जनवरी 1971 की तारीख को याद करना मौजूं हो जाता है. आखिर इस दिन क्या हुआ था, जिसने भद्रजनों का खेल कहे जाने वाले क्रिकेट को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया?
टेस्ट के बीच वनडे कैसे शुरू हुआ?
यह 1970 का साल और नवंबर का महीना था जब एशेज सीरीज के लिए इंग्लैंड की क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई थी. उन दिनों एक एशेज सीरीज में 6 टेस्ट मैच खेले जाते थे. पहला टेस्ट ब्रिस्बेन में खेला गया, जो ड्रॉ पर खत्म हुआ. दूसरा टेस्ट मैच पर्थ में खेला गया और यह भी ड्रॉ पर खत्म हुआ. अब बारी थी मेलबर्न में खेले जाने वाले तीसरे टेस्ट मैच की. 29 दिसंबर 1970 से यह टेस्ट मैच शुरू होना था लेकिन भारी बारिश के कारण पहले तीन दिनों का खेल धुल गया. इसके बाद अंपायरों और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के अधिकारियों ने इस टेस्ट को रद्द करने का फैसला किया. लेकिन उन दिनों क्रिकेट मैचों का इंश्योरेंस कराने का चलन नहीं था. इस टेस्ट मैच के धुलने से आयोजकों को लगभग 80 हजार पाउंड का घाटा उठाना पड़ रहा था. मेलबर्न टेस्ट के लिए दर्शकों को जो टिकट बेचे गए थे, उन्हें वापस करना पड़ता. लिहाजा दोनों देशों के क्रिकेट बोर्ड ने मिलकर फैसला लिया कि सीरीज के अंत में एक सातवां टेस्ट मैच भी करा दिया जाए. लेकिन इंग्लिश खिलाड़ी इस अतिरिक्त टेस्ट मैच के लिए अतिरिक्त पैसे की मांग पर उतर आए. दरअसल वो जमाना प्रायोजक, कॉन्ट्रैक्ट और क्रिकेट में पैसों की बरसात का नहीं था. उन दिनों क्रिकेटरों को मैच के दिन के हिसाब से दिहाड़ी मिला करती थी.
इसके बाद दोनों देशों के अधिकारियों ने तय किया कि मेलबर्न के स्थानीय लोगों के मनोरंजन और दोनों टीमों के खिलाड़ियों के आर्थिक मुनाफे को ध्यान में रखकर दोनों टीमों के बीच 40-40 ओवरों (8 गेंदों का 1 ओवर) का एक वनडे मैच आयोजित किया जाए.
लेकिन इस मैच के लिए स्पॉन्सर (प्रायोजक) ढूंढना भी मुश्किल काम था. बड़ी मुश्किल से तंबाकू उत्पाद बनाने वाली राॅथमैंस कंपनी इस मैच को स्पॉन्सर करने को तैयार हुई. वह भी महज 5 हजार पाउंड में. जिसमें 90 पाउंड मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार जीतने वाले के लिए रखे गए थे. कंपनी ने इस मैच के लिए 20 हजार टिकट बेचने का लक्ष्य रखा ताकि पैसा निकल सके.

मैच में क्या हुआ?
5 जनवरी 1971 को यह मैच मेलबर्न क्रिकेट स्टेडियम में खेला गया. इंग्लैंड-11 और ऑस्ट्रेलिया-11 के नाम से 2 टीमें मैदान में उतरीं. मैच से पहले सर डाॅन ब्रैडमैन दोनों टीमों के खिलाड़ियों से मिले और उनका उत्साहवर्धन किया.
ऑस्ट्रेलिया-11 के कप्तान बिल लाॅरी ने टाॅस जीता. इंग्लिश-11 के कप्तान रे इलिंगवर्थ को पहले बैटिंग करने का आमंत्रण दिया. इंग्लिश-11 की पूरी टीम 39.4 ओवरों में 190 रन बनाकर ऑल आउट हो गई. मिडल ऑर्डर के बैट्समैन जाॅन एंड्रिच ने सबसे ज्यादा 82 रन बनाए.
अब ऑस्ट्रेलिया-11 के सामने मैच जीतने के लिए 40 ओवरों (यानी 320 गेंदों) में 191 रन बनाने का लक्ष्य था. इसे उसने इयान चैपल के 60 रनों की मदद से 5 विकेट खोकर आसानी से हासिल कर लिया.
इंग्लिश-11 के जाॅन एंड्रिच को मैन ऑफ द मैच चुना गया और वे 90 पाउंड की राशि के साथ वनडे क्रिकेट में मैन ऑफ द मैच बनने वाले पहले क्रिकेटर बने.

मैच के बाद सर डाॅन ब्रैडमैन ने मेलबर्न क्रिकेट स्टेडियम में मौजूद दर्शकों को संबोधित किया और कहा,
“आज आपने इतिहास को बनते देखा है.”
और वनडे क्रिकेट वाकई इतिहास पर अपनी अमिट छाप छोड़ गया.
पहले ही मैच में पैसों की बरसात हो गई
स्पॉन्सर कंपनी राथमैंस ने जहां 20 हजार दर्शकों के आने की उम्मीद लगाई थी, वहीं 46 हजार से ज्यादा लोग इस मैच को देखने आ गए. इससे कंपनी की न सिर्फ पाई-पाई वसूल हो गई बल्कि भारी मुनाफा भी हुआ.
इस मैच की सफलता को देखते हुए ICC यानी इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने इसे अंतर्राष्ट्रीय मैच की मान्यता प्रदान कर दी. यहीं से औपचारिक रूप से एकदिवसीय क्रिकेट यानी वनडे क्रिकेट मैच की शुरुआत हो गई.

इसके बाद से लेकर आज तक यानी पिछले 50 सालों के वनडे क्रिकेट के सफर पर यदि नजर डाली जाए तो यह साफ हो जाता है कि वनडे क्रिकेट ने क्रिकेट के स्वरूप को ही सिरे से बदल दिया. क्रिकेट को परंपरावादियों का खेल माना जाता था. ऐसे में क्रिकेट के पारंपरिक स्वरूप यानी टेस्ट क्रिकेट को उस वक्त जेंटलमैन गेम कहा जाता था, लेकिन फास्ट क्रिकेट (यानी वन-डे) को इंग्लैंड के भद्रजन तिरस्कार की दृष्टि से देखते थे और पजामा क्रिकेट कहते थे. लेकिन धीरे-धीरे वनडे क्रिकेट का रसूख ऐसा बन गया कि इसी के कारण क्रिकेट में कई बड़े बदलाव देखने को मिले. रंगीन ड्रेस, डे-नाइट क्रिकेट, फील्डिंग रिस्ट्रिक्शन, सफेद और पिंक बाॅल, विकेट-कीपर बैट्समैन का चलन- ये सब सिर्फ वनडे क्रिकेट की बदौलत ही आए. इसके अलावा बाजार का दबाव, भारतीय उपमहाद्वीप में मुक्त बाजार की अर्थव्यवस्था की शुरुआत, मल्टीनेशनल ब्रांड्स के लिए विश्वसनीय ब्रांड एंबेसडर की जरूरत- इन सबने क्रिकेट के स्वरूप को इस कदर बदल दिया कि एक जमाने में पैसों के लिए तरसने वाले क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए पैसा आज कोई मुद्दा ही नही है. पुराने दौर में क्रिकेटरों की आर्थिक हैसियत का अंदाजा सिर्फ इसी से लगाया जा सकता है कि कभी सिक्सर किंग कहे जाने वाले सलीम दुर्रानी को रिटायरमेंट के बाद 25 रुपये वाले होटल में रुकने की नौबत आ गई थी. वहीं एक आज का दौर है, जहां वर्ल्ड कप जीतने पर तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी द्वारा टीम के खिलाड़ियों को दिए गए फर्स्ट एसी के आजीवन रेलवे पास का शायद ही किसी क्रिकेटर ने कभी उपयोग भी किया हो.
वनडे क्रिकेट की ये बातें पता हैं आपको?
# 1971 के बाद के दौर में वनडे मैच 60 ओवरों का होता था, क्योंकि इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में दिन लंबे होते थे और पूरे दिन में 120 ओवरों का खेल हो सकता था. लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप में 60 ओवरों के खेल में समस्या आती थी. क्योंकि यहां क्रिकेट के सीजन में सूरज की रोशनी लंबे समय तक नहीं रह पाती. इसी वजह से 90 के दशक में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट खेलने वाले देशों के बीच एकरूपता लाने के मकसद से इसे 50 ओवरों का कर दिया गया.
# भारत की क्रिकेट टीम ने सर्वाधिक 990 वनडे मैच खेले हैं.
# ऑस्ट्रेलिया की टीम ने सर्वाधिक 579 वनडे मैच जीते हैं.
# पिछले 50 सालों में अब तक 4267 वनडे मैच खेले जा चुके हैं.
# अब तक 12 वर्ल्ड कप खेले जा चुके हैं.
# सचिन तेंदुलकर ने सबसे ज्यादा 463 वनडे मैच खेले हैं.
# वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा 18,426 रन सचिन तेंदुलकर ने बनाए हैं.
# वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा 49 शतक भी सचिन तेंदुलकर के नाम हैं.
# श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन ने वनडे में सबसे ज्यादा 534 विकेट लिए हैं.
# पाकिस्तान के वकार यूनुस ने सर्वाधिक 13 बार 5 या 5 से ज्यादा विकेट हासिल किए हैं.
विडियो : जब भारत की मजबूत बल्लेबाज़ी को देख पाकिस्तानी गेंदबाज़ परेशान हो गए थे.