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सुबह जल्दी उठने से ऐसा भी क्या फायदा मिल जाएगा? ये पढ़कर समझ जाएंगे

आप में से भी बहुत सारे लोगों की जल्दी उठने के नाम पर रूह कांप जाती होगी. तो हमने सोचा क्यों न आज जान ही लिया जाए कि जल्दी उठना वाकई फ़ायदेमंद है भी या नहीं. कहीं ये सिर्फ़ बड़े-बुज़ुर्गों की गढ़ी कहानी तो नहीं?

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benefits of waking up early in the morning
रोज़ कितने बजे उठते हैं आप? (फोटो: Freepik)
5 अगस्त 2025 (Updated: 5 अगस्त 2025, 04:13 PM IST) कॉमेंट्स
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‘सुबह देर तक घोड़े बेचकर मत सोया करो. जल्दी उठा करो.’ 'सुबह जल्दी उठकर पढ़ोगे तो ज़्यादा याद होगा!' बचपन में मम्मी-पापा ये बातें रोज़ सुनाते थे. तब हम चिढ़ जाते थे! लगता था, सुबह उठकर ऐसा क्या हो जाएगा. जो पूरे दिन में नहीं किया जा सकता.

आप में से भी बहुत सारे लोगों की जल्दी उठने के नाम पर रूह कांप जाती होगी. तो हमने सोचा क्यों न आज जान ही लिया जाए कि जल्दी उठना वाकई फ़ायदेमंद है भी या नहीं. कहीं ये सिर्फ़ बड़े-बुज़ुर्गों की गढ़ी कहानी तो नहीं?

क्या सुबह जल्दी उठना वाकई फ़ायदेमंद है?

ये हमें बताया डॉक्टर धीरजा बब्बर ने. 

dr dheerja babbar
डॉ. धीरजा बब्बर, ग्रुप हेड, सर्वोदय हॉस्पिटल, फरीदाबाद

सुबह जल्दी उठने से हाज़मा सुधरता है. सर्केडियन रिदम सुधरती है. ये शरीर की नेचुरल क्लॉक है. हमारे शरीर में ऑक्सीज़न की मात्रा बेहतर होने लगती है, क्योंकि सुबह की हवा में ऑक्सीज़न ज़्यादा मात्रा में होता है. हमारा मूड अच्छा रहता है क्योंकि एंडोर्फिंस (हैप्पी हॉर्मोन्स) रिलीज़ होते हैं. ये शरीर को अच्छा और हमें शांत महसूस कराते हैं. सुबह जल्दी उठने से शरीर में पूरे दिन एनर्जी रहती है. काम और एक्सरसाइज़ में प्रोडक्टिविटी बढ़ती है. सुबह उठने के बहुत सारे फायदे होते हैं.

कितने घंटे की नींद ज़रूरी है और सुबह कितने बजे उठना चाहिए?

- रोज़ 7 से 8 घंटे की नींद ज़रूरी है.

- इतने घंटे अच्छे से सोना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है.

- सुबह साढ़े 5 से साढ़े 6 के बीच उठना फायदेमंद है.

waking up
सुबह जल्दी उठने से मूड सुधरता है (फोटो: Freepik)
सुबह जल्दी उठने के टिप्स

रात में सोने का समय तय करें. रात में साढ़े 10 बजे तक सो ही जाएं. अगर रात में देर से सोएंगे, तो सुबह जल्दी उठा नहीं जाएगा. सोने से पहले अगर टीवी/मोबाइल देखते हैं, तो ये नुकसानदेह है. स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट नींद वाले हॉर्मोन को दबा देती है. इससे नींद नहीं आती और व्यक्ति फोन चलाता रहता है. ये बहुत ही नुकसानदेह है. आप रात में फोन चलाने के बजाय किताबें पढ़ें. किताब के कुछ पेज पढ़ने के बाद आपको नींद आने लगेगी. किताब पढ़कर आप नई चीज़ें सीखेंगे और शरीर भी थैंक यू बोलेगा. 

अपने कमरे में हल्के पीले रंग की एक लाइट लगाएं. ये आप रात में थोड़ी देर के लिए जलाएं. जब आप कुछ दिनों तक ऐसा करेंगे, तो दिमाग को सिग्नल मिलेगा कि ये लाइट जलना यानी सोने का समय हो गया है. 

रात में सोने से पहले फोन को खुद से थोड़ा दूर रख दीजिए ताकि जब सुबह अलार्म बजे, आपको उसे बंद करने के लिए बिस्तर से उठना पड़े. खुद को खुशी देने वाली कोई एक्टिविटी सुबह के लिए तय कर लीजिए. जैसे बैडमिंटन खेलना, टहलना या ध्यान लगाना. सुबह उठते ही पहले ये एक्टिविटी करिए. इससे आपका पूरा दिन बहुत अच्छा बीतेगा.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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