आपने ई-कॉमर्स पोर्टल से एक नया स्मार्टफोन खरीदा. कार्ड वाले सारे ऑफर्स लगा लिए और साथ में एक्सचेंज बोनस का फायदा लेकर बढ़िया दाम में डील डन कर ली. नया फोन आने की खुशी भी मिल गई और पुराना फोन भी हाथोहाथ निपट गया. अब सिर्फ डिलीवरी डेट का इंतजार बाकी रहा. वो तारीख भी आ गई. पार्सल आउट फॉर डिलीवरी का मैसेज भी आ गया. दिन हुआ, दोपहर हुई और फिर शाम भी हो गई, लेकिन पार्सल आया नहीं. बल्कि आया एक मैसेज. हमने आपको कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की थी, मगर तुस्सी फोन नहीं उठाए.
एक्सचेंज में स्मार्टफोन लेने की सोच रहे? बहुत कठिन है डगर डिलीवरी की!
ई-कॉमर्स पोर्टल से एक्सचेंज बोनस (Exchange Your Phone) में स्मार्टफोन खरीद लिया. डिलीवरी डेट की तारीख भी आ गई. पार्सल आउट फॉर डिलीवरी का मैसेज भी आ गया लेकिन पार्सल आया नहीं. बल्कि आया एक मैसेज. कि हमने आपको कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की थी. मगर तुस्सी फोन नहीं उठाए.

कोई बात नहीं. कल आ जाएगा, ये सोचकर आप सो गए. मगर दूसरे दिन भी यही नौटंकी. वहीं आपके पड़ोसी का वही फोन बिना एक्सचेंज वाला डिलीवर भी हो गया. आपको कुछ समझ नहीं आ रहा कि आपके साथ क्या हो रहा है. पोर्टल का कस्टमर केयर हमेशा की तरह रटा हुआ जवाब दे रहा. हम बताते झोल क्या है.
एक्सचेंज का चक्कर बाबू भईयाऐसा अगर आपके साथ हो रहा है तो दुखी होने की जरूरत नहीं. क्योंकि ऐसा कई लोगों के साथ हो रहा है और लगातार हो रहा है. ई-कॉमर्स पोर्टल से लेकर स्मार्टफोन कंपनियां तक नए फोन के बदले पुराना फोन एक्सचेंज करने की सुविधा देती तो हैं, मगर बिना तैयारी टाइप. मतलब नया फोन डिलीवर करना जितना आसान है, पुराने फोन को पिक करना उतना ही मुश्किल.

अक्सर देखा गया है कि एक्सचेंज की जानकारी देते समय ग्राहक पूरी डिटेल्स ढंग से नहीं देते. मसलन, बॉडी पर खरोंचे भले ज्यादा हों, बताएंगे कम या नार्मल ही. चूंकि पूरा प्रोसेस ऑनलाइन होता है इसलिए पोर्टल ग्राहक की दी जानकारी पर एक अंदाजे से कीमत बता देता है.
खैर इसमें कोई बहुत बुरी बात तो नहीं, क्योंकि अपना माल किसे ही खराब लगता है. लेकिन नए फोन की डिलीवरी के समय जब अच्छे से जांच पड़ताल होती है तो सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है. जैसा बताया था, अगर वैसा ही हुआ तो एक्सचेंज डन, वर्ना एक्स्ट्रा पैसे देना पड़ते हैं.
इतना पढ़कर आप कहोगे कि भईया सब सही लग रहा, मगर डिलीवरी वाला तो आया ही नहीं.

इसके पीछे कोई झोल या बेईमानी नहीं है बल्कि पार्सल डिलीवरी करने वालों की मजबूरी है. पुराना फोन पिक करने कोई एक्सपर्ट नहीं आता बल्कि जो फोन देने आता है वही पुराना लेकर जाता है. अब इनके पास उतनी ट्रेनिंग तो होती नहीं कि हर कमी को पकड़ लें. वो फोन लेकर जाते हैं और अगर फाइनल चेक में कुछ भी गलत निकला तो उनके पैसे कट जाते हैं. ई-कॉमर्स पोर्टल इनकी ट्रेनिंग इसलिए नहीं करते क्योंकि उनको भी पुराने फोन थोक के भाव थर्ड पार्टी को ही बेचने हैं.

मतलब जैसे पुराना फोन खरीदने वाले पोर्टल उनको ठीक करके फिर से सेल करते हैं, ये पोर्टल वैसा नहीं करते. इसलिए एक्सचेंज वाला पार्सल आने में गड़बड़ होती ही है. थक हारकर आप ऑर्डर कैंसिल कर देते हैं. वैसे एक्सचेंज को लेकर एक दूसरी तरह की शिकायत भी खूब मिलती है. एक्सचेंज करने वाला पहले मना कर देता है और फिर कुछ पैसे कमीशन के लेकर पूरा खेल कर देता है. कहने का मतलब एक्सचेंज के चक्कर में नहीं पड़ें तो अच्छा.

कई सारे पोर्टल हैं जो पुराना फोन खरीदते हैं. अच्छे दाम और अच्छी सर्विस के साथ. उधर देख सकते हैं.
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