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Blinkit, Zepto जैसे प्लेटफॉर्म के साथ जुड़ा है नाम, डार्क स्टोर का डार्क सीक्रेट जान लीजिए

Zepto और Blinkit जैसे क्विक कॉमर्स पोर्टल के Dark Store गंदगी और लाइसेंस की वजह से बंद हुए हैं. मतलब डार्क स्टोर के भी डार्क सीक्रेट हैं. मगर कितने.

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डार्क स्टोर का डार्क सीक्रेट

पिछले कुछ दिनों से Zepto और Blinkit जैसे क्विक कॉमर्स पोर्टल के डार्क स्टोर (Dark Store) बड़े चर्चा में हैं. इस महीने की स्टार्टिंग में धारावी में Zepto के डार्क स्टोर का फूड लाइसेंस महाराष्ट्र FDA ने सस्पेंड कर दिया था. इसके बाद पुणे के Blinkit डार्क स्टोर में ताला जड़ दिया गया. जहां Zepto के डार्क स्टोर में गंदगी की शिकायत मिली थी तो वहीं Blinkit का डार्क स्टोर बिना लाइसेंस के चल रहा था. कहने का मतलब डार्क स्टोर के भी डार्क सीक्रेट हैं. मगर कितने. आज यही जानने की कोशिश करते हैं.

डार्क स्टोर है क्या?

आसान भाषा में कहें तो मोहल्ले की किराना दुकान और इलेक्ट्रिकल शॉप का कॉम्बो. क्विक कॉमर्स कंपनियां किसी भी लोकेशन के 2-4 किलोमीटर के दायरे में ऐसे स्टोर सेट करती हैं. वैसे तो ये एक किस्म का गोडाउन है मगर यहां सारा काम सिस्टम और इंटरनेट के जरिए होता है इसलिए इसे स्टोर नाम दिया गया है. यहां कंपनियां सारे प्रोडक्ट का स्टॉक करके चलती हैं. ये सारे स्टोर थर्ड पार्टी होते हैं मतलब लाइसेंस फ्रेंचाइजी का होता है.

जैसे ही आपका ऑर्डर आता है, राइडर या डिलेवरी पार्टनर स्टोर से आपका सामान लेकर आपके पास आ जाता है. यहां एक बात गौर करने लायक है. स्टोर में स्टॉक की उपलब्धता. इसमें काम आता है AI. स्टोर का सिस्टम आपकी ऑर्डर की आदतों को समझकर स्टॉक रखता है. मतलब अगर आप रोज में एक लीटर दूध ऑर्डर करते हैं और सप्ताहांत में 2 लीटर तो सिस्टम इसके हिसाब से स्टॉक करके चलता है.

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इतना ही नहीं यही AI आपको ऑर्डर करने के लिए मजबूर भी कर सकता है. माने जैसे आप कुछ ऑर्डर कर रहे तो पता चला स्क्रीन पर दूध पर ऑफर नमूदार हो गया. ये भी एक किस्म का डार्क सीक्रेट है जिसे डार्क पैटर्न कहते हैं. डार्क स्टोर का सेटअप मोटा-माटी समझ लिया. अब इसके डार्क सीक्रेट पर बात करते हैं.

# 10-15 मिनट का कोई चक्कर नहीं है

क्विक कॉमर्स पोर्टल जिस स्पीड के दम पर पूरा माहौल जमाए हुए हैं असल में उसका डिलीवरी से कोई लेना-देना नहीं है. ग्राहक को भी पता है कि 10 की जगह 15 मिनट हो सकते हैं. वो कोई टेंशन भी नहीं लेता. दरअसल 10 मिनट में ऑर्डर पहुंचाने का सीधा मतलब तो राइडर है. अगर राइडर ने 10 मिनट में ऑर्डर पहुंचा दिया तो उसको इंसेंटिव मिलेगा. TechWiser नाम के यूट्यूब चैनल ने बाकायदा राइडर्स से बात करके इस बात की तस्दीक की थी.

# मेरी आईडी तेरी आईडी

एकदम वैसे ही जैसे कैब सर्विस में अक्सर देखने को मिलता है. मतलब गाड़ी किसी के नाम पर रजिस्टर और ड्राइवर कोई और होता है. यहां भी वैसा ही मामला है. सोशल मीडिया पर भी इसके बारे में बात होती है कि कई राइडर की उम्र बहुत कम लगती है. मुमकिन है कि आपने खुद ऑर्डर रिसीव करते समय ऐसा कुछ अनुभव किया होगा. हालांकि इस मामले पर सभी कंपनियों की पॉलिसी एकदम साफ है. 18 साल के कम उम्र के लोगों को नौकरी पर नहीं रखा जाता है. 

#ऑर्डर वैल्यू: डार्क स्टोर का सबसे बड़ा सीक्रेट इसकी ऑर्डर वैल्यू है. आप खुद सोचिए कि जब सारा सामान MRP से कम पर बिक रहा तो फिर प्लेटफॉर्म पैसा कैसे कमा रहे. बॉक्स से लेकर राइडर और स्टोर के कर्मचारी का खर्चा कैसे निकल रहा. पहली बात तो ये कि अभी कोई भी प्लेटफॉर्म प्रॉफ़िट में नहीं है. हां, घाटा जरूर कम हुआ है. अब बाकी खर्चों के लिए जरूरी है कि यूजर बड़ा ऑर्डर करे.

तभी तो डिलीवरी चार्जेस, प्लेटफॉर्म चार्जेस, लंबी दूरी चार्जेस, कम ऑर्डर वैल्यू जैसे चार्जेस लगाए जाते हैं. ग्राहक को बड़ा ऑर्डर करने के लिए डिस्काउंट का लालच भी दिया जाता है तो डिलेवरी चार्जेस का दरेरा भी. "येन केन प्रकारेण" ऑर्डर बड़ा हो बस.

#आईडी ब्लॉक: राइडर की एक शिकायत तो उसका आईडी ब्लॉक हो जाता है. बीमार पड़े या गाड़ी का एक्सीडेंट हो. कंपनी को कोई फर्क नहीं पड़ता.

हालांकि यह सारे डार्क सीक्रेट होते हुए भी एक बात साफ समझ में आती है. दुनिया में भले क्विक कॉमर्स फेल हुआ मगर इंडिया में क्विक कॉमर्स तेजी से बड़ा हो रहा है. आज की तारीख में इनके 2000 से ज्यादा डार्क स्टोर इंडिया में ऑपरेट हैं. इस साल के आखिर तक इनके 3000 पहुंचने की उम्मीद है.

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