Meta के CEO Mark Zuckerberg आजकल Apple से बड़े खफा-खफा हैं. आप कहोगे कि इसमें क्या ही नया है. जब से एप्पल ने अपनी ट्रैकिंग पॉलिसी में बदलाव किया है, तब से दोनों के बीच खटपट चलती रहती है. मगर इस बार मामला थोड़ा अलग है. मार्क ज़ुकेरबर्ग ने इस दफा कंपनी को नहीं बल्कि उनके डिवाइस को खरी-खोटी सुनाई है. मार्क ने iPhone को लेकर बहुत कुछ कहा है. कहा है या कहें बहती गंगा में हाथ धोया है या कहें कि ताबूत में एक कील उन्होंने भी ठोक दी है. दरअसल उन्होंने कहा,
Mark Zuckerberg इस बार Apple से नहीं बल्कि iPhone से नाराज हैं, बात सही भी है क्योंकि...
स्टीव जॉब्स ने iPhone का आविष्कार किया, Apple 20 साल तक सिर्फ उसी पर बैठा रहा. अचानक से Mark Zuckerberg ऐसा क्यों कह रहे. क्या वाकई में ऐसा ही है या फिर वो अपनी खीज निकाल रहे.

स्टीव जॉब्स ने iPhone का आविष्कार किया, एप्पल 20 साल तक सिर्फ उसी पर बैठा रहा. अचानक से मार्क ऐसा क्यों कह रहे. क्या वाकई में ऐसा ही है या फिर वो अपनी खीज निकाल रहे. समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर इंस्टाग्राम, फेसबुक और WhatsApp के बॉस को आइफोन से क्या परेशानी हो गई है.
तारीफ भी और गुस्सा भीमार्क Joe Rogan Experience पॉडकास्ट में बात कर रहे थे और आइफोन के बारे में बोलते हुए उन्होंने पहले-पहल तो उसकी खूब तारीफ की. मार्क ने आइफोन को वैश्विक स्तर पर कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए खूब सराहा. उन्होंने कहा,
एक ओर, आईफोन बहुत बढ़िया रहा है, क्योंकि अब दुनिया में लगभग हर किसी के पास फोन है, और इसी वजह से बहुत सारी अद्भुत चीजें संभव हो पाई हैं.
मगर दूसरी तरफ़ उन्होंने कुछ नया नहीं करने के लिए एप्पल की टांग भी खींची. मार्क ने कहा,
लेकिन दूसरी ओर, उन्होंने अपने सिस्टम का उपयोग कई नियम लागू करने के लिए किया है जो मुझे लगता है कि मनमाने हैं और मुझे लगता है कि उन्होंने पिछले कई सालों से कुछ भी नया आविष्कार नहीं किया है.
मार्क भले खीज में ऐसा कह रहे हों क्योंकि एप्पल अपने प्लेटफॉर्म (iOS) पर डेवलपर्स से 30 फीसदी कमीशन लेता है. लेकिन बात में दम भी है. दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी को आइफोन में बड़ा बदलाव किए कई साल हो गए हैं. आइफोन 12 से लेकर हाल ही में मार्केट में आए आइफोन 16 में बड़े चेंज नजर नहीं आते हैं. कुछ बदलता भी है तो वो एक किस्म का इंक्रीमेंटल अपडेट जैसा है. हालांकि कंपनी ने आईफ़ोन 15 में चार्जिंग पोर्ट को बदलकर टाइप-सी किया लेकिन उसके पीछे भी बड़ा हाथ यूरोपियन यूनियन का था.
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जहां कम्पनियां बिना बटन वाले फोन बनाने पर फोकस कर रही हैं, वहीं ऐप्पल ने आइफोन 16 में कैमरा बटन जोड़ दिया. टेक एक्सपर्ट से लेकर यूजर्स को ये एकदम ही पसंद नहीं आया. पहले सब दबी जुबान में बोल रहे थे मगर अब हर कोई नई सीरिज को बोरिंग बता रहा है. रही सही कसर Apple intelligence में हो रही देरी ने पूरी कर दी. कंपनी ने नई सीरिज को इसी के दम पर बेचा मगर वो आने का नाम ही नहीं ले रहा. भारत जैसे देशों में तो ये इस साल जून तक ही आ पाएगा. कंपनी ने अपने वीआर सेट Apple Vison Pro को दस साल की रिसर्च के बाद गाजे-बाजे के साथ उतारा था मगर उसे भी कोई खास रिस्पॉंस मिला नहीं.
दूसरी तरफ एंड्रॉयड वाली कम्पनियां हैं जो लगातार नए फीचर्स लेकर आ रही हैं. उदाहरण के लिए आजकल के फ्लैगशिप फोन सिलिकॉन-कार्बन बैटरी के साथ आ रहे हैं. 6000 mAh बैटरी अब नार्मल है. हाई रिफ्रेश रेट से लेकर सुपर फास्ट चार्जिंग की बात करना तो अब बासा लगता है.
ऐसे में मार्क की बात के मायने तो हैं.
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