Apple का WWDC 2025 (Worldwide Developers Conference) चल रहा है. कंपनी ने अपने ऑपरेटिंग सिस्टम में बड़ा बदलाव किया है. अब नया iOS 19 की जगह 26 होगा. इसका पहला डेवलपर वर्जन भी रिलीज हो गया है जिसके “Liquid Glass” डिजाइन इंटरफ़ेस की खूब चर्चा है. जाहिर सी बात है, इसके बाद एक बार फिर एंड्रॉयड से इसकी तुलना होगी. ठीक बात है, लेकिन हम आज कोई तुलना नहीं करेंगे. बल्कि एक ऐसे फीचर की बात करेंगे जिसमें Apple मीलों आगे है. कमाल की बात है कि इस फीचर को सबसे पहले एंड्रॉयड फोन में लाया गया था.
iPhone का वो फीचर जो एंड्रॉयड में पहले आया मगर सिर्फ एप्पल का होकर रह गया
iPhone का Face Unlock फीचर इतने शानदार तरीके से काम करता है कि एप्पल को फिंगर प्रिन्ट सेंसर की जरूरत ही महसूस नहीं हुई. मगर इसको सबसे पहले इस्तेमाल करने वाला Android इस Face-off में मीलों पीछे रह गया.

हम बात करने वाले हैं iPhone के Face Unlock फीचर की जो आईफोन की पहचान है. इतने शानदार तरीके से काम करता है कि एप्पल को फिंगर प्रिन्ट सेंसर की जरूरत ही महसूस नहीं हुई. समझते हैं कि कैसे काम करता है ये फीचर.
Face Unlock के फेल नहीं होने का कारणसाल 2017 में एप्पल ने iPhone X के साथ फेस अनलॉक फीचर दिया और उसके बाद आईफोन का चेहरा हमेशा के लिए बदल गया. मगर एप्पल ऐसा करने वाला पहला स्मार्टफोन मेकर नहीं था. उसके ठीक एक साल पहले Samsung Galaxy Note 7 में इस फीचर को लॉन्च किया गया मगर कोई खास चर्चा नहीं हुई. वैसे जब iPhone X में फेस अनलॉक आया और एप्पल ने फिंगर प्रिन्ट सेंसर को हटाया तो टेक एक्सपर्ट ने इसे ठीक नहीं कहा था.
तब सभी को लगा कि बिना फिंगरप्रिन्ट के फोन ऑपरेट करना मुश्किल होगा. फेस अनलॉक ढंग से काम नहीं करेगा. चश्मा और गॉगल्स के साथ दिक्कत आएगी. कॉन्टेक्ट लेंस से कॉन्टेक्ट बनाने में भी परेशानी होगी. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. आईफोन इस्तेमाल करने वाले जानते हैं कि फेस अनलॉक कितना सटीक है. दिन के उजाले की बात करने की जरूरत नहीं क्योंकि ये घुप्प अंधेरे में भी एक बार में फोन अनलॉक करता है. वहीं एंड्रॉयड में ये ढंग से काम नहीं करता. हालांकि फोन में होता जरूर है. आखिर एप्पल ने किया क्या है?
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infrared light का कमालएप्पल आईफोन के फेस अनलॉक सिस्टम में सिर्फ फ्रन्ट कैमरे का इस्तेमाल नहीं करता बल्कि तगड़े infrared सेंसर का इस्तेमाल करता है. अगर आईफोन की कैमरा असेंबली को खोलकर देखेंगे तो ये सेंसर लगा दिख जाता है. इस सेंसर की मदद से इंसान के चेहरे पर 30 हजार से ज्यादा डॉटस बनाकर एक मैप तैयार किया जाता है. फिर इस मैप को 3D इमेज में बदला जाता है. यह 30 हजार डॉटस चेहरे की हर हरकत को बारीकी से रिकॉर्ड करते हैं. माने फ्रन्ट कैमरा आपके फेस की फोटो नहीं लेता है बल्कि एक डिटेल मैप तैयार करता है. इसके बाद जब आप घनघोर अंधेरे में फोन के सामने फेस लाते हैं तो इंफ्रारेड कैमरा डॉटस को कनेक्ट करता है और फोन अनलॉक हो जाता है. चेहरे की मैपिंग कैसे कितनी डिटेल में होती है, उसका एक उदाहरण Covid 19 के समय देखने को मिला था.
तब एप्पल ने फेस आईडी को मास्क के साथ भी जोड़ दिया था. मतलब आधे ढके हुए चेहरे से भी फेस अनलॉक सही से काम करता था. जाहिर सी बात है कि 3D मैपिंग का कमाल था. मगर ये कमाल एंड्रॉयड में नहीं है. हां वहां फिंगर प्रिन्ट सेंसर है.
लेकिन फेस अनलॉक से एप्पल ने एक बात फिर साबित कर दी. कॉपी में उसका हाथ कोई नहीं पकड़ सकता. कॉपी ऐसा करो कि ओरिजनल वाला भी शर्मा जाए. काश ऐसा AI में भी होता. काश…
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