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WhatsApp आपका मैसेज पलभर में भेजता कैसे है? ये जान लिया तो एक्सपर्ट को भी पानी पिला देंगे

दुनिया का सबसे बड़ा मैसेजिंग प्लेटफॉर्म WhatsApp एक सेकंड से भी कम समय में मैसेज भेज देता है. इधर आपने सेंड का बटन दबाया, उधर मैसेज निकल लिया. पॉइंट 1 सेकंड में मैसेज चला जाता है. सिर्फ इतना ही नहीं. इतने ही समय में दुनिया भर में करोड़ों मैसेज ऐसे ही चले जाते हैं. कौन सा मंतर मार रखा है?

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WhatsApp काम कैसे करता है

एक काम कीजिए जरा. एक WhatsaApp मैसेज करके आइए फिर बढ़िया से स्टोरी बताते. अजी कीजिए तो सही... बढ़िया अब जरा बताइए कि एक मैसेज जाने में कितना समय लगा. माने आपको टाइप करने में या वॉयस रिकॉर्ड करने में जो समय लगा, वो अलग. मैसेज सेंड होने में कित्ता टाइम लगा? महज पॉइंट 1 (.1) सेकंड. यही तो स्टोरी है. कभी आपने सोचा कि आखिर वॉट्सऐप ऐसा (how WhatsApp sends a message in milliseconds) करता कैसे है? .1 सेकंड में मैसेज चला जाता है. सिर्फ इतना ही नहीं. इतने ही समय में दुनिया भर में करोड़ों मैसेज ऐसे ही चले जाते हैं. कौन सा मंतर मार रखा है?

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साल खत्म होने से पहले का दिन है तो हमें भी पता है कि आपको पार्टी-शाटी करनी है. इसलिए शॉर्ट में बताएंगे कि दुनिया का सबसे बड़ा मैसेजिंग प्लेटफॉर्म आखिर सेकंड से भी कम समय में कैसे मैसेज भेज देता है.

Instant Local Acknowledgement

दरअसल ऐसा होने के पीछे कई सारी तकनीक काम करती हैं. आप जैसे ही सेंड का बटन दबाते हैं, ऐप इंटरनेट का इंतजार नहीं करता है. मोबाइल नेटवर्क से लेकर वाईफाई को जब आना होगा, आ जाएगा. ऐप मैसेज को अपने सर्वर पर अपलोड कर लेता है. इस कहते हैं instant local acknowledgement. ऐसा होते ही आपको ऐप पर सिंगल टिक दिखने लगता है. आसान भाषा में कहें तो ऐप मैसेज तो अपने पास रख लेता है. इससे आपको अच्छा-अच्छा फील होता है.

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Always On Connection

वॉट्सऐप कनेक्टिविटी के लिए MQTT प्रोटोकॉल इस्तेमाल करता है. यह एक किस्म की तकनीक है जो बहुत ही लाइटवेट है. इस तकनीक की मदद से ऐप आपके फोन से कनेक्ट होता है. MQTT (Message Queuing Telemetry Transport) होने से मशीन से मशीन के बीच कनेक्शन होने में देर नहीं लगती. मशीन से मतलब यहां डिवाइस समझिए. इस प्रोटोकॉल की वजह से 100-300 मिली सेकंड में मैसेज अपलोड हो जाता है. ध्यान रखिए, अभी मैसेज अपलोड ही हुआ है.

Ultra-Low Latency Server

अब Latency शब्द से तो आप वाकिफ होंगे ही. किसी भी सिग्नल के एक जगह से दूसरी जगह जाने में लगने वाला टाइम. जैसे आपके ब्लूटूथ वाले इयरफोन में यूट्यूब पर वीडियो और आवाज में जो बहुत थोड़ा अंतर होता है. वही Latency है. ऐप अपने मैसेज को भेजने के लिए कम Latency वाले सर्वर का इस्तेमाल करता है. ऐसे सर्वर मेटा के ग्लोबल सर्वर से जुड़े होते हैं और आमतौर पर आपके डिवाइस की लोकेशन से पास होते हैं. आपको नहीं दिखते, मगर हर टेक कंपनी सर्वर के दम पर ही सर्वाइव कर रही है. मैसेज को सर्वर तक पहुंचने में 20-50 मिली सेकंड लगते हैं.

Push Delivery

अभी तक मैसेज अपलोड हुआ है. सिंगल टिक है. अब बारी डबल क्लिक की. जो मैसेज पाने वाला ऑनलाइन हुआ तो MQTT (Message Queuing Telemetry Transport) अपना काम करता है और मैसेज को धक्का देता है. इसमें भी कुल 30-50 मिली सेकंड लगते हैं.

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Read Receipt Logic

मैसेज पाने वाला जैसे ही उसे ओपन करता है तो पूरा प्रोसेस रिवर्स में होता है. माने मैसेज सेंड करने वाले को पता चल जाता है कि मैसेज पहुंच भी गया और पढ़ भी लिया गया. बोले तो ऐप पर ब्लू टिक आ जाता है. यह सब आवन-जावन का काम इतनी जल्दी होता है कि हमें कुछ पता ही नहीं चलता. .1 सेकंड में सब हो जाता है.

अब जो आपको लगे कि भईया हम सब जानकार क्या करेंगे. अरे कुछ नहीं. जिस ऐप पर दिनभर चिटचैट करते हैं, अगर उसके काम करने का तरीका जान लेंगे तो क्या बुराई. कभी किसी के सामने अगर आपने MQTT बोल दिया तो .1 सेकंड लगेंगे आपका रौला बनने में. हमारे 600 शब्द पढ़कर आपको अपना भौकाल बनाने में मदद मिलेगी. 

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