WhatsApp ने हमारा-आपका-सबका नंबर लीक कर दिया! Meta 8 साल से सो रहा था
WhatsApp के हर यूजर का मोबाइल नंबर लीक (WhatsApp security flaw exposed 3.5B phone numbers) होने के पीछे इसकी पेरेंट कंपनी Meta की लापरवाही है. उसे आठ साल पहले से पता था मगर उसने ध्यान नहीं दिया. कंपनी अब इस खामी को कीड़ा पकड़ो प्रोग्राम बोले तो Bug Bounty program का हिस्सा बताकर कवर कर रही है.

WhatsApp ने कांड कर दिया है. इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप के 3.5 बिलियन अकाउंट के मोबाइल नंबर लीक हो गए हैं. 3.5 बिलियन मतलब 350 करोड़ मतलब ऐप के हर यूजर (WhatsApp security flaw exposed 3.5B phone numbers) का नंबर लीक हो गया है. माने हम सभी का नंबर ऑनलाइन लीक हो गया है. इतना पढ़कर आपको लगेगा कि फिर तो हमें लिखना चाहिए कि व्हाट्सऐप के साथ कांड हो गया. किसी साइबर हैकर या ग्रुप ने उसके सिस्टम में सेंध लगाई होगी. काश ऐसा होता तो हम उसे बेचारा कहते.
दरअसल ऐप के हर यूजर का मोबाइल नंबर लीक होने के पीछे इसकी पेरेंट कंपनी Meta की लापरवाही है. उसे आठ साल पहले से पता था मगर उसने ध्यान नहीं दिया. कंपनी अब इस खामी की कीड़ा पकड़ो प्रोग्राम बोले तो Bug Bounty program का हिस्सा बताकर कवर कर रही है.
धरती का हर यूजर खतरे मेंWhatsApp में एक बड़े सिक्योरिटी झोल के कारण दुनिया के लगभग हर यूजर का नंबर ऑनलाइन लीक हो गया है. यहां तक तो सह भी लेंगे मगर असल दुखी करने वाली बात ये है कि कई एक्सपर्ट ने मेटा को साल 2017 में ही इस खामी के बारे में चेताया था. University of Vienna के रिसर्चर्स ने इस मामूली सी खामी की वजह से महज आधे घंटे में अमेरिका के 3 करोड़ से भी ज्यादा WhatsApp के मोबाइल नंबर हासिल कर लिए.
हालांकि रिसर्चर्स ने इस डेटा को डिलीट कर दिया है और मेटा को एक बार फिर से अलर्ट भी किया है. साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट ने इस खामी को “simple” नाम दिया है. एक्सपर्ट को अब इस बात की चिंता है कि अगर इस खामी का पता हैकर्स को लग गया तो फिर बड़ी मुसीबत होने वाली है. अगर ऐसा हुआ तो यह इतिहास का सबसे बड़ा डेटा लीक होगा.
क्योंकि ये मामला सिक्योरिटी में चूक का है तो ज्यादा डिटेल्स तो साझा नहीं किए गए हैं मगर इतना समझ आया है कि झोल नंबर चेक करने की प्रोसेस में है. आपने भी ध्यान दिया होगा कि हम जब भी किसी का नंबर अपने मोबाइल में सेव करते हैं तो हमें अपने आप ही पता चल जाता है कि वो यूजर WhatsApp इस्तेमाल करता है या नहीं. इसी प्रक्रिया में कहीं कोई झोल है जो मुसीबत बन सकता है.
आपको लगेगा कि चलो मेटा को पता चल गया है तो अब सब ठीक होगा. नहीं दोस्त क्योंकि अमेरिकी यूजर्स के नंबर का डेटा मिले भी आठ महीने हो गए. मेटा सोता रहा. अब जाकर जब मीडिया में बात निकल आई तो इसे Bug Bounty program का हिस्सा बता रहा. उसके मुताबिक University of Vienna से उसके कोलैब (collaboration) का नतीजा है कि इत्ती बड़ी खामी पता चल गई. हम इसे ठीक कर रहे.
वाह क्षेमपी वाह
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