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कैब का चार्ज दिखाए 100, बिल आए 120 तो झट से पैसा नहीं धरना, हम जो बता रहे वो करना!

राइड बुक करते समय आपको स्क्रीन पर 100 रुपये दिखे थे मगर खत्म होने पर बिल बना 120-130 रुपये. आपने झट से पे कर दिया. ये नहीं करना हैं. जितना स्क्रीन पर दिखा था उतना ही पे करना है. ऐसा क्यों है और आपको क्या करना है और क्या नहीं, बस वो जान लीजिए और सिर्फ वाजिब पैसा ही पे कीजिए.

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कैब में एक्स्ट्रा पैसा नहीं देना है.

हमारे एक साथी हैं जिनका नाम है दीपक. शायद इस नाम से आपको कुछ याद नहीं आए, लेकिन जैसे ही हम ‘नोएडा मैन’, ‘उबर मैन’ कहेंगे तो आपको तुरंत बेचारगी में हंसता हुआ एक चेहरा याद आ जाएगा. वही प्राणी जिसे कैब कंपनी उबर ने 62 रुपये की राइड के बदले में 7 करोड़ का बिल भेज दिया था. ये झटका पाने वाले दीपक अकेले नहीं हैं, दो दिन पहले ओला में भी यही कांड हुआ. एक यूजर को करोड़ों का बिल आ गया. अब ये तो करोड़ों वाली बात थी तो कंपनी ने तुरंत समाधान निकाल दिया. मगर…

कुछ थोड़े ज्यादा पैसे वाली ऐसी कहानी हमारे और आपके साथ रोज घटती है और हम ध्यान ही नहीं देते. ध्यान देते भी हैं तो जानकर अनदेखा कर देते हैं. ऐसा करके आप भले थोड़ा नुकसान कर रहे, लेकिन कंपनी का तगड़ा फायदा करवा रहे. मुमकिन है अब आपको भी अपनी राइड याद आ रही हों.

वही राइड जिसको बुक करते समय आपको स्क्रीन पर 100 रुपये दिखे थे, मगर खत्म होने पर बिल बना 130 रुपये का. आपने झट से पे कर दिया. ये नहीं करना हैं. जितना स्क्रीन पर दिखा था उतना ही पे करना है. ऐसा क्यों है और आपको क्या करना है और क्या नहीं, बस वो जान लीजिए और सिर्फ वाजिब पैसा ही पे कीजिए.

ऐसा क्यों है?

क्योंकि तमाम कैब और राइड सर्विस वाली कंपनियां तकनीक से लैस हैं. जीपीएस से लेकर गूगल मैप को उनके ऐप में अंदर तक शामिल किया गया है. कोई तुक्केबाजी नहीं है कि फलां जगह जाना है तो अंदाजे से पैसे ले लो. जैसे ही आप ऐप पर अपना डेस्टिनेशन चुनते हैं तो ऐप सबसे छोटा रास्ता चुनता है और सही से पैसे का गणित करके आपको स्क्रीन पर दिखाता है.

इतना ही नहीं, ऐप इतने ट्रेंड हैं कि वेटिंग टाइम और ट्रैफिक का हालचाल रियल टाइम में पता करके ही आपको चार्जेस स्क्रीन पर दिखाते हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो कभी पैसे कम भी तो होते, जो होता नहीं. मतलब कंपनी ने आपको पैसा सब समझकर बताया है. वैसे गौर से स्क्रीन पर नजर डालेंगे तो वहां साफ-साफ शब्दों में लिखा होता है कि ‘Price May Vary’ या ‘Fare May Vary’. माने कि फाइनल किराया बदल सकता है. ऊपर-नीचे हो सकता है. लेकिन ये दाल में नमक जितना है तो ठीक मतलब 100 का 105-110 समझ आता है. 100 का 150 नहीं. 50 फीसदी कैसे ज्यादा हो सकता है?

आपको क्या करना है?

राइड कनफर्म होते ही चार्जेस का स्क्रीन शॉट लेकर रखना है. और राइड खत्म होने पर पैसे भी पे करने हैं, भले थोड़े बहुत ज्यादा दिखा रहा हो. अगर बहुत ज्यादा दिखाने लगे तो फिर ऐप से ही हेल्प सेंटर में जाकर कस्टमर केयर से बतिया लेना हैं?

क्या नहीं करना है?

चालक को खुद से रूट बदलने और लंबे या छोटे रूट से जाने के लिए नहीं कहना है. अगर चालक आपको ऐसा करने को कहे तो उससे कहिए तुम अपने ऐप से करो. मैं कुछ नहीं करने वाला. जो रूट बता रहा वहीं से चलो. चालक से बिला-वजह झगड़ा भी नहीं करना है क्योंकि वो सिर्फ एक सर्विस देने वाला बंदा है. राइड के दौरान आपने कोई रूट नहीं बदला है और कोई तगड़ा ट्रैफिक जाम नहीं था तो आपका एक पैसा एक्स्ट्रा देना नहीं बनता. राइड खत्म कीजिए और फिर ऐप के हेल्प सेंटर में जाकर एक्स्ट्रा चार्जेस की शिकायत दर्ज कीजिए.

आम तौर पर कैब सर्विस वाले पैसा वापस करते हैं नहीं, तो ज्यादा पैसा लगने का उचित कारण भी बताते हैं.

जो अगर पैसा नहीं मिले और आपकी कोई गलती नहीं हो तो फिर कंज्यूमर कोर्ट जिन्दाबाद. क्योंकि बात पैसे की नहीं बल्कि वाजिब पैसे की है. कई ऐसे केस में कोर्ट ने मोटा जुर्माना लगाया है कंपनियों पर. इसलिए कोई चिंता नहीं.