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सरकारी विभागों में Jio, Airtel, Vodafone Idea कुछ नहीं चलेगा, अगर ये निर्देश लागू हो गया तो

दूरसंचार विभाग (DoT) ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर उनसे इंटरनेट, ब्रॉडबैंड, लैंडलाइन जैसी सर्विस के लिए सरकारी दूरसंचार ऑपरेटरों (BSNL) और (MTNL) की सेवाओं को प्राथमिकता देने का आग्रह किया है.

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DoT देगा निजी कंपनियों को टेंशन

देश के टेलिकॉम सेक्टर में निजी कंपनियों का दबदबा है. बात चाहे तेज गति के इंटरनेट यानी 5G की हो या सर्विस की, निजी कंपनियों के मुकाबले BSNL, MTNL काफी पीछे नजर आते हैं. गाहे-बगाहे इनके रिवाइवल की खबरें आती तो हैं मगर सच्चाई कुछ और ही निकलती है. हालांकि अब लगता है जैसे सरकारी टेलिकॉम कंपनियों के दिन वाकई में बहुरने वाले हैं. Department of Telecommunications (DoT) की बात मान ली गई तो निजी टेलिकॉम कंपनियों (Jio, Airtel, VI)को बड़ी दिक्कत हो सकती है.

दरअसल, दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर उनसे इंटरनेट, ब्रॉडबैंड, लैंडलाइन जैसी सर्विस के लिए सरकारी दूरसंचार ऑपरेटरों (BSNL और MTNL) की सेवाओं को प्राथमिकता देने का आग्रह किया है. आखिर क्यों?

डेटा सिक्योरिटी है वजह?

टेलिकॉम टॉक की खबर के मुताबिक दूरसंचार विभाग का ये आग्रह नेशनल डेटा सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए आया है. खबर के मुताबिक DoT के सेक्रेटरी Neeraj Mittal ने इस संबंध में बीती 8 अप्रैल को सभी राज्य सचिवों को पत्र लिखा था. पत्र में 2019 में यूनियन कैबिनेट के उस निर्णय का हवाला दिया गया है जिसके अनुसार केंद्र सरकार के विभागों द्वारा BSNL और MTNL का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है. 

रिपोर्ट के मुताबिक नीरज मित्तल ने राज्य सरकार के विभागों, एजेंसियों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को भी सरकारी टेलिकॉम कंपनी की सर्विस इस्तेमाल करने का अनुरोध किया है. Economic Times की खबर के मुताबिक, लेटर में नीरज मित्तल ने लिखा,

"चूंकि BSNL/MTNL दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी बन रहे हैं, लिहाजा कैबिनेट के निर्णय के मद्देनजर मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि राज्य सरकार के सभी विभागों/एजेंसियों/पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों) द्वारा इंटरनेट/ब्रॉडबैंड, लैंडलाइन और लीज्ड लाइन आवश्यकताओं के लिए इनकी सेवाओं के उपयोग पर विचार किया जाए."

निजी कंपनियों का क्या होगा?

हालांकि इस पत्र में डेटा सिक्योरिटी से जुड़ी चिंताओ का कितना जिक्र है, वो अभी साफ नहीं है. मगर इस खबर से निजी कंपनियों की नींद जरूर उड़ सकती है. मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक निजी टेलिकॉम कंपनियां यानी Jio, Airtel, VI का दूरसंचार उद्योग के राजस्व में 92 फीसदी से अधिक का योगदान है. सिर्फ अप्रेल से दिसंबर 2024 का ही आंकड़ा 2.23 लाख करोड़ रुपये है. कंपनियों की आय का एक बड़ा हिस्सा सरकारी अनुबंधों से ही आता है. अगर ये गया तो समझो कंपनियों के हजारों करोड़ डूबने वाले हैं. इसके साथ इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को भी बड़ा झटका लगेगा क्योंकि वो तो पहले से ही बहुत छोटे प्रॉफ़िट पर काम कर रहे हैं.  

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उद्योग जगत के एक्सपर्ट का भी मानना है कि दूरसंचार विभाग का यह निर्देश निजी और सरकारी कंपनियों के बीच लेवल प्लेइंग फील्ड मतलब समान अवसर को कम करेगा. इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएसपीएआई) के अध्यक्ष राजेश छारिया ने कहा कि लाइसेंसकर्ता के रूप में सरकार को न्यूट्रल रहना चाहिए. उनका मानना है, “सरकार का उद्देश्य किसी विशेष कंपनी को बढ़ावा देने के बजाय ब्रॉडबैंड और इंटरनेट को बढ़ाने का होना चाहिए.”

DoT का क्या कहना है

हालांकि, दूरसंचार विभाग ने कहा कि यह निर्देश BSNL और MTNL के लिए कैबिनेट के रिवाइवल प्लान का ही एक हिस्सा है. 2019 से, केंद्र ने घाटे में चल रही दोनों कंपनियों में अभी तक 3.22 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिसका मकसद 4G रोलआउट और बेसिक ढांचे को डेवलप करना है. इसका नतीजा भी आया है. BSNL ने वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में 262 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया जो 2007-08 के बाद से उसका पहला प्रॉफ़िट था.

निजी टेलिकॉम कंपनियों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया अभी तक नहीं दी है. हमने भी पूछा है, जवाब आते ही अपडेट करेंगे.  

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